कोरोना के कहर से दुनिया भर के शेयर बाजार धाराशायी, सोना सात साल के उच्च स्तर पर
कोरोना वायरस का असर भारतीय शेयर बाजार ही नहीं बल्कि दुनिया भर के स्टॉक मार्केट पर पड़ा है। सोमवार को वैश्विक शेयर बाजारों के साथ ही यहां वॉल स्ट्रीट में देखा गया जब कारोबार की शुरुआत में ही डाउ जोंस...
कोरोना वायरस का असर भारतीय शेयर बाजार ही नहीं बल्कि दुनिया भर के स्टॉक मार्केट पर पड़ा है। सोमवार को वैश्विक शेयर बाजारों के साथ ही यहां वॉल स्ट्रीट में देखा गया जब कारोबार की शुरुआत में ही डाउ जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज करीब 800 अंक यानी करीब 3 प्रतिशत तक नीचे आ गया। इस बीच व्हाइट हाउस के अर्थशास्त्री ने सोमवार को कहा कि चीन में कोरोना वायरस के फैलने का असर अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा, हालांकि असर कितना होगा इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। बता दें दुनियाभर में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या 2600 के पास पहुंच चुकी है और इससे 80,000 से ज्यादा लोग प्रभावित हैं।
अमेरिका में शेयर बाजार धराशायी
वॉल स्ट्रीट में सोमवार के शुरुआती कारोबार में गिरावट का रुख रहा। दुनियाभर के दूसरे शेयर बाजारों में गिरावट को देखते हुये वॉल स्ट्रीट भी कारोबार शुरू होने दस मिनट में डाउ जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज सूचकांक 2.8 प्रतिशत यानी 800 अंक गिरकर 28,191.85 अंक पर आ गया। इसके साथ ही व्यापक आधार वाला एस एण्ड पी 500 डोव 2.6 प्रतिशत गिरकर 3,252.23 अंक और प्रौद्योगिकी कंपनियों के प्रभुत्व वाला नास्डाक कंपोजिट सूचकांक 3.1 प्रतिशत गिरकर 9,282.16 अंक रह गया।
चीन से शुरू हुए कोरोना वायरस का असर अब दुनिया के दूसरे देशों में भी दिखने लगा है। दक्षिण कोरिया, इटली और ईरान में भी इस वायरस का प्रभाव देखा गया है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भी इसका प्रभाव पड़ने की आशंका व्यक्त की गई है। व्हाइट हाउस के अर्थशास्त्री ने सोमवार को यह आशंका जताई। व्हाइट हाउस के आर्थिक सलाहकार परिषद के कार्यवाहक निदेशक टॉमस फिलिपसन ने कहा, ''मेरा मानना है कि वास्तविक खतरा, कोरोना वायरस है। अभी हमें नहीं पता है लेकिन हम प्रतीक्षा करो और देखो की नीति पर चल रहे हैं। एक राष्ट्रीय व्यावसायिक आर्थिक सम्मेलन में उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि चीन में जो आर्थिक बंदी चल रही है उसका कोई असर नहीं होगा, यह होगा।
यूरोप में भी बाजारों की हालत खस्ता
मिलान और सियोल के शेयर बाजारों में सोमवार को भारी गिरावट देखी गई और कच्चे तेल के दाम भी चार प्रतिशत से अधिक गिर गए। हालांकि इस बीच सोना अपने सात साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया। उत्तरी लॉम्बार्डी क्षेत्र में 84 वर्षीय एक व्यक्ति की कोरोना वायरस से मौत की खबर आने के बाद सुबह के कारोबार में मिलान में सूचकांक लगभग पांच प्रतिशत गिर गया। लॉम्बार्डी में कोरोना वायरस की वजह से यह तीसरी मौत है। यहां गांवों को सील कर दिया गया है और बीमारी के प्रसार को देखते हुए अन्य सुरक्षात्मक कदम उठाए गए हैं।
यूरोप में भी बाजारों की हालत खस्ता देखी गयी। फ्रैंकफर्ट शेयर बाजार 3.7 प्रतिशत, लंदन साढ़े तीन प्रतिशत, मैड्रिड 3.3 प्रतिशत और पेरिस 3.8 प्रतिशत तक गिरे हैं। दक्षिण कोरिया में भी कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या बड़ी है। इसके चलते सियोल के शेयर बाजार में 3.9 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गयी है। वहीं हांगकांग का शेयर बाजार 1.9 प्रतिशत तक गिर गया है।
सोना सात साल के उच्च स्तर पर
इसके विपरीत लंदन सर्राफा बाजार में सोने का भाव 1,689.31 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गया। सोने का इतना ऊंचा स्तर आखिरी बार जनवरी 2013 में देखा गया था। बाजार में तमाम उथल-पुथल और कोरोना वायरस के डर की वजह से निवेशक सोने को एक सुरक्षित विकल्प के रूप में देख रहे हैं। एजे बेल इंवेस्टमेंट में निदेशक रस मॉड ने कहा कि कोरोना वायरस के चीन से बाहर फैलने का डर बढ़ा है। इसका असर वैश्विक स्तर पर बाजारों में देखा जा रहा है और इसकी वजह से जिंसों के भाव में भी उतार-चढ़ाव देखा गया है।
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