Hindi Newsबिज़नेस न्यूज़Demand for bringing petroleum products under the GST jurisdiction

GST: पेट्रोलियम प्रोडक्ट को दायरे में लाने की मांग ने पकड़ा जोर

अप्रत्यक्ष कर क्षेत्र की नई व्यवस्था वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) में अब जबकि 500 सेवाओं और 1,200 वस्तुओं के लिये दरें तय की जा चुकीं हैं, पेट्रोलियम पदार्थों को इसके दायरे में लाने की मांग जोर पकड़ने...

एजेंसी नई दिल्ली Mon, 22 May 2017 05:10 PM
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अप्रत्यक्ष कर क्षेत्र की नई व्यवस्था वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) में अब जबकि 500 सेवाओं और 1,200 वस्तुओं के लिये दरें तय की जा चुकीं हैं, पेट्रोलियम पदार्थों को इसके दायरे में लाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। जम्मू और कश्मीर ने इस दिशा में पहला कदम उठाया है। केरोसिन, नाफथा और एलपीजी जैसे उत्पाद तो जीएसटी के दायरे में होंगे लेकिन पांच पेट्रोलियम पदार्थों-कच्चा तेल, प्राकतिक गैस, विमान ईंधन, डीजल और पेट्रोल- को पहले साल के लिये जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। 

जम्मू कश्मीर के वित्त मंत्री हसीब द्राबू ने कहा कि जिन पांच पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी से बाहर रखा गया है उन्हें भी इसके दायरे में लाया जाना चाहिये अन्यथा देश की कर व्यवस्था में आजादी के बाद किये जाने वाले सबसे बड़े बदलाव की बात कहां रह जायेगी। उन्होंने कहा, अब इसमें बदलाव क्यों, आप यदि इस दिशा में बढ़ रहे हैं और आपने कोई ढांचा तैयार किया है, तो अब इस तरह के काम कर (उत्पादों को बाहर रखकर) आपको इसे बिगाड़ना नहीं चाहिये।

जम्मू कश्मीर के वित्त मंत्री के ये विचार क्षेत्र के विशेषज्ञों के विचारों के ही अनुरूप है। अनेक विशेषज्ञों का मानना है कि पेट्रोलियम पदार्थों को भी शुरआत से ही जीएसटी के दायरे में रखा जाना चाहिये। द्राबू ने कहा कि जीएसटी का कि क्रयान्वयन अब इसके अंतिम चरण में पहुच चुका है। पिछले सप्ताह द्राबू ने श्रीनगर में जीएसटी परिषद की 14वीं बैठक की मेजबानी की थी। दो दिन चली जीएसटी परिषद की बैठक में ही विभिन्न वस्तुओं के लिये दरें तय की गईं। 

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, मुक्षे लगता है कि एक जुलाई से जीएसटी को लागू किया जा सकता है। हालांकि, उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी और करदाताओं के बीच जागरकता पर ध्यान दिया जाना चाहिये। 

द्राबू ने कहा, हम आकलन वाले दौर से अब स्व:आकलन प्रणाली की तरफ बढ़ रहे हैं। यह एक  बड़ा बदलाव है, इसलिये जागरूकता जरूरी है। सूचना प्रौद्योगिकी में कुछ अड़चन हो सकती है, मेरा तात्पर्य है कि किसी भी प्रणाली में समस्या आ सकती है। लेकिन मेरा मानना है कि एक जुलाई से यह हो सकता है। उन्होंने कहा कि आपके पास अधिक समय नहीं है। 

जीएसटी लागू करने के लिये संविधान संशोधन को संसद ने पारित कर दिया है। करीब आधी राज्य विधानसभाओं ने इसकी पुष्टि की है जिसमें आपको सितंबर मध्य से पहले इस प्रणाली को अपनाना है। आपके पास अधिक समय नहीं है, आपको एक सीमा के भीतर यह काम करना होगा, क्योंकि 18 सितंबर को आपके समक्ष संवैधानिक संकट खड़ा हो जायेगा।

पांच पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। इन पदाथोंर् को केन्द्र और राज्य दोनों ही राजस्व का बड़ा स्रोत मानते हैं और उनका बड़ा राजस्व हिस्सा इनसे आता है।

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