आमजन को मिलेगी राहत, पेट्रोल-डीजल के लगातार बढ़ते दाम पर लगेगी लगाम!
कच्चे तेल का भाव रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद अब नीचे आना शुरू हो गया है। ऐसा अमेरिका के बाद सऊदी अरब द्वारा कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने की पेशकश से हुआ है। इसके चलते बीते एक हफ्ते में अमेरिकी...
कच्चे तेल का भाव रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद अब नीचे आना शुरू हो गया है। ऐसा अमेरिका के बाद सऊदी अरब द्वारा कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने की पेशकश से हुआ है। इसके चलते बीते एक हफ्ते में अमेरिकी वायदा बाजार में कच्चे तेल के भाव काफी नीचे आ गए। उम्मीद जताई जा रही है कि कच्चे तेल की कीमत कम होने के बाद अब भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम भी घट सकते हैं।
मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कहा कि सऊदी अरब ने एशिया में कम से कम दो खरीदारों को अपने अतिरिक्त लाइट क्रूड की पेशकश की है। वहीं, अमेरिका जो ईरान से कच्चे निर्यात को बंद करने की मांग कर रहा है, 660 मिलियन बैरल सामरिक पेट्रोलियम रिजर्व (एसपीआर) को तेल बाजार में लाने की तैयारी कर रहा है। सऊदी और अमेरिका द्वारा आपूर्ति बढ़ाने का असर अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में दिखाई देने लगा है। अगस्त डिलीवरी के लिए न्यू यॉर्क मर्चेंटाइल एक्सचेंज पर कच्चा तेल 72 सेंट गिरकर 70.2 9 डॉलर प्रति बैरल हो गया है। इसी तरह करीब 100 दिन के औसत पर तेल की कीमत लगभग 28% कम हो गई है। पिछले हफ्ते कच्चे तेल का भाव 2.79 डॉलर गिरकर 71.01 डॉलर रहा।
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भारत पर असर
यह भारत जैसे बड़े तेल आयातक देशों के लिए अच्छी खबर है। एक ओर जहां इससे सरकार का आयात बिल कम होगा तो दूसरी ओर आम लोगों को पेट्रोल-डीजल के लिए कम खर्च करने होंगे। इससे महंगाई को काबू करने में भी मदद मिल सकती है।
अमेरिका से आयात दोगुना
भारत के लिए अमेरिका कच्चे तेल का बड़ा निर्यातक देश बन गया है। अमेरिकी उत्पादकों और कारोबारियों के मुताबिक, जुलाई तक अमेरिका डेढ़ करोड़ बैरल से अधिक कच्चा तेल भारत को निर्यात करेगा, जबकि उसने पूरे 2017 के दौरान मात्र 80 लाख बैरल का निर्यात किया था।
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ओपेक ने भी बढ़ाया था उत्पादन
इससे पहले प्रमुख तेल निर्यातक देशों के समूह ओपेक ने भी प्रति दिन 10 लाख बैरल कच्चे तेल का उत्पादन वृद्धि करने पर सहमत हुए थे। गौरतलब है कि ओपेक के 14 और रूस सहित 10 गैर-ओपेक देशों ने एक जनवरी 2017 से कच्चे तेल के उत्पादन में रोजाना 18 लाख बैरल की कटौती करनी शुरू कर दी थी। इसके बाद कच्चे तेल के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंच गए थे।