राहत भरी खबर: थोक महंगाई दर घटकर 2.26% पर आई
पिछले महीने लोगों को महंगाई से थोड़ी राहत देखने को मिली है। खाद्य कीमतों में नरमी के चलते खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में धीमी पड़कर 6.58 प्रतिशत पर आ गई। सरकार ने इस संबंध में बृहस्पतिवार (12 मार्च) को...
पिछले महीने लोगों को महंगाई से थोड़ी राहत देखने को मिली है। खाद्य कीमतों में नरमी के चलते खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में धीमी पड़कर 6.58 प्रतिशत पर आ गई। सरकार ने इस संबंध में बृहस्पतिवार (12 मार्च) को आंकड़े जारी किए। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति जनवरी 2020 में 7.59 प्रतिशत थी, जबकि फरवरी 2019 में यह आंकड़ा 2.57 प्रतिशत था। फरवरी में थोक महंगाई दर घटकर 2.26% पर आ गई है, जबकि यह जनवरी में 3.1 फीसदी पर रही थी। महंगाई दर में कमी आने की सबसे बड़ी वजह दालों और सब्जियों के रेट में कमी। हालांकि अंडे और मांस-मछली की महंगाई दर में थोड़ी तेजी फरवरी में देखने को मिली है।
अंडे और मांस-मछली की महंगाई दर 6.73 फीसदी से बढ़कर 6.88 फीसदी पर आ गई है वहीं आलू की महंगाई दर में भी कमी देखी गई है और सब्जियों में इसके दाम में कमी का असर खाद्य महंगाई में कटौती के तौर पर देखा जा रहा है।
सोमवार को जारी वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार फरवरी 2020 में खाद्य सामग्रियों की थोक मुद्रास्फीति जनवरी 2020 के 11.51 प्रतिशत से कम होकर 7.79 प्रतिशत पर आ गयी। इसी तरह आलू और प्याज की थोक मुद्रास्फीति भी जनवरी 2020 के 293.37 प्रतिशत और 87.84 प्रतिशत से कम होकर फरवरी 2020 में क्रमश: 162.30 प्रतिशत और 60.73 प्रतिशत पर आ गयी। पूर्व कारणों से चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति की दर अभी तक 1.92 प्रतिशत है, जो साल भर पहले 2.75 प्रतिशत थी।
इक्रा की अर्थशास्त्री अदिति नैयर ने कहा, ''फरवरी 2020 में थोक मुद्रास्फीति में ठीक-ठाक गिरावट देखने को मिली है, और यह हमारे अनुमान के अनुकूल है। यह गिरावट मुख्यत: खाद्य सामग्रियों के दाम कम होने तथा कच्चा तेल व खनिजों के दाम में भी कुछ नरमी आने के कारण है। कच्चा तेल और खनिजों के दाम में आयी गिरावट का असर आने वाले महीने में अधिक होने वाला है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार फरवरी 2020 में खाद्य क्षेत्र की महंगाई घटकर 10.81 प्रतिशत रही, जो जनवरी में 13.63 प्रतिशत थी। रिजर्व बैंक की द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों को तय करने में खुदरा मुद्रास्फीति एक अहम कारक होता है। सरकार ने रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति चार प्रतिशत से नीचे रखने का लक्ष्य दिया है।
(इनपुट भाषा)
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