लॉकडाउन में खाने-पीने की चीजों की कीमतों में भारी इजाफा, 20 फीसद तक बढ़े सब्जियों के दाम
मार्च में खाने-पीने की कीमतें काबू में आईं तो लॉकडाउन ने उस पर पानी फेर दिया। चावल, दाल, गेहूं , तेल जैसे रोजाना इस्तेमाल होने वाले खाद्य पदार्थों की कीमतों में काफी वृद्धि हुई है। दाल और वनस्पति तेल...

मार्च में खाने-पीने की कीमतें काबू में आईं तो लॉकडाउन ने उस पर पानी फेर दिया। चावल, दाल, गेहूं , तेल जैसे रोजाना इस्तेमाल होने वाले खाद्य पदार्थों की कीमतों में काफी वृद्धि हुई है। दाल और वनस्पति तेल की कीमतों में तो आग लगी हुई है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के मुताबिक लॉकडाउन से पहले दिल्ली में अरहर दाल की कीमत 93 रुपये प्रति किलोग्राम थी, लेकिन 28 अप्रैल को यह 106 रुपये प्रति किलो दर्ज की गई।
वस्तु | लॉकडाउन से पहले | लॉकडाउन के बाद |
चने की दाल | 72 | 86 |
मसूर दाल | 71 | 81 |
सरसों तेल | 124 | 132 |
सोया तेल | 111 | 121 |
(आंकड़े रुपये प्रति किलोग्राम में )
छोटे शहरों में ज्यादा बढ़े दाम
IGIDR रिपोर्ट के मुताबिक, लॉकडाउन के 28 दिनों के दौरान कई दालों की कीमत लॉकडाउन से पहले के माह के मुकाबले औसतन लगभग 6 फीसदी बढ़ गई हैं। ज्यादातर खाने के तेल 3.5 प्रतिशत महंगे हो गए हैं। अगर सब्जियों की बात करें तो शहरों में खुदरा खाद्य कीमतों में 20 फीसदी तक की वृद्धि हुई है। अंग्रेजी के अखबार फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक IGIDR रिपोर्ट कहती है कि सर्वे संकेत देते हैं कि लॉकडाउन में 11159 वर्कर्स में से लगभग 96 फीसद लोगों को सरकार से राशन नहीं मिला है। वहीं 72 फीसद का कहना है कि उनका राशन दो दिन में ही खत्म हो गया और 90 फीसदी का कहना है कि उन्हें वेतन/मजदूरी नहीं मिली है।
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बता दें कि मार्च में खुदरा महंगाई दर घटकर 5.91 फीसदी पर आ गई थी। खाने-पीने की चीजें सस्ती होने की वजह से इनके दाम घटे हैं, लेकिन अगर हम इसे पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले देखें तो यह ज्यादा है। पिछले साल इसी महीने में मंहगाई दर 2.86 फीसदी थी। एक महीना पहले फरवरी में खुदरा महंगाई दर 6.58 फीसदी थी।