म्यूचुअल फंड से निकासी में इन बातों का रखे ध्यान, बाजार में गिरावट से डरकर न बेचें
छोटी राशि से बचत की शुरुआत करने के लिए म्यूचुअल फंड एक बेहतरीन विकल्प है। साथ ही यह कम जोखिम के साथ शेयर बाजार में निवेश की सुविधा भी देता है। लेकिन इसमें से निवेश निकालते समय अपने वित्तीय लक्ष्य और...
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छोटी राशि से बचत की शुरुआत करने के लिए म्यूचुअल फंड एक बेहतरीन विकल्प है। साथ ही यह कम जोखिम के साथ शेयर बाजार में निवेश की सुविधा भी देता है। लेकिन इसमें से निवेश निकालते समय अपने वित्तीय लक्ष्य और निवेश अवधि (लॉकिंग पीरियड) समेत कुछ अन्य बातों का खास ध्यान रखना चाहिए वरना फायदा का जगह नुकसान हो सकता है।
शेयरों से जुड़े म्यूचुअल फंड (इक्विटी फंड) में टैक्स का आकलन शेयरों की तरह होता है। इसमें एक साल से पहले निकासी पर 15 फीसदी की दर से छोटी अवधि का पूंजीगत लाभ कर लगता है। जबकि एक साल बाद निकासी पर कोई टैक्स नहीं लगता है। वहीं डेट फंड में तीन साल से पहले निकालने पर 15 फीसदी टैक्स और तीन साल बाद निकासी पर इंडेक्सन के साथ 20 फीसदी कर लगता है। ऐसे में लॉकिंग पीरियड बेहद अहम है।
क्या है आपका निवेश लक्ष्य
आपने पांच साल बाद बच्चों की पढ़ाई या घर खरीदने के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश किया है और एक अनुमानित रिटर्न तय किया है तो निकासी के पहले उसका आकलन जरूर करें। आप देखें कि जितनी उम्मीद आपने की थी उतना रिटर्न मिल गया है क्या कम है। साथ ही पढ़ाई या घर खरीदने के लिए आपका लक्ष्य करीब आ गया है तब लाभ-हानि देखकर ही निकासी करें।
घबराहट में न निकाले निवेश
बाजार से जुड़े उत्पाद में तेजी और गिरावट उसका स्वाभाविक रूप है। ऐसे में आपने यदि इक्विटी फंड में निवेश किया है और बाजार में तेज गिरावट आ गई है तो घबराहट में निवेश न निकालें। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मौकों को निवेश बढ़ाने के अवसर के रूप में देखना चाहिए। इसके अलावा समय-समय पर अपने पोर्टफोलियो का आकलन खुद करें या वित्तीय सलाहकार की मदद लें।