लॉकडाउन में HDFC बैंक ने ग्राहकों को दिया बड़ा तोहफा, कम कर दी EMI
एचडीएफसी बैंक ने 22 मई से अपने बेस रेट को 55 बीपीएस से घटाकर 8.10 प्रतिशत कर दिया है। आधार दर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित न्यूनतम दर है, जिसके नीचे बैंकों को अपने ग्राहकों को उधार...
एचडीएफसी बैंक ने 22 मई से अपने बेस रेट को 55 बीपीएस से घटाकर 8.10 प्रतिशत कर दिया है। आधार दर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित न्यूनतम दर है, जिसके नीचे बैंकों को अपने ग्राहकों को उधार देने की अनुमति नहीं है। सीएनबीसीटी18 के मुताबिक एक जुलाई 2010 (लेकिन 1 अप्रैल 2016 के पहले ) के बाद लिए गए सभी होम लोन बेस रेट पर आधारित हैं। इस मामले में बैंकों को यह आजादी है कि वे कॉस्ट ऑफ फंड्स की गणना औसत फंड कोस्ट के हिसाब से करें या एमसीएलआर के हिसाब से करें।
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बता दें भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को सबको रेपो रेट में 0.40 फीसदी कटौती की घोषणा की। इस फैसले के बाद बेस रेट पर आधारित सभी लोन की EMI 0.55 फीसदी तक घट जाएगी। अब रेपो रेट घटकर 4 फीसदी रह गई है। वहीं रिवर्स रेपो रेट में भी इतनी ही कमी की गई है और यह 3.35 फीसदी पर पहुंच गई है। रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है। रेपो रेट में कटौती के बाद लोन की ईएमआई का बोझ कम होगा।
एसबीआई भी दे सकता है राहत
एसबीआई ने अब तक रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा नीतिगत ब्याज दरों में कटौती का पूरा लाभ ग्राहकों को दिया है। ऐसे में एसबीआई भी लोन ब्याज दर में 0.40 फीसदी की कटौती कर सकता है। SBI के चेयरमैन रजीनश कुमार ने कहा कि आरबीआई के कदम से इंडस्ट्री और बैंक को मदद मिलेगी।
एफडी पर ब्याज दरों में हो सकती है कटौती
सिस्टम में तरलता बढ़ाने के लिए आरबीआई की ओर से घोषित कदमों से बैंकों में जमा राशि पर ब्याज दरों में कमी का दबाव बनेगा। जानकारों के मुताबिक, बैंक एक बार फिर जमा और एफडी पर ब्याज दरों में कटौती कर सकते हैं। पहले ही बैंक जमा पर ब्याज दरों में काफी कटौती कर चुके हैं।
रेपो रेट में कटौती से आप पर ऐसे पड़ता है असर
आरबीआई जब रेपो रेट में कटौती करता है तो प्रत्यक्ष तौर पर बाकी बैंकों पर वित्तीय दबाव कम होता है। आरबीआई की ओर से हुई रेपो रेट में कटौती के बाद बाकी बैंक अपनी ब्याज दरों में कटौती करते हैं। इसकी वजह से आपके होम लोन और कार लोन की ईएमआई में कमी आती है। रेपो रेट कम होता है तो महंगाई पर नियंत्रण लगता है। ऐसा होने से देश की अर्थव्यवस्था को भी बड़े स्तर पर फायदा मिलता है। ऑटो और होम लोन क्षेत्र को फायदा होता है। रेपो रेट कम होने से कर्ज सस्ता होता है और उससे होम लोन में आसानी होती है।
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ऐसी कंपनियां जिन पर काफी कर्ज है उन्हें भी फायदा होता है क्योंकि रेपो रेट कम होने के बाद उन्हें पहले के मुकाबले कम ब्याज चुकाना होता है। आरबीआई के इस फैसले से प्राइवेट सेक्टर में इनवेस्टमेंट को बढ़ावा मिलता है। इस समय देश में निवेश को आकर्षित करना सबसे बड़ी चुनौती है। इनफ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ता है और सरकार को इस सेक्टर को मदद देने के लिए बढ़ावा मिलता है। रेपो रेट कम होता है तो कर्ज सस्ता होता है और इसके बाद कंपनियों को पूंजी जुटाने में और आसानी होती है।
रिवर्स रेपो रेट में कटौती से क्या फायदा?
रिवर्स रेपो रेट में कमी का मतलब है कि बैंकों को अपना अतिरिक्त पैसा रिजर्व बैंक के पास जमा कराने पर कम ब्याज मिलेगा। बैंक अपनी नकदी को फौरी तौर पर रिजर्व बैंक के पास रखने को कम इच्छुक होंगे। इससे उनके पास नकदी की उपलब्धता बढ़ेगी। बैंक अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों को अधिक कर्ज देने को प्रोत्साहित होंगे। बैंक अपने अतिरिक्त धन को रिजर्व बैंक के पास जमा कराने की बजाय लोन के बांटकर अधिक ब्याज कमाने पर जोर देंगे। बैंक लोन पर ब्याज दरों में कटौती कर सकते हैं।
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