इंतजार खत्म: जीएसटी से कालाधन और कर चोरी पर लगाम लगेगी
जीएसटी से कालेधन और कर चोरी पर अंकुश लगाने की सरकार की मुहिम को नई धार मिलेगी। नये कर ढांचे के तहत सामान और सेवाओं के हर स्तर पर कर चुकाने की नीति लागू होगी। ऐसे में कच्चे माल से उत्पाद तैयार होने तक...
जीएसटी से कालेधन और कर चोरी पर अंकुश लगाने की सरकार की मुहिम को नई धार मिलेगी। नये कर ढांचे के तहत सामान और सेवाओं के हर स्तर पर कर चुकाने की नीति लागू होगी। ऐसे में कच्चे माल से उत्पाद तैयार होने तक पूरी आपूर्ति शृंखला में किसी कारोबारी या कंपनी को कर छूट का लाभ तभी मिलेगा, जब उसने टैक्स चुकाने वाली कंपनी से व्यापार किया होगा। ऐसे में कर चोरी संभव नहीं होगी और कारोबार में कालेधन का इस्तेमाल नहीं हो सकेगा।
विशेषज्ञ वेद जैन के मुताबिक, पहले शुरुआती स्तर की बजाय सीधे उपभोक्ता पर लगने से कर चोरी होती थी। जबकि जीएसटी में उत्पाद के पहले चरण से उपभोक्ता के हाथों में पहुंचने तक कर लगता है। इसके बाद कर वापसी प्राप्त करने के लिए क्रेडिट का दावा किया जाता है। इसमें कोई कारोबारी अपने करों को जमा करते समय उत्पाद के पिछले स्तर पर चुकाए गए कर के लिए क्रेडिट का दावा कर सकता है। ऐसे में बाजार में कालेधन का इस्तेमाल किए बिना बिल के खरीद या बिक्री करने का कोई फायदा नहीं है, क्योंकि पीछे जिसने कर चुकाया है, उसे तभी वापसी मिलेगा जबकि आगे वाला चुकाएगा।
पांच साल तक कैद का प्रावधान
विशेषज्ञ रवि सिंह के मुताबिक, जीएसटी में कर चोरी पर एक से पांच साल की कैद और जुर्माने का भी प्रावधान है। अगर कर चोरी के बाद उद्यमी, कारोबारी या दुकानदार निरीक्षण दल के साथ सहयोग नहीं करता तो उसकी इकाई सील तक हो सकती है। सालाना 20 लाख रुपये से ज्यादा का कारोबारी जीएसटी में पंजीकरण नहीं कराता है तो उस पर जुर्माने का प्रावधान है।
जांच एजेंसियों के लिए भी आसानी होगी
रवि सिंह का कहना कि निरीक्षण के बाद संबंधित जांच एजेंसी को यह भी बताना होगा कि क्या खामियां मिली और क्या कार्रवाई की गई। वहीं अगर कोई कर अधिकारी मनमानी करता है तो उसकी शिकायत की जा सकती है। उन्होंने बताया कि जीएसटी व्यवस्था पूरी तरह से ऑनलाइन होने की वजह से प्राधिकार के लिए मिलान करना आसान होगा और किसी भी मामले में नतीजे तक पहुंचना मुश्किल नहीं होगा।
व्यापारियों को कर चुकाने पर मिलेगा लाभ
मान लीजिए, अगर आप व्यापारी हैं और आपके तैयार माल पर 500 रुपये कर बनता है। साथ ही आपने जो कच्चा माल खरीदा है, उस पर 300 रुपये टैक्स चुकाया है तो आप 300 रुपये कर वापसी का दावा कर सकते हैं। इसे ही इनपुट टैक्स क्रेडिट कहते हैं। इससे आपूर्ति शृंखला के हर स्तर पर कर देनदारी के साथ कर का बोझ भी कम होगा।
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