IMF ने कोरोना मैनेजमेंट पर की भारत सरकार की जमकर तारीफ, जानें क्या कुछ कहा
देश में कोरोना के मामले में लगातार गिरावट देखी जा रही है। इसका असर हमें आर्थिक गतिविधियों में भी देखने को मिल रहा है। देश के अलग-अलग हिस्सों में बाजार भी अब पूरी तरह से खुलने लगे हैं। भारत ने कोरोना...
देश में कोरोना के मामले में लगातार गिरावट देखी जा रही है। इसका असर हमें आर्थिक गतिविधियों में भी देखने को मिल रहा है। देश के अलग-अलग हिस्सों में बाजार भी अब पूरी तरह से खुलने लगे हैं। भारत ने कोरोना को जिस तरह से हैंडल किया है उसका मुरीद IMF भी हो गया है। आईएमएफ के सदस्यों द्वारा परामर्श पर आधारित रिपोर्ट में भारत सरकार की कोशिशों सराहते हुए इसे 'तेज और पर्याप्त' बताया है।
आईएमएफ द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में भारत सरकार की तारीफ करते हुए कहा गया है कि देश ने कोरोना के बावजूद भी श्रम सुधार और निजीकरण जारी रखा। हालांकि, इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अर्थतंत्र पर महामारी की वजह से अनिश्चितताओं का बादल बना हुआ है। कोविड की वजह से उभरे नकारात्मक का प्रभाव निवेश और अन्य विकास वाली योजनाओं में लम्बा दिख सकता है। एजेंसी ने कहा कि भारत ने महामारी से निपटने के लिए अच्छी कोशिश की है। जिसमें वित्तीय सहायता से लेकर मौद्रिक नीति में ढील जैसे फैसले शामिल हैं। आईएमएफ को उम्मीद है कि भारत के ग्रोथ में इन फैसलों का सकारात्मक असर देखने को मिल सकता है।
भारत की जीडीपी ग्रोथ को लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का भरोसा कायम है। आईएमएफ द्वारा बीते सप्ताह जारी ताजा अनुमानों के अनुसार भारत की अर्थव्यवस्था के वर्ष 2021 में 9.5 प्रतिशत और 2022 में 8.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है। इन आंकड़ों से साफ है कि आईएमएफ ने इस साल जुलाई में जारी अपने पिछले अनुमान पर स्थिर रखा है, हालांकि यह अप्रैल के अनुमानों के मुकाबले 1.6 प्रतिशत कम है।
आईएमएफ का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में प्रमुख मुद्रास्फीति 5.6 प्रतिशत पर रहेगी। आईएमएफ ने कहा, ''आर्थिक परिदृश्य पर अनिश्चितता के बादल हैं। कोविड-19 महामारी का निवेश, मानव पूंजी और वृद्धि के अन्य कारकों पर नकारात्मक असर जारी रहने से पुनरुद्धार में देरी हो सकती है और इससे मध्यम अवधि की वृद्धि प्रभावित हो सकती है।'' रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत जनांकिक लाभ की स्थिति में है, लेकिन महामारी की वजह से शिक्षा और प्रशिक्षण में अड़चन मानव श्रम पूंजी में सुधार को प्रभवित कर सकती है।
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