वैश्विक स्तर पर पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट यानि पीपीई किट की बढ़ती जरूरत को देखते हुए भारतीय उत्पादकों और निर्यातकों ने भी इन्हें बड़े पैमाने पर बनाने के लिए कमर कस ली है। कारोबारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में न सिर्फ कंपनयां देश की जरूरत के मुताबिक पीपीई किट का निर्माण करने लगेंगीं बल्कि विश्व स्तर पर पीपीई किट का हब भी बन सकती हैं।
अपेरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल की एक्सपोर्ट प्रमोशन कमेटी के चेयरमैन सुधीर सीकरी ने हिन्दुस्तान को बताया कि फिलहाल देश में ऐसी किट के निर्यात पर पाबंदी है। ऐसे में इसे बनाने में लगीं कंपनियां पूरी तरह देश की जरूरतों को पूरा करने में लगी हैं। कंपनियों ने इसके लिए खास तरह की मशीनें भी आयात की हैं। करीब 400 मशीनें आ भी चुकी हैं और बाकी का ऑर्डर वेटिंग पर है।
घटिया चीनी किट पर सवाल उठने से मिलेगा फायदा
सीकरी ने उम्मीद जताई है कि एक बार उद्योग इस दिशा में अपनी पूरी क्षमता के साथ काम करना शुरू कर देगा तो देश की जरूरत से ज्यादा किट बनने लगेंगीं। इसके बाद सरकार से निर्यात की भी इजाजत मिल सकेगी। इस दिशा में चीन की तरफ से आने वाली किट की खराब गुणवत्ता ने बाजार में चीनी किट पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। ऐसे में भारतीय कारोबारियों की नजर चीन विरोधी भावना को भुनाने पर भी लगी है। कंपनियों ने ऐसा माड्यूल तैयार किया है कि देश में ही बड़े पैमाने पर विश्वस्तरीय पीपीई किट बनने लगेंगीं। अभी रोजाना एक लाख पीपीई किट तैयार की जा रही है।
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आकलन के मुताबिक पीपीई किट का अगले एक साल में सिर्फ भारत में ही 10 हजार करोड़ रुपये का बाजार हो जाएगा। वहीं वैश्विक स्तर पर 60 बिलियन डॉलर की सालाना मांग अगले पांच वर्षों में होने के आसार हैं। हाल ही में देश में अवैध तरीके से नकली पीपीई किट बनने की भी बात सामने आई थी, वहीं कई ऐसी किट भी अस्पतालों को दी गई थीं जो डॉक्टरों को इन्फेक्शन से बचाने में नाकाम साबित हुईं।
नकली किट पर सख्ती
सरकार ने पहले ही नोटिफिकेशन जारी कर तय कर दिया है कि जो भी कंपनी पीपीई किट तैयार करें, उन्हें इसके लिए कपड़ा मंत्रालय से मंजूरी लेनी होगी। इसके लिए सरकार की तरफ से मानक भी निर्धारित कर दिए गए हैं। कंपनियों की तरफ से बनाई गई किट का पहले लैब में टेस्ट किया जाएगा। ये टेस्ट कोयंबटूर स्थित साउथ इंडिया टेक्सटाइल रिसर्च एसोसिएशन की लैब में और ग्वालिर की डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट लैब में किया जाएगा। लैब टेस्ट में पास होने के बाद ही किट बनाने वाले कारोबारी को इन्हें बेचने की इजाजत दी जाएगी।