गो फर्स्ट के अधिग्रहण से पीछे हटी जिंदल की कंपनी, बैंकों को लगा झटका, कल मंथन
बता दें कि जिंदल पावर ने गो फर्स्ट के अधिग्रहण के लिए बोली लगाने से इनकार कर दिया है। बता दें कि जिंदल पावर एक मात्र ऐसी कंपनी थी जिसने गो फर्स्ट के अधिग्रहण के लिए दिलचस्पी दिखाई थी।
प्राइवेट सेक्टर की एयरलाइन गो फर्स्ट के अधिग्रहण की योजना में देरी हो सकती है। ये इसलिए क्योंकि जिंदल पावर लिमिटेड ने गो फर्स्ट के अधिग्रहण के लिए बोली लगाने से इनकार कर दिया है। बता दें कि जिंदल पावर एक मात्र ऐसी कंपनी थी जिसने गो फर्स्ट के अधिग्रहण के लिए दिलचस्पी दिखाई थी।
बढ़ सकती है डेडलाइन
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने बैंकिंग सूत्रों के हवाले से बताया कि अदालतों में आवेदन के माध्यम से समय सीमा बढ़ाई जा सकती है लेकिन लेंडर फिलहाल ऐसा करने के इच्छुक नहीं हैं। हालांकि, जिंदल पावर और गो फर्स्ट के रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल ने आधिकारिक तौर पर प्रतिक्रिया नहीं दी है।
मई में किया था आवेदन: गो फर्स्ट ने मई में स्वैच्छिक दिवालियेपन के लिए आवेदन किया था और उसके लेनदारों पर कुल 6,521 करोड़ रुपये ($785.6 मिलियन) का बकाया है। गो फर्स्ट के एक लेंडर ने कहा- बैंकरों ने जिंदल की रुचि पर अपनी उम्मीदें लगा रखी थीं। लेकिन ऐसा लगता है कि ऐसा नहीं हुआ है। एक अन्य बैंकर के मुताबिक भविष्य की कार्रवाई तय करने के लिए कर्जदाताओं की समिति बुधवार को बैठक करेगी। बता दें कि एयरलाइन के शीर्ष लेंडर्स में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, आईडीबीआई बैंक और डॉयचे बैंक शामिल हैं।
अब क्या विकल्प: बैंकर ने कहा कि एयरलाइन का परिसमापन अब सबसे संभावित विकल्प है क्योंकि कोई गंभीर बोली लगाने वाला नहीं मिल सका है। गो फर्स्ट की बात करें तो वर्तमान में अपने पट्टादाताओं के साथ कानूनी झगड़े में फंसा हुआ है। वहीं, इसके उड़ान सेवाओं को लेकर निश्चित समयसीमा नहीं है।
