ऑनलाइन खाना मंगाना पड़ेगा महंगा? जानिए GST काउंसिल के फैसले के मायने
बीते कुछ दिनों से ऐसी खबरें चल रही थीं कि स्विगी और जोमैटो जैसे फूड डिलिवरी ऐप्स अब 5 फीसदी जीएसटी के दायरे में आएंगे। हालांकि, जीएसटी काउंसिल की 45वीं बैठक में इसको लेकर निर्णय नहीं लिया गया है...
बीते कुछ दिनों से ऐसी खबरें चल रही थीं कि स्विगी और जोमैटो जैसे फूड डिलिवरी ऐप्स अब 5 फीसदी जीएसटी के दायरे में आएंगे। हालांकि, जीएसटी काउंसिल की 45वीं बैठक में इसको लेकर निर्णय नहीं लिया गया है लेकिन इसके बावजूद फूड डिलिवरी करने वाले एग्रीगेटर्स की टेंशन बढ़ गई है।
क्या है मामला: दरअसल, स्विगी और जोमैटो जैसी ई-कॉमर्स इकाइयां उनके जरिये आपूर्ति की जाने वाली रेस्तरां सर्विस पर जीएसटी का भुगतान करेंगी। अब तक रेस्तरां द्वारा इस टैक्स का भुगतान किया जाता था। इससे फूड डिलिवरी ऐप्स का कोई लेना-देना नहीं होता था लेकिन अब जोमैटो और स्विगी जैसे एग्रीगेटर इस टैक्स का भुगतान करेंगे। ऐसे में इस बोझ की वसूली ग्राहकों से की जाने की आशंका की जा रही थी।
हालांकि, राजस्व सचिव ने स्पष्ट किया है कि ये कोई अतिरिक्त टैक्स नहीं है। पहले रेस्तरां से ये टैक्स लिया जा रहा था लेकिन इसे अब फूड एग्रीगेटर्स को ट्रांसफर कर दिया गया है। राजस्व सचिव के मुताबिक कई रेस्तरां इस टैक्स की ग्राहकों से वसूली तो कर रहे थे लेकिन भुगतान नहीं कर रहे थे। अब इसकी जिम्मेदारी फूड एग्रीगेटर्स को दी गई है। मतलब ये हुआ कि ग्राहकों के लिए फूड डिलिवरी पर किसी तरह का बोझ नहीं बढ़ने वाला है।
पेट्रोल-डीजल पर बात नहीं: काउंसिल की बैठक में पेट्रोल और डीजल को फिलहाल जीएसटी के दायरे में नहीं लाने का निर्णय लिया गया है। हालांकि, डीजल में मिलाये जाने वाले बायोडीजल पर जीएसटी दर को 12 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है। इसके अलावा, माल ढुलाई वाहनों के परिचालन के लिये राज्यों द्वारा वसूले जाने वाले राष्ट्रीय परमिट शुल्क से छूट देने का फैसला किया गया है।
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