GST से जुड़ी गड़बड़ियां अपराध है या नहीं? 17 दिसंबर को काउंसिल बैठक में होगा मंथन
केंद्र सरकार ने सितंबर में कहा था कि जीएसटी अधिकारी माल एवं सेवा कर में गड़बड़ी के उन मामलों में अभियोजन शुरू कर सकते हैं जहां कर चोरी या इनपुट कर क्रेडिट का दुरुपयोग पांच करोड़ रुपये से अधिक है।

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आगामी 17 दिसंबर को होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में इसके कानून को लेकर चर्चा संभव है। जानकारी के मुताबिक काउंसिल, जीएसटी कानून के तहत गड़बड़ियों को अपराध की श्रेणी से बाहर लाने पर चर्चा कर सकती है। इसके साथ ही अभियोजन चलाने के लिये सीमा मौजूदा पांच करोड़ रुपये से बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये करने पर विचार किया जा सकता है।
केंद्र सरकार ने सितंबर में कहा था कि जीएसटी अधिकारी माल एवं सेवा कर में गड़बड़ी के उन मामलों में अभियोजन शुरू कर सकते हैं जहां कर चोरी या इनपुट कर क्रेडिट (आईटीसी) का दुरुपयोग पांच करोड़ रुपये से अधिक है।
अधिकारियों के मुताबिक काउंसिल के समक्ष विभिन्न प्रस्तावों में से एक जीएसटी के तहत आपराधिक कार्रवाई शुरू करने के लिये राशि सीमा बढ़ाना है। इसके तहत 20 करोड़ रुपये से अधिक की गड़बड़ियों के मामले में ही आपराधिक कार्रवाई शुरू करने पर विचार किया जा सकता है। साथ ही निर्धारित सीमा से नीचे के मामले में गड़बड़ी करने वालों की संपत्ति कुर्क नहीं की जाएगी।
ये भी हो सकता है विचार: जीएसटी काउंसिल उन दंडनीय अपराधों को हटाने पर भी विचार कर सकती है जो पहले ही जीएसटी अधिनियम से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत लाये गये हैं। इसका मकसद कानून को करदाताओं के और अनुकूल बनाना है। अधिकारियों ने कहा कि जीएसटी अधिकारियों की विधि समिति ने कानून को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के प्रयास के तहत जीएसटी अधिनियम की धारा 132 में बदलाव को अंतिम रूप दे दिया है।
संसद में आएगा प्रस्ताव: जीएसटी कानून को गैर-अपराधिक श्रेणी में लाने के प्रस्ताव को जीएसटी काउंसिल से मंजूरी मिलने के बाद केंद्रीय जीएसटी अधिनियम में संशोधन सात दिसंबर से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है। संसद की मंजूरी के बाद राज्यों को अपने जीएसटी कानून में संशोधन करने की आवश्यकता होगी। अधिकारियों ने यह भी कहा कि स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम पर जीएसटी को मौजूदा 18 प्रतिशत से घटाने के लिये विभिन्न सुझाव प्राप्त हुए हैं।