आर्थिक सर्वे: प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने के लिये ऊर्जा खपत में ढ़ाई गुना वृद्धि की जरूरत
देश को वास्तविक प्रति व्यक्ति वास्तविक जीडीपी बढ़ाकर 5,000 अरब डालर करने के लिये प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत में कम-से-कम ढाई गुना वृद्धि की जरूरत है। यह बात आर्थिक समीक्षा में कही गयी है। आर्थिक...
देश को वास्तविक प्रति व्यक्ति वास्तविक जीडीपी बढ़ाकर 5,000 अरब डालर करने के लिये प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत में कम-से-कम ढाई गुना वृद्धि की जरूरत है। यह बात आर्थिक समीक्षा में कही गयी है।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि भारत को एचडीआई (मानव विकास सूचकांक) बढ़ाने के लिये अपनी प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत चार गुना बढ़ानी होगी। इसके लिए बड़े स्तर पर संसाधन की आवश्यकता होगी। समीक्षा में कहा गया है कि भारत की आबादी विश्व जनसंख्या का लगभग 18 प्रतिशत है, लेकिन भारत विश्व के प्राथमिक ऊर्जा का लगभग 6 प्रतिशत उपयोग करता है। वैश्विक प्रति व्यक्ति 1.8 तेल समतुल्य औसत की तुलना में भारत की प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत 0.6 टन तेल समतुल्य के बराबर है।
इसमें यह भी कहा कि देश की आर्थिक वृद्धि दर लोगों को सस्ती, भरोसेमंद और टिकाऊ ऊर्जा उपलब्ध कराने की क्षमता पर निर्भर करेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश 2018-19 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है, ''भारत की प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत वैश्विक औसत का एक तिहाई है। उच्च मध्यम आय समूह में प्रवेश करने के लिए 2010 के मूल्यों में प्रति व्यक्ति वास्तविक जीडीपी 5,000 डॉलर करने को लेकर प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत में ढाई गुना वृद्धि की आवश्यकता है।
ऊर्जा दक्षता पर जोर देते हुए समीक्षा में कहा गया है कि स्टार रेटिंग, उजाला जैसे बिजली बचत के विभिन्न कार्यक्रमों से देश में 53,000 करोड़ रुपये से अधिक की बचत और 2017-18 में लगभग 10.83 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है। समीक्षा में कहा गया है कि भविष्य के नीतिगत निर्देश में अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में ऊर्जा दक्षता कार्यक्रमों को बढ़ाने के साथ-साथ अधिक समृद्धि के लिए देश के प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल के तकनीकी समाधान शामिल किए जाने चाहिए।
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