मूनलाइटिंग पर अब एक्शन: Wipro को 'धोखा' दे रहे थे 300 कर्मचारी, कंपनी ने नौकरी से निकाला
जानकारी के लिए बता दें कि जब कोई कर्मचारी अपनी नियमित नौकरी के अलावा पैसे कमाने के लिए कोई दूसरा काम भी करता है, तो उसे तकनीकी तौर पर मूनलाइटिंग कहा जाता है। कोरोना काल में इसका चलन बढ़ा है।

आईटी सेक्टर की दिग्गज कंपनी विप्रो ने मूनलाइटिंग यानी प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के लिए काम करने की वजह से 300 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है। यह जानकारी विप्रो के चेयरमैन रिशद प्रेमजी ने दी है। एक कार्यक्रम के दौरान प्रेमजी ने बताया कि पिछले कुछ महीनों में हमने 300 लोगों की पहचान की है जो एक ही समय में दूसरी कंपनी में भी सेवा दे रहे थे। इन लोगों को नौकरी से हटा दिया गया है।
यह पहली बार है जब किसी आईटी कंपनी ने मूनलाइटिंग की वजह से बड़े पैमाने पर छंटनी की है। इससे पहले विप्रो के चेयरमैन रिशद प्रेमजी ने कर्मचारियों की मूनलाइटिंग को कंपनी के साथ धोखा बताया था।
क्या है मूनलाइटिंग: जब कोई कर्मचारी अपनी नियमित नौकरी के अलावा पैसे कमाने के लिए कोई दूसरा काम भी करता है, तो उसे तकनीकी तौर पर मूनलाइटिंग कहा जाता है। कोरोना काल में इसका चलन बढ़ा है। जानकारों के मुताबिक आईटी कंपनियों में वर्क फ्रॉम होम की वजह से कर्मचारियों को मूनलाइटिंग का मौका मिला है।
नई बहस छिड़ी: आईटी प्रोफेशनल्स के बीच मूनलाइटिंग के बढ़ते चलन ने उद्योग में एक नई बहस छेड़ दी है। बीते दिनों इन्फोसिस ने भी अपने कर्मचारियों को इंटरनल मेल के जरिए मूनलाइटिंग को लेकर चेतावनी दी थी। वहीं, आईबीएम और टीसीएस भी मूनलाइटिंग को लेकर आपत्ति जता चुके हैं।