होम लोन न चुकाने वाले बढ़े, 75 लाख या इससे अधिक के होम लोन में डिफॉल्ट के मामले सबसे अधिक
कोरोना संकट की दूसरी लहर के कारण लाखों लोगों की वित्तीय स्थिति फिर से चरमरा गई है। इसका असर होम लोन पर देखने को मिला है। होम लोन की मासिक किस्त (ईएमआई) नहीं भरने वालों की संख्या एक बार फिर से बढ़ी...
कोरोना संकट की दूसरी लहर के कारण लाखों लोगों की वित्तीय स्थिति फिर से चरमरा गई है। इसका असर होम लोन पर देखने को मिला है। होम लोन की मासिक किस्त (ईएमआई) नहीं भरने वालों की संख्या एक बार फिर से बढ़ी है।
क्रेडिट इनफॉर्मेशन ब्यूरो क्रिफ हाई मार्क की रिपोर्ट के अनुसार, 75 लाख या इससे अधिक के होम लोन में डिफॉल्ट के मामले सबसे अधिक बढ़े हैं। इस सेगमेंट में ईएमाअई चूक के मामले सबसे अधिक 3.01 फीसदी (दिसंबर, 2020) तक पहुंच गए। वहीं, 35 लाख से अधिक और 75 लाख में चूक के मामले 1.96 फीसदी और 35 लाख तक में 2.56 फीसदी रहा। वहीं, सबसे अधिक चूक के मामले 10 लाख से कम के लोन में देखने को मिले हैं। इसमें चूक का प्रतिशत 4.44 फीसदी पहुंच गया है।
युवाओ में डिफॉल्ट का जोखिम अधिक
रिपोर्ट के अनुसार, होम लोन डिफॉल्ट का जोखिम 26 साल से कम उम्र वाले युवाओं में ज्यादा है। सबसे कम डिफॉल्ट का खतरा 45 साल से ज्यादा उम्र वाले ग्राहकों में, जबकि 27-45 साल वाले दूसरे सबसे कम जोखिम वाले ग्राहक हैं। लोन भुगतान की 90 दिन से ज्यादा बकाए की राशि कुल लोन बुक का 2.49 फीसदी रही। इसमें भी छोटे कर्जधारकों की संख्या ज्यादा है। 10 लाख से कम होम लोन में फंसे बकाए की हिस्सेदारी 4.44 प्रतिशत रही।
सस्ते घरों की मांग सबसे अधिक
कुल होम लोन में किफायती मकानों (35 लाख रुपये तक) की हिस्सेदारी संख्या के हिसाब से 90 फीसदी है, जबकि मूल्य के हिसाब से 60 फीसदी रही। किफायती मकानों की श्रेणी में 15 लाख तक के कर्ज की हिस्सेदारी संख्या के लिहाज से 70 फीसदी और मूल्य के हिसाब से 38 फीसदी है। दिसंबर, 2020 तक होम लोन लेने वाले युवाओं (36 साल से कम) की संख्या सालाना आधार पर 27 फीसदी बढ़ी है।
सरकारी बैंकों की सबसे अधिक हिस्सेदारी
होम लोन के कारोबार में सरकारी बैंकों की कुल हिस्सदारी 45 फीसदी के करीब है। इसमें शीर्ष पांच सरकारी बैंकों की हिस्सेदारी करीब 30 फीसदी है। वहीं, शीर्ष पांच निजी बैंकों की हिस्सेदारी होम लोन कारोबार में 15 फीसदी है जबिक एनबीएफसी कंपनियों की हिस्सेदारी 27 फीसदी है। रिपोर्ट के अनुसार, निजी क्षेत्र के बैंक अधिकांश होम लोन 75 लाख रुपये का दिए जबकि इस सेगमेंट में सरकारी बैंकों की हिस्सेदारी कम है।
छोटे शहरों में बढ़ी घर की मांग
क्रिफ हाई मार्क के प्रोडक्ट हेड, विपुल जैन ने कहा कि 35 लाख तक के लोन की मांग सबसे अधिक से बढ़ी है। छोट टिकट साइज के लोन की मांग बढ़ाने में टियर टू और थ्री (छोटे शहरों) का योगदान है। छोटे शहरों में होम लोन की मांग में वृद्धि मेट्रो शहरों के मुकाबले अधिक रहा है।
अपना घर खरीदने की चाह बढ़ी
अंतरिक्ष इंडिया ग्रप के सीएमडी राकेश यादव ने बताया कि कोरोना संकट के बाद लोगों में अपने घर खरीदने की चाह तेजी से बढ़ी है। यह ट्रेंड मेट्रो के अलावा छोटे शरहों में तेजी से बढ़ा है। ऐसा इसलिए कि कोरोना ने घर की अहमियत से रूबरू कराया है। इसके चलते अफोर्डेबल घरों की मांग सबसे अधिक तेजी से बढ़ी है। रेडी टू मूव और जल्द बन कर तैयार होने वाले प्रोजेक्ट में लोग अपना आशियाना खरीद रहे हैं।
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