Hindi Newsबिज़नेस न्यूज़It would be a big mistake of Modi government to sell banks to industrial houses said ex governer of rbi Raghuram Rajan

रघुराम राजन ने मोदी सरकार को चेताया, औद्योगिक घरानों को बैंक बेचना भारी गलती होगी

रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का मोदी सरकार द्वारा बैंकों के निजीकरण पर बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि निजीकरण करने के मामले में सरकार का रिकार्ड उतार-चढ़ाव से भरा है; औद्योगिक...

Drigraj Madheshia एजेंसी, नई दिल्लीSun, 14 March 2021 03:41 PM
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रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का मोदी सरकार द्वारा बैंकों के निजीकरण पर बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि निजीकरण करने के मामले में सरकार का रिकार्ड उतार-चढ़ाव से भरा है; औद्योगिक घरानों को बैंक बेचना भारी गलती होगी। बता दें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में इस बात का ऐलान किया था कि सरकार इस साल 2 सरकारी बैंकों और एक बीमा कंपनी के निजीकरण का फैसला किया है। साल 2019 में सरकार ने LIC में IDBI Bank का बड़ा हिस्सा बेचा था। बता दें अभी देश में 12 सरकारी बैंक हैं। दो बैंकों का निजीकरण वित्त वर्ष ईयर 2021-22 में किया जाएगा। इस प्राइवेटाइजेशन के बाद इनकी संख्या घटकर 10 रह जाएगी। 

मौद्रिक नीति प्रणाली में किसी बड़े बदलाव से बांड बाजार प्रभावित होगा

भारतीय अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे महामारी के झटके से बाहर निकल रही है। ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने चेताया है कि देश के मौद्रिक नीति के ढांचे में किसी तरह के बड़े बदलावों से बांड बाजार प्रभावित हो सकता है।  राजन ने रविवार को कहा कि मौजूदा व्यवस्था ने मुद्रास्फीति को काबू में रखने और वृद्धि को प्रोत्साहन देने में मदद की है। रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) पर रखने का लक्ष्य दिया गया है। केंद्रीय बैंक के गवर्नर की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) इस लक्ष्य को ध्यान में रखकर नीतिगत दरें तय करती है।  मौजूदा मध्यम अवधि का मुद्रास्फीति लक्ष्य अगस्त, 2016 में अधिसूचित किया गया था। यह इस साल 31 मार्च को समाप्त हो रहा है। अगले पांच साल के लिए मुद्रास्फीति के लक्ष्य को इसी महीने अधिसूचित किए जाने की उम्मीद है। 

5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यस्था पर ये बोले रघुराम

पीटीआई को दिए गए इंटरव्यू में पूर्व गवर्नर ने कहा, ''मेरा मानना है कि मौद्रिक नीति प्रणाली ने मुद्रास्फीति को नीचे लाने में मदद की है। इसमें रिजर्व बैंक के लिए अर्थव्यवस्था को समर्थन देने की गुंजाइश भी है। यह सोचना भी मुश्किल है कि यदि यह ढांचा नहीं होता, तो हम कैसे इतना ऊंचा राजकोषीय घाटा झेल पाते।  उनसे पूछा गया था कि क्या वह मौद्रिक नीति के तहत मुद्रास्फीति के दो से छह प्रतिशत के लक्ष्य की समीक्षा के पक्ष में हैं। 

सुधार उपायों के बारे में राजन ने कहा कि 2021-22 के बजट में निजीकरण पर काफी जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि निजीकरण को लेकर सरकार का रिकार्ड काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। उन्होंने कहा कि इस बार यह कैसे अलग होगा।  राजन ने कहा कि इस बार के बजट में काफी हद तक खर्च तथा प्राप्तियों को लेकर पारदर्शिता दिखती है। पहले के बजट में ऐसा नहीं दिखता था। 

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