कोरोना का प्रभाव: धनिया-मिर्ची मुफ्त में मांगने वाले भारतीय अब सब्जी का दाम तक नहीं पूछ रहे
कोरोना के कहर पर काबू पाने के लिए लागू लॉकडाउन में भारतीयों के खरीदारी के तौर-तरीकों में बड़ा बदलाव आया है। आलम यह है कि सब्जी लेते समय मोलभाव करने और धनिया-मिर्ची मुफ्त में मांगने के आदी...

कोरोना के कहर पर काबू पाने के लिए लागू लॉकडाउन में भारतीयों के खरीदारी के तौर-तरीकों में बड़ा बदलाव आया है। आलम यह है कि सब्जी लेते समय मोलभाव करने और धनिया-मिर्ची मुफ्त में मांगने के आदी ज्यादातर भारतीय अब दाम पूछे बगैर ही सामान खरीद रहे हैं। देश के छह महानगरों में हुआ ‘इनॉर्मस ब्रांड्स' का सर्वे तो कुछ यही बयां करता है। इसमें शामिल 42 फीसदी प्रतिभागियों ने दाम जाने बगैर ही फल-सब्जी खरीदने का दावा किया।
इनॉर्मस ब्रांड्स के प्रबंध साझेदार अजय वर्मा ने कहा, ‘भारत की युवा आबादी दुनिया के अन्य हिस्सों में मौजूद लोगों से काफी अलग बर्ताव कर रही है। सर्वे से साफ है कि कोरोना संकट के बावजूद भारतीयों में सकारात्मकता बरकरार है। वे भारतीय अर्थव्यवस्था के दोबारा रफ्तार भरने को लेकर आशावान हैं।' वर्मा के मुताबिक सर्वे कंपनियों को यह बताने के मकसद से किया गया था कि ल़ॉकडाउन में भारतीयों के सोच-व्यवहार और खरीदारी के तौर-तरीकों में क्या बदलाव आया है।
चीन विरोध के चलते ‘मेक इन इंडिया' में जगा भरोसा
' शोधकर्ताओं ने यह भी देखा कि संकट ने चीन विरोधी भावनाओं को बढ़ाने और ‘मेक इन इंडिया' के प्रति समर्थन जगाने का काम किया है। 42 फीसदी भारतीयों का मानना है कि चीन ने आर्थिक लाभ के लिए जानबूझकर दुनियाभर में कोरोना संक्रमण फैलाया। ऐसे में चीन निर्मित सामान का बाहिष्कार किया जाना चाहिए।
ई-कॉमर्स में 55 से 65 साल के लोगों का बढ़ा रुझान
' सर्वे से ऑनलाइन खरीदारी की ओर बुजुर्गों का रुझान बढ़ने की बात सामने आई। शोधकर्ताओं ने पाया कि 55 से 65 साल के 47 फीसदी लोग दूध-दही, राशन, फल-सब्जी और घर के अन्य जरूरी सामान न सिर्फ ऑनलाइन मंगवा रहे हैं, बल्कि बिल भुगतान के लिए ई-वॉलेट व यूपीआई ऐप का बढ़-चढ़कर इस्तेमाल भी कर रहे हैं।
सर्वे की खास बातें
- 3737 लोगों ने 30 मार्च से 22 अप्रैल के बीच आनलाइन सर्वेमें हिस्सा लिया
- 27% ने राजनीतिक दल के प्रति झुकाव की बात कही
- 43% ने कहा न्यूज चैनल खबरों को निष्पक्ष रूप से परोस रहे
- 65% टीवी देखने में बीतने वाला समय न्यूज चैनल पर
- 29% ऑनलाइन पढ़ रहे अखबार, सिर्फ 4% ने कहा-अखबार बंद कर देंगे
- 74% प्रतिभागियों ने अखबारों की कमी खलने की बात मानी
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