Hindi Newsबिज़नेस न्यूज़Hand sanitizer is not expected to be cheaper GST reduction is expected

हैंड सैनिटाइजर के सस्ता होने की उम्मीद नहीं, जीएसटी घटने के आसार कम

हैंड सैनिटाइजर पर 18 फीसदी के बजाए 12 फीसदी जीएसटी लगाने की व्पारियों की मांग पर राहत मिलने के आसार फिलहाल कम हैं। हिंदुस्तान को सूत्रों के जरिए मिली जानकारी के मुताबिक विभाग की तरफ से इस बारे जल्द...

Drigraj Madheshia नई दिल्ली। सौरभ शुक्ल , Tue, 14 July 2020 09:07 AM
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हैंड सैनिटाइजर पर 18 फीसदी के बजाए 12 फीसदी जीएसटी लगाने की व्पारियों की मांग पर राहत मिलने के आसार फिलहाल कम हैं। हिंदुस्तान को सूत्रों के जरिए मिली जानकारी के मुताबिक विभाग की तरफ से इस बारे जल्द ही एक नया नोटिफिकेशन जारी कर सफाई दी जा सकती है।  तमाम सैनिटाइजर मैनुफैक्चरर्स अलग अलग फोरम से लगातार वित्तमंत्री से इस पर 18 फीसदी के बजाय 12 फीसदी जीएसटी लगाए जाने की मांग कर रहे हैं। यही नहीं कारोबारियों की दलील है कि इस उत्पाद पर इतना ही जीएसटी लगाया जाना चाहिए। इसके पीछे वजह बताते हुए वो कहते हैं कि क्योंकि इसका इस्तेमाल मेडिकल कार्यों में होता है इसलिए इस पर 12 फीसदी जीएसटी ही लगाया जाना चाहिए।

जीएसटी इंटेलीजेंस ने लिखी चिट्ठी

पिछले ही हफ्ते जीएसटी इंटेलीजेंस के महानिदेशक ने जीएसटी अधिकारियों को चिट्ठी लिखकर चेताया था कि एल्कोहल आधारित सैनिटाइजर बनाने वाली कंपनियां बड़े पैमाने पर टैक्स की चोरी कर रही हैं। जीएसटी के प्रिंसिपल चीफ कमिश्नरों और चीफ कमिश्नरों को लिखी गई चिट्ठी में जीएसटी इंटेलीजेंस की तरफ से इनपुट दिया गया था कि कुछ कंपनियों 18 के बजाए इसे 12 फीसदी जीएसटी के साथ बेच रही हैं। 

जीएसटी इंटेलीजेंस यूनिट ने ये भी बताया कि चिकित्सीय इस्तेमाल की चीजें 12 फीसदी के दायरे में आती हैं वहीं फंगीसाइड, बायोडीजल और पेस्टीसाइड जैसी चीजों पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है और सैनिटाइजर चिकित्सीय वर्ग में। मामले से जुड़े अधिकारी का ये भी कहना है कि अगर सरकार सैनेटाइजर को 12 फीसदी के दायरे में लाने का फैसला करती भी है तो इसके लिए जीएसटी काउंसिल की मंजूरी लेनी पड़ सकती है और कारोबारियों को फौरी राहत नहीं मिलेगी। 

उत्पादन में तेजी

आंकड़ों के मुताबिक कोरोना के पहले देश में सैनिटाइजर बनाने वाली सिर्फ 35 मैन्युफैक्चर्रस थे लेकिन अब इनकी तादाद बढ़कर 48 हो गई है। वहीं देश में महामारी के पहले जहां इसका उत्पादन 1.95 करोड़ लीटर सालाना हुआ  करता था अब ये बढ़कर 4.15 करोड़ लीटर सालाना हो गया है।

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