Hindi Newsबिज़नेस न्यूज़Insurance and saving habits changed in just seven months Corona changed outlook

सिर्फ सात माह में बदली इंश्योरेंस और बचत की आदत, कोरोना ने बदला नजरिया

कोरोना संकट ने देश और दुनिया के आर्थिक रणनीतिकारों को योजनाओं में बदलाव के लिए मजबूर करने साथ उपभोक्ताओं को वित्तीय सुरक्षा के लिए बचत और बीमा को लेकर अपना नजरिया बदलने को विवश कर दिया है। उपभोक्ता...

Sheetal Tanwar एजेंसी, नई दिल्लीThu, 1 Oct 2020 09:14 AM
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कोरोना संकट ने देश और दुनिया के आर्थिक रणनीतिकारों को योजनाओं में बदलाव के लिए मजबूर करने साथ उपभोक्ताओं को वित्तीय सुरक्षा के लिए बचत और बीमा को लेकर अपना नजरिया बदलने को विवश कर दिया है। उपभोक्ता अब बचत और बीमा को लेकर पहले से ज्यादा सतर्क हैं। साथ ही वह बीमा उत्पाद को खरीदने के पहले पूरी पड़ताल कर रहे हैं कि वह उनके परिवार के लिए कोरोना जैसे संकट में कितना मददगार हो सकता है। वहीं बीमा कंपनियों को उपभोक्ताओं तक पहुंचने के लिए डिजिटल पर जोर देने और उत्पादों को उनकी जरूरत के अनुसार पेश करने का अवसर दिया है। निल्सन और एसबीआई लाइफ की ओर से किए गए एक सर्वे में यह बात सामने आई है। विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले 70 साल में बीमा क्षेत्र में जो बदलाव नहीं आ सका था वह महज सात माह के कोरोना काल में आय गया है। इसका फायदा उपभोक्ताओं के साथ कंपनियों को भी हो रहा है।

टर्म प्लान का आकर्षण बढ़ा
जीवन बीमा के तहत टर्म प्लान सबसे सस्ती पॉलिसी है। पांच हजार रुपये में 50 लाख रुपये और आठ हजार रुपये में एक करोड़ रुपये का टर्म प्लान बीमा कंपनियां देती हैं। हालांकि, सस्ता होने के बावजूद इसमें जीवन बीमा के अन्य पॉलिसी की तरह कोई रिटर्न नहीं मिलता है। एसबीआई लाइफ- ज़ोन 1 के अध्यक्ष, रवि कृष्णमूर्ति का कहना है कि कोरोना के पूर्व उपभोक्ता टर्म प्लान को लेकर ज्यादा गंभीर नहीं थे। लेकिन ताजा सर्वे बेहद उत्साहवर्धक है। उनका कहना है कि अब उपभोक्ताओं का रुझान टर्म प्लान की ओर ज्यादा बढ़ा है और वह इसके बारे में पड़ताल कर खरीदना पसंद कर रहे हैं।

वित्तीय सुरक्षा को लेकर उत्साह बढ़ा

कोरोना संकट में नौकरी छूटने या वेतन कटौती को देखते हुए उपभोक्ता अपने और परिवार की वित्तीय सुरक्षा को लेकर पहले से अधिक सतर्क और सजग हो गए हैं। कृष्णमूर्ति का कहना है कि व्यक्तिगत और पारिवारिक सुरक्षा वर्तमान स्थिति में सबसे बड़ी चिंता है, महामारी ने हम में से प्रत्येक के लिए प्रतिरक्षा के महत्व पर फिर से अहम बना दिया है। कोरोना के पूर्व किसी भी स्वास्थ्य आपातकाल के प्रति वित्तीय तैयारियों की उपभोक्ता की स्थिति भयावह थी। लेकिन अब भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए मजबूत वित्तीय सुरक्षा की आवश्यकता पर एक उत्साहजनक जागरूकता देखने को मिली है।

सीएनजी-पीएनजी 25 फीसदी तक सस्ता होने की उम्मीद

ज्यादा बीमारियों का कवर चाहते हैं उपभोक्ता

सर्वे के मुताबिक 10 में से सात भारतीयों के पास जिनके पास वर्तमान में क्रिटिकल इलनेस कवर नहीं हैं, वह अगले तीन महीनों में इसे लेने की योजना बना रहे हैं। सर्वेक्षण के मुताबिक 10 में से 8 उपभोक्ता परिवार के भविष्य की सुरक्षा के स्पष्ट उद्देश्य के साथ जीवन और स्वास्थ्य बीमा खरीदते हैं। इसमें कहा गया है कि यह सर्वेक्षण आज उपभोक्ता की शीर्ष वित्तीय चिंताओं के बारे में पूछताछ करके तनाव के कारण को बेहतर ढंग से समझने का प्रयास करता है। इसमें तनाव के शीर्ष तीन कारणों को जिम्मेदार माना जाता है जिनमें पहली है गंभीर बीमारी के खिलाफ वित्तीय सुरक्षा, दूसरी परिवार का सदस्य किसी भी जीवन शैली की बीमारी या कोविड-19 से संक्रमित होना और तीसरी नौकरी या आय में कमी। सर्वे में यह बात सामने आई है कि वित्तीय प्रबंधन जीवनशैली रोगों के कारण उत्पन्न तनाव को कम करने में भी मददगार है।

डिजिटल होने से सस्ती हुई पॉलिसी
हाल ही में इरडा ने स्वास्थ्य बीमा को पूरी तरह डिजिटल देने का निर्देश जारी किया है। हालांकि, इसके पहले ही प्रमुख कंपनियां 97 फीसदी तक बीमा डिजिटल दे रही हैं। आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस के चीफ अंडरराइटिंग संजय दत्ता का कहना है कि कोविड ने कंपनियों को उपभोक्ताओं तक पहुंच बढ़ाने के लिए डिजिटल की रफ्तार तेज करने को मजबूर किया है। इसका फायदा उपभोक्ता और कंपनियां दोनों को हो रहा है। दत्ता का कहना है कि डिजिटल होने से लागत घटी है जिससे पॉलिसी सस्ता करने का अवसर मिला है जिसका फायदा उपभोक्ताओं को हो रहा है।

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