Hindi Newsबिज़नेस न्यूज़Cyrus Mistry ousted as Tata Sons chairman in 2016 but why reason in here

लखटकिया Nano, डोकोमो.. वो मुद्दे जिस पर सायरस मिस्त्री-टाटा में थे मतभेद

टाटा संस के पूर्व चेयरमैन सायरस मिस्त्री का रविवार को निधन हो गया। सायरस मिस्त्री की महाराष्ट्र में पालघर के पास एक सड़क हादसे में मौत हो गई। सायरस ने 2012 में टाटा संस की कमान संभाली थी।

Deepak Kumar दीपक कुमार, नई दिल्लीSun, 4 Sep 2022 07:39 PM
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साल 2012 में जब सायरस मिस्त्री को टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस का चेयरमैन बनाया गया तो हर किसी ने इस फैसले का स्वागत किया। टाटा समूह के इतिहास में पहली बार था, जब किसी ऐसे शख्स को समूह की कमान दी गई जिसका टाटा परिवार से सीधा संबंध नहीं था। रतन टाटा ने भी सायरस मिस्त्री की जमकर तारीफ की। हालांकि, कुछ ही साल में टाटा समूह और सायरस मिस्त्री के बीच मतभेद की खबरें आने लगीं। आज हम आपको बताएंगे कि वो कौन से बड़े मुद्दे थे, जिसको लेकर टकराव बढ़ता चला गया। 

टाटा नैनो: सायरस मिस्त्री और टाटा के बीच के विवाद की सबसे बड़ी वजह नैनो प्रोजेक्ट को माना जाता है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक टाटा मोटर्स के लगातार नुकसान में चलने की वजह से सायरस मिस्त्री नैनो प्रोडक्शन को बंद करना चाहते थे। हालांकि, यह रतन टाटा का ड्रीम प्रोजेक्ट था। हर गरीब को लखटकटिया कार खरीदने का सपना साकार करने के लिए शुरू किए गए इस प्रोजेक्ट को उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली। टाटा नैनो की बिक्री में भारी गिरावट आने लगी और यही वजह थी कि सायरस प्रोजेक्ट को पूरी तरह बंद करने पर जोर दे रहे थे।   

टाटा-डोकोमो: सायरस मिस्त्री की अगुवाई में टाटा समूह और जापान की टेलीकॉम कंपनी एनटीटी डोकोमो के बीच के विवाद से भी रतन टाटा नाखुश थे।  दरअसल, 2009 में एनटीटी डोकोमो ने टाटा टेलीसर्विसेज बनाने के लिए टाटा के साथ भागीदारी की। चूंकि इसके कई लक्ष्य पूरे नहीं हुए थे, जापानी साझेदार ने 2014 में ज्वाइंट वेंचर से बाहर निकलने का फैसला किया।

समझौते के तहत डोकोमो चाहती थी कि टाटा या तो अपनी 26 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए एक खरीदार ढूंढे या इसे खरीद ले। टाटा को कोई खरीदार नहीं मिला और उसने डोकोमो शेयर वापस नहीं खरीदा। जनवरी 2015 में, एनटीटी डोकोमो ने मध्यस्थता का मामला दायर किया। जून 2016 में, लंदन कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन ने टाटा को एनटीटी डोकोमो को नुकसान में 1.17 बिलियन डॉलर का भुगतान करने का आदेश दिया। दिल्ली हाईकोर्ट के अलावा अमेरिका और ब्रिटेन की अदालतों में मध्यस्थता से लड़ने के बाद टाटा संस ने एनटीटी डोकोमो को 1.2 अरब डॉलर का भुगतान किया। 

- इसके अलावा टाटा स्टील के खराब प्रदर्शन के लिए भी सायरस मिस्त्री के खराब मैनेजमेंट का हवाला दिया गया। समूह की कंपनियों पर कर्ज का बोझ कम करने के लिए मिस्त्री ने अपने कार्यकाल के दौरान कई संपत्तियों की बिक्री की थी। 2014 में टाटा पावर ने इंडोनेशिया में अपनी कोयला खदान में 30 फीसदी हिस्सेदारी 3,100 करोड़ रुपये में बेची थी।

-अप्रैल 2016 में, टाटा केमिकल्स ने उत्तर प्रदेश में अपना यूरिया प्लांट नॉर्वे की एक कंपनी को 2,600 करोड़ रुपये में बेच दिया। मई में, टाटा कम्युनिकेशंस ने अपने स्वामित्व वाले डेटा सेंटर में बहुमत हिस्सेदारी बेच दी थी। जून में, टाटा ने दक्षिण अफ्रीका में स्वामित्व वाली एक दूरसंचार कंपनी नियोटेल को 3,000 करोड़ रुपये में बेच दिया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सायरस मिस्त्री के सिर्फ बिक्री को तवज्जो देने और काम करने के तरीके से रतन टाटा नाखुश थे। रिपोर्ट बताती हैं कि मैनेजमेंट में भी सायरस के व्यवहार को लेकर शिकायतें आने लगी थीं।

- मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जून 2016 में, उन्होंने टाटा पावर के वेलस्पन के सौर फार्मों के अधिग्रहण को $1.4 बिलियन में अंतिम रूप दिया। इसे रतन टाटा और अन्य प्रमुख शेयरधारक की मंजूरी के बिना फैसला बताया गया। 

- वहीं, टाटा संस के बोर्ड ने पिरामल एंटरप्राइजेज के अजय पीरामल और टीवीएस के वेणु श्रीनिवासन को शामिल किया था। ऐसा कहा जाता है कि बोर्ड की अध्यक्षता करने वाले मिस्त्री को इन नियुक्तियों की जानकारी नहीं थी, जो स्पष्ट रूप से चेयरमैन और प्रमुख शेयरधारक, टाटा ट्रस्ट्स के बीच असंतोष को दर्शाता है।

- रिपोर्ट की मानें तो सायरस मिस्त्री को पद छोड़ने के लिए कहा गया था, लेकिन उन्होंने यह काम नहीं किया। कहते हैं कि मिस्त्री बोर्ड का सामना करने के इच्छुक थे। बोर्ड में टाटा और मिस्त्री सहित नौ सदस्य थे। कहा जाता है कि उनमें से छह ने मिस्त्री को हटाने के लिए मतदान किया और दो ने भाग नहीं लिया। 

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