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मूनलाइटिंग, जिससे खफा हैं IT कंपनियां, कर्मचारियों को नौकरी से निकालने तक की चेतावनी

विप्रो के मुखिया रिशद प्रेमजी ने कर्मचारियों की मूनलाइटिंग को कंपनी के साथ धोखा करार दिया है। अब सवाल है कि आखिर ‘मूनलाइटिंग’ क्या है और कंपनियां क्यों कर्मचारियों के खिलाफ सख्त हो रही हैं।

Deepak Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 14 Sep 2022 06:12 PM
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मूनलाइटिंग, जिससे खफा हैं IT कंपनियां, कर्मचारियों को नौकरी से निकालने तक की चेतावनी

बीते कुछ दिनों से देश की दिग्गज आईटी कंपनियां कर्मचारियों की ‘मूनलाइटिंग’ को लेकर सख्त हो रही हैं। इंफोसिस ने ‘मूनलाइटिंग’ को लेकर कर्मचारियों को चेतावनी तक दे डाली है। वहीं, विप्रो के मुखिया रिशद प्रेमजी ने इसे कंपनी के साथ धोखा करार दिया है। अब सवाल है कि आखिर ‘मूनलाइटिंग’ क्या है और कंपनियां क्यों कर्मचारियों के खिलाफ सख्त हो रही हैं।

क्या है मूनलाइटिंग: जब कोई कर्मचारी अपनी नियमित नौकरी के अलावा स्वतंत्र रूप से कोई अन्य काम भी करता है, तो उसे तकनीकी तौर पर मूनलाइटिंग कहा जाता है। आईटी प्रोफेशनल्स के बीच ‘मूनलाइटिंग’ के बढ़ते चलन ने उद्योग में एक नई बहस छेड़ दी है।

इंफोसिस ने दी कर्मचारियों को चेतावनी: कंपनी ने कर्मचारियों को भेजे ई-मेल में कहा है कि दो जगहों पर काम करने या ‘मूनलाइटिंग’ की अनुमति नहीं है। अनुबंध के किसी भी उल्लंघन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगा तथा नौकरी से निकाला भी सकता है। इन्फोसिस ने ‘नो डबल लाइव्स' नाम से कर्मचारियों को भेजे इंटरनल मेल में कर्मचारी पुस्तिका और आचार संहिता का भी हवाला दिया है।

आईबीएम ने क्या कहा: आईबीएम ने भी मूनलाइटिंग को अनैतिक करार दिया है। आईबीएम के प्रबंध निदेशक (भारत और दक्षिण एशिया) संदीप पटेल ने कहा कि कंपनी में शामिल होने के समय कर्मचारी एक समझौते पर हस्ताक्षर करते हैं कि वे सिर्फ आईबीएम के लिए काम करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘लोग अपने बाकी समय में जो चाहें कर सकते हैं, लेकिन इसके बावजूद मूनलाइटिंग करना नैतिक रूप से सही नहीं है।'' बता दें कि इससे पहले विप्रो के चेयरमैन रिशद प्रेमजी ने मूनलाइटिंग को कंपनी के साथ धोखा बताया था। 

क्यों बढ़ा है क्रेज: दरअसल, कोरोना के बाद से टेक इंडस्ट्री में अधिकतर कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं। इस माहौल में कई ऐसे कर्मचारी हैं जो अधिक पैसा कमाने के लिए दूसरी कंपनियों के लिए भी काम कर रहे हैं। आईटी कंपनियों का मानना है कि इस वजह से परफॉर्मेंस और कामकाज पर असर पड़ रहा है। वहीं, मूनलाइटिंग को सही ठहराने वाले कर्मचारियों का तर्क है कि कंपनियां सैलरी हाइक या इंसेंटिव आदि पर कंजूसी दिखा रही हैं। यही वजह है कि जब तक संभव है, कर्मचारी नए विकल्प देख रहे हैं। इससे कुछ कमाई हो जाती है।

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