
एफडी-पीपीएफ ने पांच साल में SIP से ज्यादा दिया रिटर्न
संक्षेप: आम निवेशकों के बीच यह धारणा है कि सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (सिप) के जरिये किया हुआ निवेश सावधि जमा (एफडी) और सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) के मुकाबले अधिक रिटर्न देता है। हालांकि, वास्तविक में...
आम निवेशकों के बीच यह धारणा है कि सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (सिप) के जरिये किया हुआ निवेश सावधि जमा (एफडी) और सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) के मुकाबले अधिक रिटर्न देता है। हालांकि, वास्तविक में स्थिति बिल्कुल अलग है। बीते पांच साल में बहुत सारे इक्विटी स्कीम ने महज 3% से 5% सालाना रिटर्न दिया है। वहीं, एफडी और पीपीएफ ने इस दौरान निवेशकों को सालाना 7% से अधिक रिटर्न दिया है। इस तरह म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ा है।
बाजार में बड़े उतार-चढ़ाव से नुकसान हुआ
बाजार विश्लेषकों का कहना है कि बीते पांच साल में शेयर बाजार में बड़ा उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। इसके चलते अच्छी कंपनियों का मूल्याकंन भी तेजी से नीचे आया है। इसके चलते जो निवेशक हर साल 12 से 15 फीसदी के रिटर्न की उम्मीद लगा कर सिप में निवेश के लिए आए थे, उन्हें काफी झटका लगा है। सिर्फ कुछ ही स्कीम सालाना 12 फीसदी का रिटर्न दे पाई हैं। मिड और स्मॉल कैप के मजबूत प्रदर्शन को देखते हुए उन्होंने अपने निवेश पर 15-17 फीसदी का रिटर्न हासिल करने की उम्मीद लगाई थी, लेकिन ये पूरी नहीं हुईं।
इक्विटी म्यूचुअल फंड में 95 फीसदी गिरा निवेश
इक्विटी म्यूचुअल फंड के निवेशकों को मनचाहा रिटर्न नहीं मिलने से उनकी उम्मीदों को जो झटका लगा है। इसके चलते इक्विटी म्यूचुअल फंड में भारी गिरावट आई है। जून में इसके पिछले महीने की तुलना में इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश 95 फीसदी की भारी गिरावट आ गई। यह चार साल का सबसे खराब आंकड़ा है। मई में इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश 5,246 करोड़ रुपये का था। इससे पता चलता है कि निवेशकों का म्यूचुअल फंड में निवेश के प्रति रुझान तेजी से घट रहा है।
टैक्स छूट का भी नहीं मिला लाभ
वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले को रिटर्न के साथ टैक्स छूट का लाभ नहीं मिलने से दोहरा नुकसान उठाना पड़ा है। पांच साल के एफडी और पीपीएफ में किए हुए निवेश पर निवेशक आयकर की धारा 80सी के तहत आसानी से रिटर्न प्राप्त कर सकते थे लेकिन म्यूचुअल फंड में निवेश करने के कारण वह ऐसा नहीं कर पाए। वहीं, रिटर्न भी उनको एफडी और पीपीएफ के मुकाबले काफी कम मिला। इस तरह निवेशकों को दोहरा नुकसान उठाना पड़ा है।





