इमरजेंसी के लिए बेस्ट है ये फंड, परेशानी में तुरंत मिल जाता है कैश
जीवन में किसी अप्रत्याशित घटना की कल्पना करना मुश्किल होता है। यह किसी भी तरह की हो सकती है। अचानक नौकरी जा सकती है या गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। इस तरह की स्थिति का सामना करने के लिए...
जीवन में किसी अप्रत्याशित घटना की कल्पना करना मुश्किल होता है। यह किसी भी तरह की हो सकती है। अचानक नौकरी जा सकती है या गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। इस तरह की स्थिति का सामना करने के लिए आपातकालीन कोष जरूरी है। वित्तीय विशेषज्ञों के अनुसार, आपातकालीन कोष के लिए एफडी से बेहतर विकल्प लिक्विड म्यूचुअल फंड है।
टारगेट को पूरा करने में करता है मदद
आपातकालीन कोष बनाने की प्रमुख वजह यह है कि किसी भी स्थिति में निवेश को छेड़ना नहीं पड़े। यानी अगर आपने कोई दूसरा निवेश घर या कार खरीदने के लिए कर रखा है तो उसको तोड़ने की जरूरत नहीं होगी। इस तरह आप अपने वित्तीय लक्ष्य को आसानी से पा लेंगे। वहीं आपातकालीन कोष नहीं होने पर आपको निवेश तोड़ने होंगे।
सावधि जमा के फायदे और नुकसान
आपातकालीन कोष का पैसा अगर आप सावधि जमा (एफडी) में रखना चाहते हैं तो आपको कम से कम सात दिन और अधिक से अधिक 10 साल तक निवेश का विकल्प मिलता है। मौजूदा समय में बैंकों की एफडी पर 5.5% से 7.75% का ब्याज मिल रहा है। इसलिए यह लंबी अवधि के लिए एक अच्छा विकल्प है। हालांकि, अगर आपको मैच्योरिटी से पहले पैसे की जरूरत आ जाती है और एफडी को तोड़ देते हैं तो बैंक लगभग 0.5% से 1% की पेनल्टी लेते हैं। यानी अगर आपको अचानक पैसे की जरूरत आ गई तो आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है।
निवेश पर ज्यादा रिटर्न
लिक्विड म्यूचुअल फंड्स में आपको एफडी की तुलना में अधिक रिटर्न मिल सकता है। लिक्विड फंड्स का रिटर्न आमतौर पर 7% से 8% प्रति वर्ष के आसपास होता है। ऑनलाइन का इस्तेमाल करके, लिक्विड फंड में आसानी से निवेश किया जा सकता है। इसमें निवेश करने का दूसरा फायदा है कि कोई लॉक इन पीरियड नहीं होता है। यानी आपको पैसे की जब जरूरत पड़ी आप आसानी से निकाल सकते हैं।
जोखिम का आकलन
सुरक्षा की दृष्टि से, एफडी और लिक्विड फंड्स दोनों सुरक्षित हैं, लेकिन सुनिश्चित रिटर्न के मामले में एफडी ज्यादा बेहतर है। लिक्विड फंड के मामले में बेहतर टैक्स कुशलता और तरलता मिलती है। यानी जब जरूरत हुई आप पैसे को आसानी से अपने खाते में ट्रांसफर कर सकते हैं। हालांकि, लिक्विड फंड बाजार से जुड़ा हुआ होता है तो मिलने वाला रिटर्न बाजार की चाल के अनुसार प्रभावित होता है।
यह भी जानें
एफडी में मिलने वाले ब्याज पर, टीडीएस लग सकता है। वहीं लिक्विड फंड्स में ऐसा नहीं होता है। एफडी से होने वाले आय पर निवेशक के कर स्लैब के हिसाब से टैक्स लिया जाता है। लिक्विड फंड पर तीन साल से कम समय के लिए निवेश करने पर, निवेशक के कर स्लैब के हिसाब से टैक्स लिया जाता है। अगर निवेश तीन साल से अधिक है तो इंडेक्सेशन के साथ 20% की दर से टैक्स लिया जाता है।
- 5.5% से 7.5% सालना ब्याज मिल रहा है एफडी पर
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