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सरसों का तेल, वनस्पती जैसे खाद्य तेल की कीमतों में आई 30 फीसदी तक बढ़ोतरी, जानें क्यूं बढ़ रहे हैं दाम

खाद्य तेल की बढ़ती कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। सभी खाद्य तेलों मूंगफली, सरसों का तेल, वनस्पती, सोयाबीन, सूरजमुखी और ताड़ की औसत कीमतें बढ़ी है। इनके अलावा पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी के...

सरसों का तेल, वनस्पती जैसे खाद्य तेल की कीमतों में आई 30 फीसदी तक बढ़ोतरी, जानें क्यूं बढ़ रहे हैं दाम
लाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीFri, 20 Nov 2020 02:59 PM
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खाद्य तेल की बढ़ती कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। सभी खाद्य तेलों मूंगफली, सरसों का तेल, वनस्पती, सोयाबीन, सूरजमुखी और ताड़ की औसत कीमतें बढ़ी है। इनके अलावा पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल की कीमतों में 20 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। खाद्य तेल की बढ़ती कीमतें सरकार के लिए चिंता का कारण बनी हुई है। यहीं कारण है कि इसकी कीमतों को कम करने के तरीकों के लेकर सरकार विचार कर रही है। 

प्याज की बढ़ती कीमतों को कम करने के लिए आयात किया गया। लगभग 30,000 टन के आयात के कारण प्याज की कीमतें कम हो गई और आलू की कीमतें स्थिर हो गई हैं, लेकिन खाद्य तेल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। इस मुद्दे पर गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में मंत्रियों के एक समूह के समक्ष बातचीत हुई है।

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के मूल्य निगरानी सेल से प्राप्त आंकड़े बताते हैं कि सरसों के तेल की औसत कीमत बीते गुरुवार को 120 प्रति लीटर थी, जबकि बीते साल ये कीमत 100 रुपये प्रति लीटर थी। वनस्पती तेल की कीमत एक साल पहले 75.25 थी जो अब बढ़कर 102.5 प्रति किलोग्राम हो गई है। सोयाबीन तेल का औसत मूल्य 110 प्रति लीटर पर बिक रहा था जबकि 18 अक्टूबर 2019 को औसत मूल्य 90 रुपये था। सूरजमुखी और ताड़ के तेल के मामले में भी यही रुझान रहा है।

मलेशिया में पिछले छह महीनों में पाम तेल उत्पादन में कमी अन्य खाद्य तेलों की कीमतों में वृद्धि का एक बड़ा कारण है। देश में लगभग 70% ताड़ के तेल का उपयोग फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में किया जाता है, जो सबसे बड़ा थोक उपभोक्ता है। उद्योगों के मुताबिक अब सरकार को यह विचार करना है कि क्या ताड़ के तेल के आयात शुल्क को कम किया जाए क्योंकि ताड़ के तेल की कीमतों में वृद्धि सीधे अन्य खाद्य तेलों की कीमतों पर प्रभाव डालती है।

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