PPF से ज्यादा रिटर्न पाना है, तो वाॅलेंटरी प्रोविडेंट फंड चुनें, जानें इनवेस्टमेंट के फायदे
अगर कोई कर्मचारी 12 फीसदी से अधिक का योगदान पीएफ में कर रहा है तो वह वाॅलेंटरी प्रोविडेंट फंड के अंदर आता है। इसमें कर्मचारी अपनी पूरी सैलरी इनवेस्ट कर सकता है। इसमें इंवेस्ट करने पर आपको टैक्स...
अगर कोई कर्मचारी 12 फीसदी से अधिक का योगदान पीएफ में कर रहा है तो वह वाॅलेंटरी प्रोविडेंट फंड के अंदर आता है। इसमें कर्मचारी अपनी पूरी सैलरी इनवेस्ट कर सकता है। इसमें इंवेस्ट करने पर आपको टैक्स में छूट भी मिलेगी। लेकिन यहां सिर्फ सैलरी कर्मचारी ही इनवेस्ट कर सकते हैं। आइए जानते हैं वाॅलेंटरी प्रोविडेंट फंड के फायदे -
• वाॅलेंटरी प्रोविडेंट फंड पर ब्याज दर भी अधिक मिलती है, साथ ही टैक्स में इसके जरिए छूट भी लिया जा सकता है।
• अगर आप अपनी कमाई का सरप्लस अमाउंट बैंक में जमा करते हैं तो आपको 5.5% की ब्याज दर मिलती है। वहीं वाॅलेंटरी प्रोविडेंट फंड में यह ब्याज दर 8.5% की मिलेगी। भविष्य में ब्याज दरों में बदलाव आ सकता है लेकिन फिर भी बैंक की ब्याज दरों की तुलना में यह 2% से 3% प्रतिशत अधिक ही रहेगा।
इस तरह के ट्रांजैक्शन में कैश पेमेंट लेने से बचना चाहिए, जानें क्या कहते हैं नियम
1-2 साल | 2-3 साल | |
ईपीएफ ब्याज दर 2020-21 |
8.5% |
NA |
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया |
4.90% | 5.2% |
एचडीएफसी बैंक | 4.90% | 5.15% |
आईसीआईसीआई बैंक | 4.90% | 5.15% |
पोस्ट ऑफिस टाइम डिपाॅजिट | 5.5% | 5.5% |
इमरजेंसी वक्त भी प्रयोग कर सकते हैं पैसा
वाॅलेंटरी प्रोविडेंट फंड में इनवेस्टमेंट का एक फायदा यह भी रहता कि जरूरत के समय पैसा निकाला जा सकता है। ईपीएफ नियमों के अनुसार इसकी अनुमति मिलती है। लेकिन एक्सपर्ट की माने तो 5 साल से पहले वाॅलेंटरी प्रोविडेंट फंड से पैसा नहीं निकालना चाहिए।
Gold Price: सोना अपने ऑल टाइम हाई से 8497 रुपये ही रह गया सस्ता, आगे इतना हो सकता है भाव
निवेश बेहद आसान
वीपीएफ में निवेश के लिए आपको पोस्टऑफिस या बैंक जाने की जरूरत नहीं है। आपको सिर्फ अपनी नियोक्ता कंपनी को इसकी जानकारी देनी होती है। इसके लिए आपको एक फॉर्म भरना होगा या मेल करना होगा। और तय रकम आपके खाते से कटकर पीएफ खाते में चली जाएगी। अगर आप अपनी नौकरी भी बदलते हैं तो भी ईपीएफओ की तरह वीपीएफओ की रकम भी स्थानांतरित हो जाएगी।