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अनाज, दाल, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज एसेंशियल कमोडिटी एक्ट से बाहर

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को साढ़े छह दशक पुराने आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दे दी ताकि अनाज, दलहन और प्याज सहित खाद्य वस्तुओं को नियमन के दायरे से बाहर किया जा सके। उम्मीद है कि...

Drigraj Madheshia एजेंसी, नई दिल्लीThu, 4 June 2020 09:34 AM
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अनाज, दाल, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज एसेंशियल कमोडिटी एक्ट से बाहर

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को साढ़े छह दशक पुराने आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दे दी ताकि अनाज, दलहन और प्याज सहित खाद्य वस्तुओं को नियमन के दायरे से बाहर किया जा सके। उम्मीद है कि इससे इन वस्तुओं का व्यापार मुक्त तरीके से किया जा सकेगा और इससे किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।

संशोधन के जरिए राष्ट्रीय आपदाओं, अकाल के साथ कीमतों में बेतहाशा वृद्धि जैसी असाधारण परिस्थितियों में ही खाद्य पदार्थों के नियमन की बात कही गई है। इसके अलावा, प्रोसेसर और मूल्य श्रृंखला प्रतिभागियों को स्टॉक सीमा से छूट दी गई है। मंत्रिमंडल के फैसले की घोषणा करते हुए, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा: "आज एक ऐतिहासिक दिन है। तीन महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं जो कृषि क्षेत्र में बदलाव के साथ किसानों की मदद करने में एक लंबा रास्ता तय करेंगे।"

एक्ट से बाहर करना समय की मांग

उन्होंने कहा कि आवश्यक वस्तु (ईसी) कानून के तहत कृषि जिंसों को एसेंशियल कमोडिटी एक्ट के दायरे से बाहर करना समय की मांग है और यह निजी निवेशकों की अत्यधिक विनियामक हस्तक्षेप की आशंकाओं को दूर करता है। सरकार ने कहा कि आवश्यक वस्तु कानून में संशोधन के साथ, अनाज, दाल, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू जैसी वस्तुओं को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटा दिया जाएगा।

उपभोक्ताओं के हितों की भी रक्षा 

उत्पादन, भंडारण, कहीं ले जाने, वितरण और आपूर्ति करने की स्वतंत्रता से आर्थिक लाभ का दोहन संभव होगा और निजी क्षेत्र एवं प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का कृषि क्षेत्र की ओर आकर्षण होगा। उन्होंने कहा कि यह शीतभंडार गृहों में निवेश को बढ़ायेगा और खाद्य आपूर्ति श्रृंखला का आधुनिकीकरण करने में मदद करेगा। सरकार ने आगे कहा कि नियामक पर्यावरण को उदार बनाते हुए यह भी सुनिश्चित किया गया है कि उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा हो।

...ताकि कृषि में निवेश हतोत्साहित न हो

संशोधन में इस बात को रखा गया है, कि युद्ध, अकाल, असाधारण मूल्य वृद्धि और प्राकृतिक आपदा जैसी स्थितियों में, ऐसे कृषि खाद्य पदार्थों को विनियमित किया जा सकता है। हालांकि, एक मूल्य श्रृंखला प्रतिभागी की स्थापित क्षमता और एक निर्यातक की निर्यात मांग को इस तरह की स्टॉक सीमा लगाने से छूट दी जाएगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कृषि में निवेश हतोत्साहित न हो। उन्होंने कहा, "घोषित संशोधन से किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को मदद मिलेगी और मूल्यों में स्थिरता लाने में मदद मिलेगी। यह भंडारण सुविधाओं की कमी के कारण होने वाली कृषि उपज की बर्बादी को भी रोकेगा।"

कृषि-वस्तुओं का जरूरत से ज्यादा उत्पादन

सरकार ने कहा कि आवश्यक वस्तु कानून में संशोधन आवश्यक है, क्योंकि भारत अधिकांश कृषि-वस्तुओं का जरूरत से ज्यादा उत्पादन करने लग गया है। शीतभंडारगृहों, प्रसंस्करण और निर्यात व्यवस्था के लिए में निवेश की कमी किसानों को अच्छी कीमत नहीं मिल रही क्योंकि आवश्यक वस्तु कानून की लटकती तलवार के कारण इस क्षेत्र में उद्यमशीलता की भावना मर जाती है। किसानों को भारी नुकसान तब होता है जब जल्द खराब होने वाली कृषि वस्तुओं की भारी पैदावार होती है। पर्याप्त प्रसंस्करण सुविधाओं के साथ, इस अपव्यय का अधिकांश हिस्सा कम किया जा सकता है।

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