कोरोना संकट से सुस्त पड़ी भारतीय अर्थव्यवस्था को त्योहारों से बड़ा सहारा मिला है। देश के जीडीपी में सात फीसदी से अधिक योगदान देने वाले वाहन क्षेत्र पटरी पर लौट आया है। गाड़ियों की मांग अक्तूबर के बाद नवंबर में बढ़ी है। वहीं, जीएसटी संग्रह भी एक लाख करोड़ के पार फिर से नवंबर में रहा है। हालांकि, पीएमआई के आंकड़े औैर बिजली की मांग ने थोड़ा निराश जरूर किया है।
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था उम्मीद से बेहतर रफ्तार से सुधर रही है। ऐसे में बहुत संभावना है कि भारतीय अर्थव्यवसथा तीसरी तिमाही में जीडीपी पॉजिटिव रहेगी। गौरतलब है कि पिछले दो तिमाहियों में जीडीपी की वृद्धि दर नकारात्मक रही है लेकिन अब लॉकडाउन खत्म होने और कोरोना के घटते मामले से तेजी से सुधार हो रहा है। भारतीय जीडीपी में 50 फीसदी से अधिक का योगदान देने वाले सेवा क्षेत्र भी कोरोना पूर्व स्तर पर पहुंचने के करीब है। इसके साथ ही बाजार में मांग भी तेजी से बढ़ी है जिससे सुधार की रफ्तार और तेज होने की उम्मीद है।
मारुति की कुल बिक्री बढ़ी लेकिन छोटी कारों की मांग घटी
देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) की बिक्री नवंबर में 1.7 प्रतिशत बढ़कर 1,53,223 इकाई पर पहुंच गईं। पिछले साल नवंबर में कंपनी ने 1,50,630 वाहन बेचे थे। कंपनी की मिनी कारों आल्टो और एस-प्रेसो की बिक्री 15.1 प्रतिशत घटकर 22,339 इकाई रह गई, जो एक साल पहले समान महीने में 26,306 इकाई रही थी। इसी तरह कॉम्पैक्ट खंड में स्विफ्ट, सेलेरियो, इग्निस, बलेनो और डिजायर की बिक्री 1.8 प्रतिशत घटकर 76,630 इकाई रह गई, जो एक साल पहले समान महीने में 78,013 इकाई रही थी। हालांकि, मध्यम आकार की सेडान सियाज की बिक्री 29.1 प्रतिशत बढ़कर 1,870 इकाई पर पहुंच गई, जो नवंबर, 2019 में 1,448 इकाई रही थी। इसी तरह यूटिलिटी वाहनों विटारा ब्रेजा, एस-क्रॉस और एर्टिगा की बिक्री 2.4 प्रतिशत बढ़कर 23,753 इकाई पर पहुंच गई, जो एक साल पहले समान महीने में 23,204 इकाई रही थी। कंपनी का निर्यात 29.7 प्रतिशत बढ़कर 9,004 इकाई पर पहुंच गया। नवंबर, 2019 में कंपनी ने 6,944 वाहनों का निर्यात किया था।
दोपहिया की मांग फिर से लौटी
दोपहिया कंपनी बजाज ऑटो की कुल बिक्री नवंबर में पांच प्रतिशत बढ़कर 4,22,240 इकाई पर पहुंच गई। कंपनी ने कहा कि नवंबर में घरेलू बाजार में उसकी बिक्री चार प्रतिशत घटकर 1,98,933 इकाई रह गई, जो पिछले साल समान महीने में 2,07,775 इकाई रही थी। कंपनी की कुल मोटरसाइकिल बिक्री 12 प्रतिशत बढ़कर 3,84,993 इकाई पर पहुंच गई, जो पिछले साल समान महीने में 3,43,446 इकाई रही थी। कंपनी का निर्यात 14 प्रतिशत बढ़कर 2,23,307 इकाई पर पहुंच गया। नवंबर, 2019 में कंपनी ने 1,95,448 वाहनों का निर्यात किया था।
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टोयोटा की बिक्री 2.4 प्रतिशत बढ़ी
टोयोटा किर्लोस्कर मोटर (टीकेएम) की घरेलू बाजार में बिक्री नवंबर में 2.4 प्रतिशत बढ़कर 8,508 इकाई पर पहुंच गई। टीकेएम के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बिक्री एवं सेवा नवीन सोनी ने बयान में कहा, दबी मांग और त्योहारी सीजन की मांग की वजह से कंपनी धीरे-धीरे बिक्री में सुधार दर्ज कर रही है। ग्राहक अब निजी वाहन रखना चाहते हैं। इसके चलते भी मांग सुधर रही है। वहीं, हिंदुजा समूह की प्रमुख कंपनी अशोक लेलैंड की कुल वाणिज्यिक वाहन बिक्री नवंबर में पांच प्रतिशत बढ़कर 10,659 इकाई पर पहुंच गई। एमजी मोटर इंडिया ने भारत में सबसे ऊंची मासिक खुदरा बिक्री का आंकड़ा हासिल किया है। चीन की एसएआईसी मोटर कॉर्प की पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई की बिक्री नवंबर में 28.5 प्रतिशत बढ़कर 4,163 इकाई पर पहुंच गई। नवंबर, 2019 में कंपनी ने 3,239 वाहन बेचे थे।
ट्रैक्टर बिक्री नवंबर में 33 प्रतिशत बढ़ी
कृषि उपकरण विनिर्माता एस्कॉर्ट्स एग्री मशीनरी की ट्रैक्टर बिक्री नवंबर में 33 प्रतिशत बढ़कर 10,165 इकाई पर पहुंच गई। कंपनी ने कहा कि घरेलू बाजार में उसकी ट्रैक्टर बिक्री 30.9 प्रतिशत बढ़कर 9,662 इकाई पर पहुंच गई, जो नवंबर, 2019 में 7,379 इकाई रही थी। नवंबर में कंपनी का निर्यात 503 इकाई रहा, जो एक साल पहले समान महीने में 263 इकाई रहा था।
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विनिर्माण पीएमआई घटकर तीन माह के निचले स्तर पर
देश की विनिर्माण गतिविधियों में वृद्धि की रफ्तार फिर सुस्त पड़ी है। कारखाना ऑर्डरों, निर्यात और खरीदारी में कमी की वजह से देश की विनिर्माण गतिविधियां नवंबर में तीन महीने के निचले स्तर पर आ गई हैं। मंगलवार को जारी एक मासिक सर्वे में यह जानकारी मिली है।
आईएचएस मार्किट इंडिया का विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) नवंबर में घटकर 56.3 रह गया, जो अक्टूबर में 58.9 था। यह इसका तीन माह का निचला स्तर है। इन आंकड़ों से पता चलता है कि देश में विनिर्माण गतिविधियां मजबूत बनी हुई हैं, बेशक नवंबर में इनकी रफ्तार घटी है। पीएमआई का 50 से अधिक का आंकड़ा वृद्धि, जबकि इससे नीचे का आंकड़ा संकुचन को दर्शाता है।
आईएचएस मार्किट की एसोसिएट निदेशक (इकनॉमिक्स) पॉलियाना डि लीमा ने कहा, भारत का विनिर्माण क्षेत्र सुधार की सही राह पर है। नवंबर में भी विनिर्माण क्षेत्र के नए ऑर्डरों और उत्पादन में मजबूत वृद्धि हुई है। लीमा ने कहा कि विनिर्माण गतिविधियों में विस्तार की दर में कमी आना कोई झटका नहीं है। यह आंकड़ा अक्तूबर के करीब एक दशक के उच्चस्तर के बाद कुछ नीचे आया है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी और उसकी वजह से संभावित लॉकडाउन से यह सुधार प्रभावित हो सकता है। सर्वे के अनुसार, नवंबर में नए ऑर्डरों की वृद्धि की रफ्तार तीन माह में सबसे कम रही है। लीमा ने कहा, कंपनियों का कहना है कि नवंबर में विनिर्माण गतिविधियों की वृद्धि के राह में महामारी सबसे बड़ी अड़चन रही। कोविड-19 को लेकर अनिश्चितता से कारोबारी विश्वास भी घटा है।
सर्वे में कहा गया है, आगे उत्पादन में वृद्धि का अनुमान है, लेकिन सार्वजनिक नीतियों को लेकर चिंता, रुपये में गिरावट और कोविड-19 महामारी से कुछ भरोसा घटा है।
रोजगार के मोर्चे पर अच्छी खबर का इंतजार
वहीं रोजगार के मोर्चे पर अच्छी खबर नहीं मिल रही है क्योंकि कंपनियों ने छंटनी को जारी रखा है। कंपनियों का कहना है कि सामाजिक दूरी दिशानिर्देशों के अनुपालन की वजह से उन्हें अपने कर्मचारियों की संख्या में कमी करनी पड़ रही है। नवंबर में भी छंटनी का आंकड़ा कमोबेश अक्टूबर की तरह रहा है। लीमा ने कहा, रोजगार में गिरावट का सिलसिला जारी है। हालांकि, इसकी वजह यह है कि कंपनियों को सरकार के दिशानिर्देशों के अनुपालन के लिए कर्मचारियों की संख्या में कमी करनी पड़ रही है।
जीएसटी संग्रह फिर से एक लाख करोड़ के पार
सरकार का माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह नवंबर में 1.04 लाख करोड़ रुपये रहा है। वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को बयान में यह जानकारी दी। हालांकि, अक्तूबर की तुलना में जीएसटी राजस्व का आंकड़ा मामूली घटा है। अक्तूबर में यह 1.05 लाख करोड़ रुपये रहा था। चालू वित्त वर्ष में यह लगातार दूसरा महीना है जबकि जीएसटी संग्रह का आंकड़ा एक लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है। नवंबर में जीएसटी संग्रह पिछले साल के समान महीने से 1.4 प्रतिशत अधिक है। नवंबर, 2019 में जीएसटी संग्रह 1,03,491 करोड़ रुपये रहा था।
वित्त मंत्रालय ने कहा, जीएसटी राजस्व में सुधार के हालिया रुख के अनुरूप नवंबर में संग्रह का आंकड़ा पिछले साल के समान महीने से 1.4 प्रतिशत अधिक रहा है। बयान में कहा गया है कि समीक्षाधीन महीने में वस्तुओं के आयात से राजस्व पिछले साल के समान महीने की तुलना में 4.9 प्रतिशत अधिक रहा। वहीं घरेलू लेनदेन से राजस्व पिछले साल के समान महीने से 0.5 प्रतिशत अधिक रहा है। नवंबर, 2020 में कुल जीएसटी राजस्व 1,04,963 करोड़ रुपये रहा है। इसमें केंद्रीय जीएसटी 19,189 करोड़ रुपये, राज्य जीएसटी 25,540 करोड़ रुपये और एकीकृत जीएसटी 51,992 करोड़ रुपये है (इसमें से 22,078 करोड़ रुपये वस्तुओं के आयात पर जुटाए गए हैं)। इसमें उपकर का योगदान 8,242 करोड़ रुपये (वस्तुओं के आयात पर जुटाए गए 809 करोड़ रुपये शामिल) का रहा है। बीते वित्त वर्ष 2019-20 में 12 में से आठ महीनों में जीएसटी राजस्व एक लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा था। हालांकि, चालू वित्त वर्ष में कोरोना वायरस महामारी की वजह से लगाए गए लॉकडाउन से जीएसटी राजस्व प्रभावित हुआ है। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल में जीएसटी संग्रह सिर्फ 32,172 करोड़ रुपये रहा था। मई में जीएसटी संग्रह 62,151 करोड़ रुपये, जून में 90,917 करोड़ रुपये, जुलाई में 87,422 करोड़ रुपये, अगस्त में 86,449 करोड़ रुपये, सितंबर में 95,480 करोड़ रुपये और अक्टूबर में 1,05,155 करोड़ रुपये रहा था।
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बिजली की मांग मामलूी 4.7 फीसदी बढ़ी
देश में बिजली की मांग नवंबर महीने में मामूली रूप से 4.7 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, नवंबर में कुल 98.37 अरब यूनिट की बिजली खपत हुई जो बीते साल सामान अवधि में 93.94 अरब यूनिट थी। इस तरह बिजली की मांग में मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वहीं, अक्तूबर महीने में बिजली की मांग में दो अंकों का उछाल आया था। इस साल अक्तूबर में भारत की बिजली खपत लगभग 12 प्रतिशत बढ़कर 109.53 अरब यूनिट हो गई, जबकि पिछले साल इसी महीने में 97.84 अरब यूनिट थी।