Hindi Newsबिज़नेस न्यूज़Inflation rises due to more than double increase in food prices RBI may abandon the idea of cutting rates - Business News India

बजट से पहले ही आम आदमी का बिगड़ा बजट, खाने-पीने के सामान के दाम हुए दोगुने से अधिक

आम बजट से पहले ही आम आदमी का बजट बिगड़ चुका है। खाने-पीने के समानों के दाम आसमान छू रहे हैं। इस वजह से बीते दिसंबर में खाने-पीने के सामान के दाम में दोगुना से अधिक वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय...

Drigraj Madheshia नई दिल्ली। एजेंसी, Sat, 29 Jan 2022 12:42 PM
हमें फॉलो करें

आम बजट से पहले ही आम आदमी का बजट बिगड़ चुका है। खाने-पीने के समानों के दाम आसमान छू रहे हैं। इस वजह से बीते दिसंबर में खाने-पीने के सामान के दाम में दोगुना से अधिक वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय सांख्यकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 4.05 प्रतिशत हो गई, जो इससे पिछले महीने 1.87 प्रतिशत थी। खाद्य महंगाई बढ़ने से दिसंबर में खुदरा महंगाई में भी तेज इजाफा हुआ है। बता दें 1 फरवरी को बजट पेश हो सकता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि रिजर्व बैंक महंगाई के ऊंचे स्तर को दॆखते हुए एक बार फिर दरों में कटौती के विचार को त्याग सकता है। रिजर्व बैंक के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में सकल मुद्रास्फीति अपने उच्चस्तर पर होगी। उसके बाद से यह नीचे आएगी। इससे पहले पिछले हफ्ते देश के कई अर्थशाश्त्रियों ने खुदरा महंगाई के 5.50 फीसदी से अधिक रहने की आशंका जताई थी और दिसंबर की खुदरा महंगाई उसके करीब रही है।

 खाद्य वस्तुओं में अनाज और उसके बने उत्पाद, अंडा, दूध तथा दूध के बने उत्पाद, मसाले तथा तैयार भोजन, स्नैक्स और मिठाई के मामले में महंगाई दर दिसंबर में पिछले महीने के मुकाबले अधिक रही। हालांकि, सब्जियों, फल और तेल एवं वसा की महंगाई दर की रफ्तार में कमी आई।   ईंधन और प्रकाश श्रेणी में मुद्रास्फीति दिसंबर महीने में इससे पूर्व माह के मुकाबले नरम हुई, लेकिन यह अभी भी 10.95 प्रतिशत पर है। नवंबर महीने में यह 13.35 प्रतिशत थी।


खुदरा महंगाई पर गौर करता है आरबीआई

रिजर्व बैंक द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर गौर करता है। ऊंची महंगाई को देखते हुए आरबीआई लगातार नौ मौद्रिक समीक्षा में दरों को स्थिर रखे हुए है। इस बार बजट के बाद रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक होने वाली है।

दरों में वृद्धि की आशंका जता रहे विशेष

अर्थशास्त्रियों का कहना है कि रिजर्व बैंक साल के मध्य में ब्याज दरों में भी वृद्धि कर सकता है। बार्कलेज इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने कहा, मुख्य मुद्रास्फीति अधिक है, क्योंकि बढ़ते दूरसंचार शुल्क और उच्च ऊर्जा लागत ने मौद्रिक नीति के संभावित कड़े होने के लिए मंच तैयार किया है। कोटक महिंद्रा बैंक की वरिष्ठ अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने कहा, अब, आरबीआई को मुद्रास्फीति को गंभीरता से देखना होगा। मूल मुद्रास्फीति बहुत उतार-चढ़ाव वाली और ऊंची बनी हुई है और आरबीआई को इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

औद्योगिक उत्पादन अप्रैल-नवंबर में 17.4 फीसदी बढ़ा

चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-नवंबर के दौरान औद्योगिक उत्पादन 17.4 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष 2020-21 की इसी अवधि में इसमें 15.3 प्रतिशत की गिरावट आयी थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) आंकड़ों के अनुसार मार्च, 2020 से शुरू हुई कोरोना वायरस महामारी के कारण औद्योगिक उत्पादन प्रभावित हुआ। उस समय इसमें 18.7 प्रतिशत की गिरावट आयी थी। महामारी की रोकथाम के लिये लगाये गये 'लॉकडाउन' से अप्रैल, 2020 में इसमें 57.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई थी।

राजकोषीय घाटा 7.1 प्रतिशत रहेगाः इक्रा

रेटिंग एजेंसी इक्रा ने वित्त वर्ष 2021-22 में सरकार का राजकोषीय घाटा 16.6 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान जताया है, जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब 7.1 फीसदी होगा। इक्रा रेटिंग्स ने बुधवार को एक रिपोर्ट में कहा कि चालू वित्त वर्ष में राज्यों का राजकोषीय घाटा 3.3 फीसदी के अपेक्षाकृत कम स्तर पर रहने का अनुमान है। इस तरह केंद्र एवं राज्यों का सामान्य राजकोषीय घाटा जीडीपी के करीब 10.4 प्रतिशत तक पहुंच सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक, अगले वित्त वर्ष 2022-23 में सरकार का राजकोषीय घाटा थोड़ा कम होकर 15.2 लाख करोड़ रुपये रह सकता है, जो जीडीपी का 5.8 प्रतिशत होगा। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि कर संग्रह में तेजी आने से सरकार की सकल कर प्राप्तियां वर्ष 2021-22 में बजट अनुमान से 2.5 लाख करोड़ रुपये तक अधिक रह सकती हैं। हालांकि, जून 2022 के बाद जीएसटी क्षतिपूर्ति की व्यवस्था खत्म होने से राज्य सरकारों का राजकोषीय घाटा बढ़ेगा।

 जानें Hindi News , Business News की लेटेस्ट खबरें, Share Market के लेटेस्ट अपडेट्स Investment Tips के बारे में सबकुछ।

ऐप पर पढ़ें