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पानी से सस्ता हुआ कच्चा तेल, पिछले 29 सालों में सबसे नीचे आया बाजार भाव

कच्चा तेल अब पानी से सस्ता हो गया है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अचानक कच्चे तेल के दाम में 30 फीसदी की गिरावट आई है, जिसके बाद भारतीय वायदा बाजार में कच्चा तेल 2,200 रुपए प्रति बैरल के नीचे आ गया है।...

पानी से सस्ता हुआ कच्चा तेल, पिछले 29 सालों में सबसे नीचे आया बाजार भाव
आईएएनएस मुंबईMon, 9 March 2020 05:23 PM
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कच्चा तेल अब पानी से सस्ता हो गया है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अचानक कच्चे तेल के दाम में 30 फीसदी की गिरावट आई है, जिसके बाद भारतीय वायदा बाजार में कच्चा तेल 2,200 रुपए प्रति बैरल के नीचे आ गया है। कच्चे तेल के दाम में 1991 के खाड़ी युद्ध के बाद यह सबसे बड़ी एक दिनी गिरावट है, जो कि मुख्य रूप से सऊदी अरब द्वारा तेल का भाव घटाने के कारण आई है। 

एक बैरल में 159 लीटर कच्चा तेल होता है। इस प्रकार एक लीटर कच्चे तेल का दाम करीब 13-14 रुपए आएगा, जबकि एक लीटर पानी की बोतल के लिए कम से कम 20 रुपए चुकाने पड़ते हैं। कच्चे तेल को लेकर शुरू हुए प्राइस वार और कोरोनावायरस के प्रकोप के कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में सोमवार (9 मार्च) को 30 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है। 

विदेशी बाजार से चलने वाले कच्चे तेल के कारोबार में घरेलू वायदा बाजार में कच्चे तेल का भाव 30 फीसदी से ज्यादा टूटकर 2,200 रुपए प्रति बैरल से नीचे आ गया। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज यानी एमसीएक्स पर कच्चे तेल के मार्च अनुबंध में 997 रुपए यानी 31.56 फीसदी की गिरावट के साथ 21,62 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार चल रहा था।

वहीं, अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज यानी आईसीई पर ब्रेंट क्रूड के मई अनुबंध में पिछले सत्र से 26.51 फीसदी की गिरावट के साथ 33.27 डॉलर पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले दाम 31.27 डॉलर प्रति बैरल तक गिरा। न्यूयॉर्क मर्केंटाइल एक्सचेंज यानी नायमैक्स पर अप्रैल डिलीवरी अमेरिकी लाइट क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट के अनुबंध में 28.44 फीसदी की गिरावट के साथ 29.54 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार चल रहा था, जबकि इससे पहले भाव 27.34 डॉलर प्रति बैरल तक गिरा था। 

एंजेल ब्रोकिंग के (एनर्जी व करेंसी रिसर्च) के  डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट अनुज गुप्ता ने बताया कि तेल के उत्पादन में कटौती को लेकर ओपेक और रूस के बीच सहमति नहीं बनने के बाद सऊदी ने प्राइस वार छेड़ दिया है और इसमें अगर ओपेक के कुछ और सदस्य शामिल हुए तो कच्चे तेल के दाम में और गिरावट आ सकती है। उन्होंने बताया कि 2015 में भी इसी तरह की प्राइस वार का परिदृश्य देखने को मिला था जब सऊदी ने कहा था कि अगर क्रूड का भाव 20 डॉलर प्रति बैरल तक भी आ गया तो उसे कोई चिंता नहीं है।

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