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दूरसंचार विभाग ने राज्य सरकारों से कहा, BSNL MTNL की बिजली नहीं काटें

दूरसंचार विभाग ने राज्य सरकारों से लंबित बकाये के कारण सार्वजनिक क्षेत्र की बीएसएनएल और एमटीएनएल की दी जा रही बिजली नहीं काटने का आग्रह किया है। विभाग ने कहा कि दोनों कंपनियां अगले महीने से शुरू हो...

दूरसंचार विभाग ने राज्य सरकारों से कहा, BSNL MTNL की बिजली नहीं काटें
एजेंसी,नई दिल्लीMon, 25 Mar 2019 12:54 AM
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दूरसंचार विभाग ने राज्य सरकारों से लंबित बकाये के कारण सार्वजनिक क्षेत्र की बीएसएनएल और एमटीएनएल की दी जा रही बिजली नहीं काटने का आग्रह किया है। विभाग ने कहा कि दोनों कंपनियां अगले महीने से शुरू हो रहे आम चुनावों के लिये महत्वपूर्ण सेवाएं दे रही हैं, ऐसे में बकाये के कारण बिजली कनेक्शन नहीं काटा जाए। सूत्रों ने यह कहा। बीएसएनएल पहले ही बिजली मद में बकाया 90 प्रतिशत का भुगतान कर चुकी है और शेष अगले 15 से 20 दिनों में पूरा करने की उम्मीद कर रही है।

एक अधिकारी ने पीटीआई भाषा से कहा, ''दूरसंचार विभाग की तरफ से एक पत्र राज्य के प्रमुख सचिवों को भेजा गया है। पत्र में उनसे एमटीएनएल और बीएसएनएल को मिलने वाली बिजली नहीं काटने का आग्रह किया गया है। इसका कारण कंपनियां चुनावों का प्रबंधन करने के लिये राज्य मशीनरी को महत्वपूर्ण सेवा उपलब्ध करा रही हैं।"

इस बारे में संपर्क किये जाने पर बीएसएनएल के चेयरमैन तथा प्रबंध निदेशक अनुपम श्रीवास्तव ने कहा, ''हमने बिजली कनेक्शन मद में कुल बकाये में से 90 प्रतिशत का भुगतान कर दिया है। अब करीब 250 करोड़ रुपये बचे हैं। इसे अगले 15 से 20 दिनों में चुका दिया जाएगा। कुछ जगहों पर बिजली काटी गयी थी लेकिन उसे अब बहाल कर दिया गया है।" एमटीएनएल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक पी के पुरवार ने कहा, ''एमटीएनएल के ऊपर कोई बिजली बिल बकाया नहीं है। फरवरी अंत तक के सभी भुगतान किये जा चुके हैं।"

बीएसएनएल और एमटीएनएल दोनों अपने कर्मचारियों को फरवरी महीने का वेतन नहीं दे पाये थे। सरकार ने फरवरी महीने का वेतन भुगतान के लिये नकदी संकट से जूझ रही एमटीएनएल को 171 करोड़ रुपये का लंबित बकाया जारी किया, जबकि बीएसएनएल ने आंतरिक संसाधनों से करीब 850 करोड़ रुपये बकाये वेतन का भुगतान किया। दूरसंचार क्षेत्र में कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच सार्वजनिक क्षेत्र की दोनों कंपनियों ने सरकार से वित्तीय समर्थन को लेकर संपर्क साधा है, लेकिन केंद्र ने इस बारे में अबतक कोई निर्णय नहीं किया है।

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