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न्यू या ओल्ड टैक्स स्ट्रक्चर, किसमें रहना है? अब आपसे पूछेगी कंपनी, सैलरी पर भी असर

आपको बता दें कि टैक्सपेयर्स के पास यह चुनने का विकल्प है कि वे छूट और कटौती की पेशकश करने वाले ओल्ड टैक्स स्ट्रक्चर में रहना चाहते हैं या न्यू टैक्स रिजीम को अपनाना चाहते हैं।

न्यू या ओल्ड टैक्स स्ट्रक्चर, किसमें रहना है? अब आपसे पूछेगी कंपनी, सैलरी पर भी असर
Deepak Kumarलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीThu, 06 Apr 2023 09:15 AM
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अगर आप नौकरीपेशा हैं तो ये खबर आपके काम की है। आपको न्यू टैक्स रिजीम में रहना है या ओल्ड टैक्स स्ट्रक्चर का चयन करना है, ये सवाल कंपनी पूछेगी। इसी आधार पर कंपनी को आपकी सैलरी से स्रोत पर कर (TDS) कटौती करनी होगी। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने इस पर स्पष्टीकरण जारी किया है।

क्या है स्पष्टीकरण: चालू वित्त वर्ष में कंपनी को कर्मचारियों से उनकी पसंदीदा टैक्स स्ट्रक्चर के बारे में पूछना होगा और उसके अनुसार ही TDS कटौती करनी होगी। यदि कोई कर्मचारी कंपनी को अपनी पसंद की टैक्स व्यवस्था के बारे में नहीं बताता है, तो नियोक्ता को न्यू टैक्स रिजीम के तहत सैलरी से TDS की कटौती करनी होगी।

बता दें कि टैक्सपेयर्स के पास यह चुनने का विकल्प है कि वे छूट और कटौती की पेशकश करने वाले ओल्ड टैक्स स्ट्रक्चर में रहना चाहते हैं या न्यू टैक्स रिजीम को अपनाना चाहते हैं। न्यू टैक्स रिजीम में 7 लाख रुपये तक की इनकम टैक्स फ्री है लेकिन किसी छूट का लाभ नहीं ले सकते हैं।

क्या है न्यू रिजीम का स्लैब: बीते 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने न्यू टैक्स रिजीम में कई अहम बदलाव किए। इसके तहत 7 लाख रुपये तक की इनकम को टैक्स फ्री किया गया तो वहीं स्लैब में भी बदलाव हुए। अब न्यू रिजीम में 3 लाख रुपये तक की इनकम पर शून्य टैक्स लगेगा।

इसी तरह, 3-6 लाख रुपये तक पर 5 फीसदी, 6 से 9 लाख रुपये तक पर 10 फीसदी टैक्स का प्रावधान है। इसके अलावा 9-12 लाख रुपये की आय पर 15 फीसदी टैक्स लगाया जाएगा। वहीं, 12-15 लाख की आय पर 20 फीसदी और 15 लाख से ऊपर की आय 30 फीसदी देना होगा।

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