क्रिप्टो को करेंसी कहना गलत, RBI के पूर्व डिप्टी गवर्नर ने दी ये सलाह
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व डिप्टी गवर्नर आर गांधी के मुताबिक ‘क्रिप्टो’ को करेंसी नहीं बल्कि एक अलग संपत्ति वर्ग की तरह माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे दुनिया भर की...
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व डिप्टी गवर्नर आर गांधी के मुताबिक ‘क्रिप्टो’ को करेंसी नहीं बल्कि एक अलग संपत्ति वर्ग की तरह माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे दुनिया भर की सरकारों को वर्चुअल करेंसी से जुड़ी अवैध गतिविधियों से प्रभावी ढंग से निपटने में मदद मिलेगी। गांधी ने कहा कि वर्षों की बहस के बाद लोग पूरी तरह से समझ गए हैं कि क्रिप्टो करेंसी नहीं हो सकती, क्योंकि मुद्रा का मूल तत्व है कि यह कानूनी रूप से वैध होनी चाहिए, जो इसके मामले में नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मामले में कोई भी किसी अन्य व्यक्ति को क्रिप्टो स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता, क्योंकि यह कानूनी रूप से वैध नहीं है।
संपत्ति के तौर पर समझा जाए: गांधी ने कहा कि कई नीति निर्माताओं के बीच इसको लेकर आम सहमति है कि इसे एक संपत्ति के रूप में समझा जाना चाहिए, न कि एक करेंसी के रूप में। इसे एक भुगतान साधन के रूप में या एक वित्तीय साधन के रूप में भी नहीं स्वीकार करना चाहिए, क्योंकि इसका कोई स्पष्ट जारीकर्ता नहीं है।उन्होंने आशंका जताई कि नियमन के अभाव में इस वर्चुअल संपत्ति का आपराधिक गतिविधि के लिए उपयोग हो सकता है और इसका संकेत देने वाले कई उदाहरण हैं।
वित्त मंत्री ने कही थी ये बात: बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने कहा था कि क्रिप्टो करेंसी के संबंध में प्रस्तावित कानून केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष लंबित है। क्रिप्टो करेंसी पर अंतर-मंत्रालयी समिति ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि भारत में राज्य द्वारा जारी किसी भी आभासी मुद्रा को छोड़कर, सभी निजी क्रिप्टो करेंसी को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।
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