जीएसटी की सिर्फ तीन श्रेणी में बदलाव संभव, 28 फीसद वाली दर बरकरार रहेगी
राजस्व सचिव तरुण बजाज ने कहा,श्रेणियों में बदलाव पर चर्चा करने के लिए तैयार( 5 फीसदी श्रेणी में ज्यादातर खाद्य वस्तुएं शामिल हैं। 60 फीसदी राजस्व में हिस्सेदारी 18 फीसदी जीएसटी श्रेणी से आता है।
राजस्व सचिव तरुण बजाज ने कहा है सरकार की विलासिता वाले उत्पादों पर 28 प्रतिशत की जीएसटी दर को ही कायम रखने की मंशा है। हालांकि, लेकिन वह कर की तीन अन्य श्रेणियों को दो श्रेणियों में बदलने पर चर्चा करने के लिए तैयार है। इससे यह संकेत मिल रहे हैं कि सरकार मौजूदा चार की बजाय जीएसटी की तीन श्रेणी रखना चाहती है। साथ ही पांच, 12 और 18 फीसदी श्रेणी में बदलाव कर सकती है।
बजाज ने यहां उद्योग मंडल एसोचैम के एक कार्यक्रम में कहा कि नीति-निर्माताओं को कर की दरें 15.5 प्रतिशत के राजस्व-तटस्थ स्तर तक ले जाने की कोई जल्दबाजी नहीं है। बजाज ने कहा, जहां तक जीएसटी के कर ढांचे का सवाल है तो पांच, 12, 18 और 28 प्रतिशत की दरों में से हमें 28 प्रतिशत की दर बरकरार रखनी होगी।
एक विकासशील एवं आय असमानता वाली अर्थव्यवस्था में कुछ ऐसे लग्जरी उत्पाद होते हैं जिन पर ऊंची कर दर लगाए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, हालांकि अन्य तीन कर दरों को हम दो दरों में समायोजित कर सकते हैं। इस तरह हम यह देख सकते हैं कि देश किस तरह आगे बढ़ता है और क्या इन दरों को कम कर सिर्फ एक दर पर लाया जा सकता है या नहीं।
पेट्रोलियम उत्पाद को जीएसटी में लाने की उम्मीद
पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग पर उन्होंने कहा कि ईंधन पर लगने वाला कर केंद्र एवं राज्य सरकारों के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा होता है लिहाजा इसे लेकर कुछ आशंकाएं भी हैं। उन्होंने कहा, हमें इसके लिए कुछ वक्त इंतजार करना होगा।
मंत्री समूह कर रहा विचार
जीएसटी परिषद ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की अध्यक्षता में एक मंत्री समूह बनाया है जो कर दरों को युक्तिसंगत बनाने पर गौर कर रहा है। मंत्री समूह को अंतिम रिपोर्ट देने के लिए तीन महीने का अतिरिक्त समय दिया गया है।
राजस्व सचिव ने कहा कि जीएसटी प्रणाली के लागू होने के पांच साल बाद अब आत्मावलोकन का समय है ताकि यह देखा जा सके कि जीएसटी दर ढांचा किस तरह विकसित हुआ है। इस दौरान इसपर भी गौर किया जाना चाहिए कि दरों की संख्या में कटौती करने की जरूरत है या नहीं। इसके अलावा किन उत्पादों पर अधिक कर लगाया जाना चाहिए और किन उत्पादों को निचले स्लैब में रखना चाहिए।
राजस्व सचिव तरुण बजाज ने कहा है, 'हमें 28 प्रतिशत की दर बरकरार रखनी होगी। हालांकि, अन्य तीन कर दरों को हम दो दरों में समायोजित कर सकते हैं। यह एक बहुत बड़ी चुनौती है।'
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