इलेक्ट्रिक मामलों में ग्लोबल स्टैंडर्ड फॉलो करे सरकार, इंडस्ट्री की अपील
बिजली के झटके और बड़े पैमाने पर आग के हादसे दोषपूर्ण या टूटे हुए बिजली के उपकरणों के कारण होती है लेकिन लोग अक्सर इस तथ्य को अनदेखा करते हैं या अनजान होते हैं, जो खतरनाक है।

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वैश्विक स्तर पर भारत की मजबूत स्थिति के बीच देश की इलेक्ट्रिक इंडस्ट्री ने विद्युत उत्पादों की क्वालिटी और परफॉर्मेंस को बेहतर बनाने के लिए सरकार से एक खास अपील की है। दरअसल, नेशनल फायर प्रोटेक्शन एसोसिएशन ने सरकार से ग्लोबल स्टैंडर्ड को फॉलो करने पर जोर दिया है। एसोसिएशन के मुताबिक बिजली के झटके और बड़े पैमाने पर आग के हादसे दोषपूर्ण या टूटे हुए बिजली के उपकरणों के कारण होती है लेकिन लोग अक्सर इस तथ्य को अनदेखा करते हैं या अनजान होते हैं, जो खतरनाक है।
क्या है तर्क: एसोसिएशन ने कहा- हालांकि, भारत का अपना भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) निर्धारित क्षमता में अपना सर्वश्रेष्ठ कर रहा है, लेकिन यह अंतिम उपयोगकर्ता सुरक्षा के लिए एजेंडा बिल्कुल भी निर्धारित नहीं करता है। साधारण तारों के मामले में, जिनका उपयोग लगभग हर घर में किया जाता है, बीआईएस अभी भी केवल पीवीसी इंसुलेटेड तारों को अनिवार्य करता है। ये तार केवल 70 डिग्री सेल्सियस तापमान का सामना कर सकते हैं। गर्मी के मौसम में हमारे देश के कुछ हिस्सों में तापमान 50 डिग्री तक पहुंच जाता है। ऐसे में इस तरह के तार से अनहोनी की आशंका बनी रहती है। इसके अलावा, यह पीवीसी इंसुलेशन जहरीला धुआं भी छोड़ता है जो विजिबलिटी को शून्य तक कम कर देता है और इस धुएं में सांस लेने वाले व्यक्ति के स्वास्थ्य को खराब करता है।
इलेक्ट्रिकल कंसल्टेंसी के क्षेत्र में काम करने वाले अजीत कुलकर्णी ने कहा- करीब सभी तरह के वायर्स से लगने वाली आग मूल रूप से इलेक्ट्रिकल गलतियों की वजह से होती हैं। इनमें निरीक्षण की कमी और कंप्लायंस भी नहीं होते हैं। एक स्टडी के मुताबिक बिजली से संबंधित आग के कारण भारत में हर दिन 50 से अधिक लोगों की मौत हो जाती है।
यह स्थिति सरकार से कदम उठाने और यह सुनिश्चित करने की मांग करती है कि भारतीय उत्पाद विश्व स्तर पर बराबरी पर हैं। इससे घरेलू बाजार को बेहतर उत्पाद और संबंधित सेवाएं हासिल करने में मदद मिलेगी। वहीं, विदेशी मुद्रा की बचत के लिए भी प्रयास किया जा सकेगा। इसके अलावा, बेहतर उत्पाद प्रदर्शन उच्च दक्षता सुनिश्चित करेगा, जिससे लागत कम होगी। वहीं, हमारी निर्यात प्रतिस्पर्धा और बेहतर राजस्व सुनिश्चित होगा।
