अभी और सताएंगे गैस के दाम, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतों में सात गुना वृद्धि
पिछले दो वर्षों में तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में सात गुना वृद्धि के कारण घरेलू गैस की कीमतें ऐतिहासिक उच्च स्तर पर पहुंच गईं। दरों में यह तेजी अगले 6 माह तक बनी रह सकती है।
पिछले दो वर्षों में तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में सात गुना वृद्धि के कारण घरेलू गैस की कीमतें ऐतिहासिक उच्च स्तर पर पहुंच गईं। गैस की दरों में यह तेजी अगले छह माह तक बने रहने की संभावना है। इसके अलावा, अगर रूस-यूक्रेन युद्ध और भड़कता है तो इसके भाव में और भी तेज हो सकते हैं। ऐसा होने पर औद्योंगिक ग्राहकों, घरेलू खपत करने वालों और केंद्र सरकार पर बोझ काफी ज्यादा बढ़ जाएगा।
तीन गुना बढ़े गैस के दाम
सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों के वर्चस्व वाले पुराने और स्थापित गैस क्षेत्रों से गैस की कीमत एक साल पहले की तुलना में लगभग तीन गुना बढ़कर 8.57 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू (मिलियन मीट्रिक ब्रिटिश थर्मल यूनिट) हो गई है। वहीं रिलायंस के केजी-डी6 बेसिन जैसे अधिक कठिन गहरे पानी वाले क्षेत्रों की गैस की अधिकतम कीमत एक साल में दोगुना होकर 12.46 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू हो गई है।
यूरोप का गैस संकट दुनिया के लिए खतरा
सरकार गैस के दामों को नियंत्रित करती है और हर छह महीने पर इनमें संशोधन करती है। 2021 के मध्य में लॉकडाउन खुलने के बाद गैस की मांग में तेज उछाल आया था। इसके बाद इस साल की शुरुआत में यूक्रेन युद्ध के चलते यूरोप को गैस की आपूर्ति में बाधा आ रही है। यूरोप के गैस संकट को भांपते हुए इंटरनेशनल मॉनेट्री फंड का गैस मूल्य सूचकांक इस साल 72 फीसदी बढ़ चुका है। गैस के वायदा अनुबंधों के मुताबिक उम्मीद की जा रही है कि फरवरी 2023 तक गैस के दाम उच्च स्तर पर बने रहेंगे। इस बीच युद्ध का हल न निकला तो इससे आगे भी दामों में तेजी बनी रह सकती है।
गैस का अर्थशास्त्र
सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल अगस्त में घरेलू गैस का उत्पादन 2896 मिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर था जो पिछली अगस्त से एक फीसदी कम है। वैश्विक कीमतों में वृद्धि के कारण आयात पर ज्यादा असर पड़ा है। भारत ने अगस्त में 2369 मिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर गैस का आयात किया जो पिछले साल के मुकाबले 19 फीसदी कम है। भारत हर माह अपनी जरूरत की 45 से 50 फीसदी गैस का आयात करता है। वहीं यूरोपीय देश अपनी गैस की मांग को पूरा करने के लिए दूसरे देशों से तेज बोली लगाकर बाजार से गैस उठा रहे हैं।
सब्सिडी में तेज इजाफा
प्राकृतिक गैस उर्वरक उद्योग के लिए काफी जरूरी उत्पाद है और इससे अमोनिया बनाया जाता है। वैसे दूसरे ईंधन भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं लेकिन वे बेहद खर्चीले हैं। गैस के दाम बढ़ने से उत्पाद लागत में इजाफा हो रहा है। इसके चलते केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी में भी तेज इजाफा हुआ है। इस साल अप्रैल से अगस्त तक लगभग 1.21 खरब की उर्वरक सब्सिडी दी गई जो पिछले साल की तुलना में 32 फीसदी ज्यादा है। गैस के दामों में तेजी को देखते हुए सरकार गैस सेक्टर पर भी अप्रत्याशित लाभ कर लगाने पर विचार कर रही है।
घर के बजट पर दबाव
जो लोग घर और वाहन में गैस का इस्तेमाल करते हैं उन पर बोझ काफी बढ़ गया है। घरों में पीएनजी कनेक्शन की संख्या इस साल अब तक 14 फीसदी बढ़ चुकी है। इसी अवधि में देश में सीएनजी स्टेशनों की संख्या 28.5 फीसदी बढ़कर 4667 हो गई है। दिल्ली में पीएनजी के दाम जहां 40 से 42 फीसदी बढ़े हैं वहीं मुंबई में 21 से 23 फीसदी तक बढ़े हैं।
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