जेट एयरवेज के डेप्युटी CEO ने दिया इस्तीफा, पुरानी रंगत में लौटना मुश्किल
वित्तीय संकट से जूझ रही विमानन कंपनी जेट एयरवेज के डेप्युटी सीईओ और सीएफओ अमित अग्रवाल ने निजी कारणों से जेट एयरवेज से इस्तीफा दे दिया है। विमानन कंपनी ने मंगलवार को बताया कि अग्रवाल का इस्तीफा 13 मई...
वित्तीय संकट से जूझ रही विमानन कंपनी जेट एयरवेज के डेप्युटी सीईओ और सीएफओ अमित अग्रवाल ने निजी कारणों से जेट एयरवेज से इस्तीफा दे दिया है। विमानन कंपनी ने मंगलवार को बताया कि अग्रवाल का इस्तीफा 13 मई से प्रभावी है।
जेट एयरवेज ने एक नियामक दाखिल में कहा, ''हम सूचित करना चाहते हैं कि कंपनी के उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी और सीएफओ अमित अग्रवाल ने व्यक्तिगत कारणों से अपने पद से इस्तीफा दे दिया है जो 13 मई से प्रभावी है। विमानन कंपनी ने मध्य अप्रैल में नकदी की समस्या के कारण अस्थायी तौर पर परिचालन बंद कर दिया था। पिछले एक महीने में कंपनी के अधिकतर बोर्ड सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया है।
जेट एयरवेज अब कभी अपने पुराने रंगत में नहीं लौट सकेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर जेट दोबारा शुरू भी हुई तो इस विमानन कंपनी का आकार पहले के मुकाबले आधा या इससे भी कम रहेगा। दरअसल, स्पाइस-जेट तेजी से जेट एयरवेज के पास मौजूद किराए के विमानों और पायलट-क्रू सदस्यों को हथिया रही है।
जेट के एक पायलट ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि पहले तो बैंकों ने एयरलाइन्स का मैनेजमेंट अपने हाथ में ले लिया और फिर उसे बंद होने पर मजबूर कर दिया। अब बंद पड़ी एयरलाइन के पास मौजूद विमानों को धीरे-धीरे प्रतिद्वंद्वी एयरलाइन स्पाइस जेट किराए पर ले रही है। इसके साथ ही जेट के पायलट एवं क्रू सदस्य भी स्पाइस जेट में नौकरी के लिए जा रहे हैं, क्योंकि जेट के बाद स्पाइसजेट ही दूसरी बड़ी एयरलाइन है जो बोइंग के विमान इस्तेमाल करती है। इंडिगो, गो एयर और विस्तारा तीनों ही एयरबस के विमानों का इस्तेमाल करती हैं।
एतिहाद भी गंभीर नहीं : एतिहाद द्वारा जेट के लिए गैर बाध्यकारी बोली लगाए जाने के बाद जेट के शेयर 11.4 फीसदी लुढ़क गए। गैर बाध्यकारी बोली का मतलब होता है कि यह डील हो भी सकती है और नहीं भी।
(इन्पुट - एजेंसी)
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