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विदेशों में गिरावट से बीते सप्ताह खाद्य तेल-तिलहन के भाव टूटे, चेक करें रेट

सूत्रों ने कहा कि सूरजमुखी का यह तेल खुदरा बाजार में आम उपभोक्ताओं को 190-200 रुपये प्रति लीटर के भाव पर मिल रहा है। दाम में कमी होने पर भी इसका भाव 180-190 रुपये प्रति लीटर के बीच ही है।

Tarun Singh न्यूज एजेंसी, नई दिल्लीSun, 7 Aug 2022 04:00 PM
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बीते सप्ताह विदेशी बाजारों में खाद्य तेलों के दाम टूटने की वजह से देशभर के तेल-तिलहन बाजारों में सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल-तिलहन तथा बिनौला, कच्चा पामतेल (सीपीओ), पामोलीन तेल सहित लगभग सभी खाद्यतेल तिलहन कीमतों में हानि दर्ज हुई। बाकी तेल-तिलहनों के भाव अपरिवर्तित रहे। बाजार सूत्रों ने कहा कि आयातित खाद्य तेलों के सस्ता होने से बीते सप्ताह तेल तिलहन कीमतों में गिरावट आई।

सूत्रों ने कहा कि सीपीओ का भाव मौजूदा समय में कमजोर हुआ है। आयातकों का तेल बंदरगाहों पर पड़ा है और अचानक भाव टूटने के बाद उन्हें सस्ते में बेचने की मजबूरी है। इसके अलावा आगे जो सीपीओ, सूरजमुखी और पामोलीन तेल की खेप आयेगी, उसकी कीमत मौजूदा भाव से भी 20-30 रुपये किलो कम होगी। सूत्रों ने कहा कि वैश्विक तेल-तिलहन कीमतों में आई भारी गिरावट के मद्देनजर बीते सप्ताह सरकार ने तेल संघों और तेल उद्योग वालों की बैठक बुलाई थी। बैठक में तेल संघों और तेल उद्योग के प्रतिनिधियों ने अगले 10 दिनों में खाद्य तेल कीमतों में 8-10 रुपये लीटर तक कमी करने का आश्वासन दिया है। विदेशों के साथ-साथ देश में भी खाद्य तेल-तिलहनों के भाव भारी दबाव में हैं जो कीमतों में गिरावट का मुख्य कारण है।

उन्होंने कहा कि खाद्य तेल तिलहन कीमतों में लगभग 10 रुपये लीटर कमी करने के तेल कारोबारी और तेल संगठनों के प्रतिनिधियों आश्वासन के बावजूद वैश्विक तेल कीमतों में आई गिरावटों का समुचित लाभ उपभोक्ताओं को नहीं मिल पा रहा है क्योंकि अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) लागत के मुकाबले लगभग 40-50 रुपये लीटर तक अधिक हैं। इस 50 रुपये में अगर 10 रुपये की कमी हो भी जाती है तो उपभोक्ताओं को वाजिब लाभ नहीं मिल पाएगा। सूत्र ने एक उदाहरण देते हुए कहा, ''कांडला बंदरगाह पर अर्जेंटीना के सूरजमुखी तेल का भाव 1,550 डॉलर प्रति टन यानी 123.50 रुपये प्रति किलो है। बंदरगाह का खर्च एवं रिफाइनिंग खर्च को जोड़ने के बाद इस पर कुल लागत 130 रुपये प्रति किलो आएगी। अब इस पर जीएसटी, पैकिंग और परिवहन का खर्च भी जोड़ लें तो कुल लागत 134 रुपये प्रति लीटर होती है। अब खुदरा तेल व्यापारियों और रिफायनिंग करने वालों का मार्जिन भी लगा दें तो इस सूरजमुखी तेल का भाव अधिक से अधिक 145-150 रुपये लीटर होना चाहिये।

उन्होंने कहा कि पिछले दो ढाई महीने में सूरजमुखी, सोयाबीन डीगम, पामोलीन और सीपीओ के दाम में 75-85 रुपये लीटर की कमी आई है लेकिन उपभोक्ताओं को अभी भी इसका समुचित लाभ मिलना बाकी है। हालांकि, सूत्रों ने कहा कि सूरजमुखी का यह तेल खुदरा बाजार में आम उपभोक्ताओं को 190-200 रुपये प्रति लीटर के भाव पर मिल रहा है। दाम में कमी होने पर भी इसका भाव 180-190 रुपये प्रति लीटर के बीच ही है। सूत्रों ने कहा कि तेल कारोबार में एमआरपी को नियंत्रित करने की जरूरत है, ताकि इसका एमआरपी वास्तविक लागत से एक सीमा तक ही अधिक हो। वैश्विक खाद्यतेल कीमतों में भारी गिरावट और तेल कारोबारियों की बैठकों के बावजूद खाद्यतेल कीमतों की गिरावट का लाभ न तो उपभोक्ताओं को, न किसानों को और न ही तेल उद्योग को मिलता दिख रहा है।

सूत्रों ने कहा कि सरसों तेल का अधिभार सहित थोक भाव 135 रुपये प्रति लीटर है और खुदरा कारोबार में इसका अधिकतम भाव 155-160 रुपये प्रति लीटर ही होना चाहिये। लेकिन खुदरा बाजार में सरसों तेल 175 रुपये प्रति लीटर के करीब बिक रहा है। उन्होंने कहा कि कच्चा पामतेल (सीपीओ), पामोलीन के आयात की नयी खेप मौजूदा कमजोर भाव से लगभग 20 रुपये प्रति लीटर सस्ता होगा। सूरजमुखी तेल की नई खेपों का भाव भी मौजूदा भाव से 25-30 रुपये लीटर सस्ता बैठने की उम्मीद है। सूत्रों ने कहा कि विदेशों से खाद्यतेल का आयात करना सस्ता बैठता है जो खाद्य तेल तिलहनों में आई गिरावट का मुख्य कारण है। सूरजमुखी तेल का दाम कुछ समय पूर्व 2,400 डॉलर प्रति टन हुआ करता था जो मौजूदा वक्त में 1,550 डॉलर प्रति टन पर उपलब्ध है। इसी प्रकार सोयाबीन डीगम और पामोलीन पहले के मुकाबले सस्ता हुआ है पर इसका समुचित लाभ अभी मिलने में देर है। तेल-तिलहन उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किये जाने की आवश्यकता है। किसानों को उनकी उपज का लाभकारी दाम दिये जाने से वे उत्पादन बढ़ाने को प्रेरित होंगे।

सूत्रों ने बताया कि पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 75 रुपये की हानि के साथ 7,215-7,265 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल समीक्षाधीन सप्ताहांत में 200 रुपये की गिरावट के साथ 14,600 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। वहीं सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमतें भी क्रमश: 30-30 रुपये टूटकर क्रमश: 2,310-2,390 रुपये और 2,340-2,455 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुईं। सूत्रों ने कहा कि गिरावट के आम रुख के बीच समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज के थोक भाव क्रमश: 90-90 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 6,360-6,435 रुपये और 6,135-6,210 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन तेल कीमतों में भी गिरावट देखने को मिली। सोयाबीन दिल्ली का थोक भाव 350 रुपये की गिरावट के साथ 13,250 रुपये, सोयाबीन इंदौर का भाव 150 रुपये टूटकर 13,150 रुपये और सोयाबीन डीगम का भाव 300 रुपये गिरावट के साथ टूटकर 11,950 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। महंगा होने की वजह से मांग प्रभावित होने से मूंगफली तेल-तिलहनों में भी गिरावट आई। समीक्षाधीन सप्ताहांत में मूंगफली तिलहन का भाव 25 रुपये टूटकर 6,870-6,995 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पूर्व सप्ताहांत के बंद भाव के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल गुजरात 120 रुपये की गिरावट के साथ 16,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ जबकि मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 20 रुपये की हानि के साथ 2,670-2,860 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ। समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 150 रुपये घटकर 11,150 रुपये क्विंटल रह गया। जबकि पामोलीन दिल्ली का भाव 100 रुपये घटकर 13,200 रुपये और पामोलीन कांडला का भाव 100 रुपये घटकर 12,100 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। लगभग समाप्त हो चुके कारोबार के बीच बिनौला तेल कीमत भी 350 रुपये की हानि के साथ 14,000 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए।

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