प्रवासियों को मुफ्त अनाज देने में दिल्ली, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल ने बरती कोताही: पासवान
प्रवासियों को मुफ्त अनाज के वितरण में देरी पर चिंता व्यक्त करते हुए केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने शुक्रवार को राज्य सरकारों, विशेष रूप से दिल्ली, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल को इस संबंध...
प्रवासियों को मुफ्त अनाज के वितरण में देरी पर चिंता व्यक्त करते हुए केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने शुक्रवार को राज्य सरकारों, विशेष रूप से दिल्ली, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल को इस संबंध में पर्याप्त उपाय नहीं करने का आरोप लगाया। पासवान ने कहा कि प्रवासी लाभार्थियों की पहचान करने के लिए सर्वेक्षण में समय बर्बाद करने के बजाय, राज्य सरकारें उन सभी जरूरतमंद प्रवासी श्रमिकों को खाद्यान्न वितरित करने को कहा, जिनके पास केंद्र या राज्य का कोई राशन कार्ड नहीं है। पासवान ने कहा कि योजना के कार्यान्वयन में केंद्र अगर-मगर नहीं चाहता।
5 किलो खाद्यान्न, एक किलो चना मई-जून के लिए आवंटित
यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई प्रवासी मजदूर भूखा न रहे, केंद्र ने प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम खाद्यान्न और एक किलो चना मई और जून के लिए आवंटित किया है। यह आवंटन लॉकडाऊन से प्रभावित लोगों की मदद के लिए घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज के तहत है। पासवान ने एक डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ''मैं यह समझने में विफल हूं कि राज्य, केंद्र द्वारा मुफ्त में वितरित खाद्यान्न लेने को तैयार क्यों नहीं हैं। हम खाद्यान्न दे रहे हैं, लेकिन राज्य लेने के लिए तैयार नहीं हैं। हम क्या कर सकते हैं?
15 जुलाई तक सूची भेजें राज्य
केंद्र ने राज्यों को एक नीति तैयार करने और प्रवासी मजदूरों को वितरण तुरंत शुरू करने और बाद में 15 जुलाई तक सूची भेजने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि इस योजना के कार्यान्वयन में 'अगर मगर नहीं चलेगा। लाभार्थियों की पहचान पर, पासवान ने कहा, ''मैंने इस मुद्दे पर कल 2-3 मुख्यमंत्रियों से बात की। उन्होंने कहा कि एक सर्वेक्षण किया जा रहा है। मैंने उनसे कहा कि सर्वेक्षण को पूरा करने में कम से कम तीन महीने लगेंगे और बेहतर होगा कि कोई नीति बनाकर वितरण का काम शुरू किया जाए।
वितरण में देरी के जिम्मेदार राज्य
जब यह पूछा गया कि वितरण में देरी होने पर बेघर प्रवासियों को लाभ नहीं होगा, तो पासवान ने जवाब दिया कि वितरण की जिम्मेदारी राज्यों पर है और यह सवाल उनके सामने ही उठाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ''मेरे पास राज्यों को आपूर्ति करने के लिए पर्याप्त खाद्यान्न है। कोई कमी नहीं है। मैंने राज्य के खाद्य मंत्रियों के सम्मेलन में इस मुद्दे को उठाया है। मैं रोज उनसे कुछ करने का अनुरोध कर रहा हूं। यहां तक कि मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्र भी उन्हें अनाज उठाने के लिए अपील की है।
यह पूछे जाने पर कि केंद्र संकटग्रस्त प्रवासियों को अनाज के वितरण में पहल क्यों नहीं कर सकता है, पासवान ने कहा, ''यह एक नीतिगत मुद्दा है। हाल ही में, शीर्ष अदालत ने प्रवासियों पर एक आदेश जारी किया है। आशा है कि राज्य इस संबंध में कार्रवाई करेंगे। यह पूछे जाने पर कि केंद्र ने इस योजना की घोषणा क्यों की जब इसे लागू करने के तरीकों के बारे में कोई स्पष्टता नहीं थी, पासवान ने कहा, ''कोई भ्रम की स्थिति नहीं है।
उन्होंने कहा कि हम राज्यों को किसी भी जरूरतमंद व्यक्ति को वितरित करने के लिए कह रहे हैं और इसमें केंद्र हस्तक्षेप नहीं करेगा। राज्य उन लोगों को वितरित कर सकते हैं जिनके बारे में वे महसूस करते हैं कि वे गरीब हैं और उनके पास कोई राशन कार्ड नहीं हैं। हम यह नहीं पूछेंगे कि क्या है और क्या नहीं। खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने बताया कि वास्तव में विभिन्न राज्यों के द्वारा प्रवासियों को पका हुआ भोजन और कच्चा राशन दोनों वितरित किये जा रहे हैं।
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