ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News BusinessFitch Ratings projects Indian economy to contract 5 Percent in FY21

कोरोना लॉकडाउन का असर: फिच रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी का अनुमान और घटाया

फिच रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष (2020-21) में भारतीय अर्थव्यवस्था में पांच प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया है। फिच ने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से देश में सख्त लॉकडाउन नीति लागू की गई है। इससे...

कोरोना लॉकडाउन का असर: फिच रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी का अनुमान और घटाया
पीटीआई,नई दिल्लीWed, 27 May 2020 02:38 AM
ऐप पर पढ़ें

फिच रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष (2020-21) में भारतीय अर्थव्यवस्था में पांच प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया है। फिच ने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से देश में सख्त लॉकडाउन नीति लागू की गई है। इससे आर्थिक गतिविधियों में जबर्दस्त गिरावट आई, जिसका सीधा असर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर पर पड़ेगा। इससे पहले फिच ने अप्रैल में अनुमान लगाया था कि चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी की वृद्धि दर 0.8 प्रतिशत रहेगी। अब फिच ने अपने इस अनुमान को काफी अधिक घटा दिया है।

रेटिंग एजेंसी ने मंगलवार (26 मई) को मई के अपने ताजा वैश्विक आर्थिक परिदृश्य (जीईओ) में कहा है कि अगले वित्त वर्ष यानी 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार आएगा और यह 9.5 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करेगी। फिच का अनुमान है कि बीते वित्त वर्ष 2019-20 में भारत की वृद्धि दर 3.9 प्रतिशत रहेगी। रेटिंग एजेंसी ने वैश्विक जीडीपी की वृद्धि दर के अनुमान में भी कटौती की है। लेकिन साथ ही कहा कि वैश्विक आर्थिक गतिविधियों में गिरावट अब धीरे-धीरे समाप्त हो रही है।

बेहद खराब स्थिति में पहुंचा भारत-चीन व्यापार, अरबों के नुकसान की आशंका

फिच ने कहा कि सबसे अधिक कटौती भारत की वृद्धि दर में की गई है। चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में पांच प्रतिशत की भारी गिरावट आएगी। पहले भारतीय अर्थव्यवस्था में 0.8 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया गया था। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि 2020 में वैश्विक जीडीपी में गिरावट में मुख्य योगदान चीन को छोड़कर अन्य उभरते बाजारों का रहेगा। भारत और रूस में जहां वृद्धि दर पांच प्रतिशत गिरेगी, वहीं ब्राजील और मेक्सिको में इसमें 6-7 प्रतिशत की गिरावट आएगी। फिच ने कहा कि यह अप्रैल के मध्य से कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों तथा उसे फैलने से रोकने के लिए किए गए उपायों को दर्शाता है।

फिच ने कहा, ''भारत में काफी सख्त लॉकडाउन नीति लागू की गई है। इसके अलावा राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध उम्मीद से कहीं अधिक लंबे खिंच गए हैं। जो आर्थिक गतिविधियों के आंकड़े आ रहे हैं, वे बहुत ज्यादा कमजोर हैं।" फिच ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली दो तिमाहियों अप्रैल-जून और जुलाई-सितंबर में भारतीय अर्थव्यवस्था में क्रमश: सालाना आधार पर 2.7 प्रतिशत और 12.4 प्रतिशत की गिरावट आएगी। हालांकि जनवरी-मार्च की तिमाही में वृद्धि दर 1.2 प्रतिशत रहेगी।

पाकिस्तान में डीजल के बाद अब पेट्रोल की भारी कमी, कई शहरों में पंप बंद

रेटिंग एजेंसी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर में गिरावट की प्रमुख वजह उपभोक्ता खर्च में 8.3 प्रतिशत की कमी और निश्चित निवेश में 9.7 प्रतिशत की गिरावट रहेगी। फिच ने वैश्विक वृद्धि दर के अनुमान को भी घटाया है। फिच के मुख्य अर्थशास्त्री ब्रायन कुल्टन ने कहा, ''वैश्विक वृद्धि दर में 4.6 प्रतिशत की गिरावट आएगी। अप्रैल में इसमें 3.9 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया गया था। यह यूरोक्षेत्र और ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर के अनुमान को और घटाने की वजह से है। इसके अलावा चीन को छोड़कर अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर के अनुमान को भी कम किया गया है।

फिच का अनुमान है कि चीन को छोड़कर उभरती अर्थव्यवस्थाओं में चालू वित्त वर्ष में 4.5 प्रतिशत की गिरावट आएगी। हालांकि एजेंसी ने चीन, अमेरिका और जापान की वृद्धि दर के अप्रैल के अनुमान को (क्रमश: 0.7 प्रतिशत, -5.6 प्रतिशत और -5 प्रतिशत पर) कायम रखा है। फिच ने कहा कि दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं को सामान्य स्थिति में आने में काफी समय लगेगा। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि मई में अमेरिका की बेरोजगारी की दर 20 प्रतिशत पर पहुंच जाने का अनुमान है। इसके अलावा मौजूदा सामाजिक दूरी दिशानिर्देशों की वजह से संकट के बाद भी उपभोक्ता खर्च तेजी से नहीं बढ़ेगा। वहीं कंपनियां पूंजीगत खर्च करते समय काफी सावधानी बरतेंगी।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें