Gold Hallmarking: अब असली और नकली सोने की पहचान करना होगा आसान, सरकार आज से लागू कर रही है नियम
अगर आप सोने की खरीदारी करने जा रहे हैं या फिर निकट भविष्य में आपको ज्वेलरी खरीदनी है तो आपके लिए जरूरी खबर है। सरकार ने हाॅल मार्किंग को आज से लागू कर दिया है। पहले यह एक जून से लागू होना...
अगर आप सोने की खरीदारी करने जा रहे हैं या फिर निकट भविष्य में आपको ज्वेलरी खरीदनी है तो आपके लिए जरूरी खबर है। सरकार ने हाॅल मार्किंग को आज से लागू कर दिया है। पहले यह एक जून से लागू होना था, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए इसे आज से लागू किया जा रहा है। सरकार ने यह बड़ा बदलाव सोने के नाम पर की जा रही धोखाधड़ी को रोकने के लिए किया है। साथ ही इस बदलाव से अब असली और नकली सोने की पहचान करना आसान हो जाएगा।
नई गाइडलाइन के अनुसार अब ज्वलेर्स सिर्फ 14,18 और 22 कैरेट गोल्ड ही बेच पाएंगे। सरकार के अनुसार पिछले कुछ सालों में देशभर के अलग-अलग हिस्सों में हाॅलमार्किंग सेंटर में 25% प्रतिशत का इजाफा हुआ है। आइए जानते हैं कि यह हाॅलमार्किंग क्या है और कैसे आप इससे नकली और असली सोना में अंतर कर पाएंगे -
क्या है हॉलमार्किंग
हॉलमार्क सरकारी गारंटी है। हॉलमार्क का निर्धारण भारत की एकमात्र एजेंसी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) करती है। हॉलमार्किंग में किसी उत्पाद को तय मापदंडों पर प्रमाणित किया जाता है। भारत में बीआईएस वह संस्था है, जो उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराए जा रहे गुणवत्ता स्तर की जांच करती है। सोने के सिक्के या गहने कोई भी सोने का आभूषण जो बीआईएस द्वारा हॉलमार्क किया गया है, उस पर बीआईएस का लोगो लगाना जरूरी है। इससे पता चलता है कि बीआईएस की लाइसेंस प्राप्त प्रयोगशालाओं में इसकी शुद्धता की जांच की गई है।
हॉलमार्किंग केन्द्र की मौजूदा स्थिति
- असली हॉलमार्क पर बीआईएस का तिकोना निशान होता है
- उस पर हॉलमार्किंग केन्द्र का लोगो होता है
- सोने की शुद्धता भी लिखी होती है
- ज्वैलरी निर्माण का वर्ष
- उत्पादक का लोगो भी होता है
ऐसे करें शुद्धता की पहचान
- 24 कैरेट शुद्ध सोने पर 999 लिखा होता है
- 22 कैरेट की ज्वेलरी पर 916 लिखा होता है
- 21 कैरेट सोने की पहचान 875 लिखा होना
- 18 कैरेट की ज्वेलरी पर 750 लिखा होता है
- 14 कैरट ज्वेलरी पर 585 लिखा होता है
क्यों जरूरी है ज्वैलरी की हॉलमार्किंग
1- ग्राहकों को नकली ज्वैलरी से बचाने और ज्वैलरी कारोबार की निगरानी के लिए हॉलमार्किंग जरूरी है।
2- हॉलमार्किंग का फायदा यह है कि जब आप इसे बेचने जाएंगे तो किसी तरह की डेप्रिसिएशन कॉस्ट नहीं काटी जाएगी। मतलब आपको सोने की सही कीमत मिल सकेगी।
3- हॉलमार्किंग में सोना कई फेज में गुजरता है। ऐसे में इसकी शुद्धता में गड़बड़ी की गुंजाइश नहीं रहती।
4- इसके साथ ही पिछले साल पारित बीआईएस कानून के मुताबिक हॉलमार्किंग के नियम तोड़ने वालों पर न्यूनतम 1 लाख रुपए से ज्वैलरी की वैल्यू के 5 गुना तक जुर्माने और एक साल की सजा का प्रावधान है।
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