बिजली संकट से संकट में फंसे चीन को सुस्त GDP का झटका
बिजली संकट ने चीन की अर्थव्यस्था को बड़ा झटका दिया है। वहीं, रियल एस्टेट में मंदी भी चीन पर भारी पड़ी है। सितंबर 2021 में खत्म तिमाही में चीन की जीडीपी ग्रोथ की रफ्तार 4.9 फीसद पर आ गई है। बता दें इस...
बिजली संकट ने चीन की अर्थव्यस्था को बड़ा झटका दिया है। वहीं, रियल एस्टेट में मंदी भी चीन पर भारी पड़ी है। सितंबर 2021 में खत्म तिमाही में चीन की जीडीपी ग्रोथ की रफ्तार 4.9 फीसद पर आ गई है। बता दें इस साल के शुरुआती कुछ महीनों में चीन की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ी थी, लेकिन अब रियल एस्टेट मार्केट में गिरावट, बिजली संकट और उपभोक्ता धारणा कमजोर पड़ने से चीन की अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी पड़ रही है। विशेषज्ञों ने चीनी आधिकारिक मीडिया को बताया कि चौथी तिमाही में चीन की जीडीपी वृद्धि को अतिरिक्त दबाव का सामना करना पड़ेगा, जो 2021 के लिए चीन की जीडीपी ग्रोथ को और नीचे गिरा सकता है।
2021 की तीसरी तिमाही में चीन की अर्थव्यवस्था 4.9 फीसद की दर से बढ़ी, इस साल सबसे धीमी वृद्धि क्योंकि यह एक अपंग बिजली की कमी, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और छिटपुट कोविद -19 के प्रकोप, राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (एनबीएस) के आंकड़ों से पता चला है।
कमोडिटी की बढ़ती कीमतों और रियल एस्टेट बाजार पर प्रतिबंध दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए संकट बढ़ा रहे हैं। मंदी चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के नीति निर्माताओं पर आर्थिक विकास को ठीक करने में मदद करने के लिए दबाव बढ़ा रही है, जिसने देश में कोविड -19 महामारी को सफलतापूर्वक नियंत्रित करने के बाद 2021 की पहली तिमाही में आश्चर्यजनक आर्थिक सुधार लाने में सफल रहा था।
मंदी की ओर चीन
तीसरी तिमाही (Q3) में चीन की जीडीपी सालाना आधार पर 4.9 फीसद बढ़ी। यह पहली तिमाही के18.3 फीसद और दूसरी तिमाही के 7.9 फीसद की वृद्धि की तुलना में काफी धीमी रफ्तार है। एनबीएस ने कहा कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में पहली तीन तिमाहियों में सालाना आधार पर 9.8 फीसद की वृद्धि हुई है, जिससे पिछले दो वर्षों में औसत वृद्धि 5.2 फीसद रही है।
घरेलू आर्थिक सुधार अभी भी अस्थिर और असमान
एनबीएस के प्रवक्ता फू लिंगहुई ने सोमवार को बीजिंग में एक ब्रीफिंग में कहा, "घरेलू आर्थिक सुधार अभी भी अस्थिर और असमान हैं। तीसरी तिमाही में प्रवेश करने के बाद से घरेलू और विदेशी जोखिम और चुनौतियां बढ़ गई हैं।" सितंबर में चीन हाल के वर्षों में सबसे खराब बिजली संकट से जूझ रहा था। व्यापार वेबसाइट कैक्सिन ने बताया, "रिबाउंड वाली अर्थव्यवस्था में बिजली की मांग में वृद्धि, कोयले की सप्लाई में गिरावट और बीजिंग की जलवायु परिवर्तन नीतियां, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित करने वाले एक तूफान का निर्माण करती हैं।"
प्रवक्ता फू कमी से निपटने को लेकर आशान्वित रहे। बिजली की कमी का सामान्य उत्पादन पर फू ने कहा, "निश्चित तौर पर प्रभाव पड़ा, लेकिन आर्थिक प्रभाव नियंत्र करने लायक है।"आधिकारिक समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने फू के हवाले से कहा कि बढ़ती अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा कीमतों के साथ-साथ कोयले और बिजली की घरेलू आपूर्ति में कमी के कारण कुछ क्षेत्रों में बिजली गुल हो गई, जिससे सामान्य उत्पादन ऑर्डर प्रभावित हुए। चीन ने बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने और बिजली की कीमतों को स्थिर रखने के लिए कई उपाय किए हैं, उन्होंने कहा कि इन उपायों के धीरे-धीरे प्रभावी होने से बिजली की कमी कम हो जाएगी और आर्थिक संचालन पर इसका प्रभाव कम हो जाएगा।
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक बिजली की शॉर्टेज और सप्लाई में अड़चन की वजह से कारखानों को काफी नुकसान हुआ है। चीन ने कोरोना के बाद अपनी इकोनॉमी को पटरी पर ला दिया था, लेकिन अब फिर से संकट दिख रहा है। प्रॉपर्टी सेक्टर में मंदी, बिजली की तंगी की वजह से कारखानों का उत्पादन ठप है। चीन के संपत्ति क्षेत्र से व्यापक अर्थव्यवस्था में क्रेडिट जोखिम के संभावित स्पिलओवर के बारे में वैश्विक चिंताएं भी तेज हो गई हैं, क्योंकि प्रमुख डेवलपर चीन एवरग्रांडे समूह 300 बिलियन डॉलर से अधिक ऋण से जूझ रहा है।
इससे पिछली तिमाही में अर्थव्यवस्था 7.9 फीसद की दर से बढ़ी थी। जबकि, पहली तिमाही में चीन का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 18.3 फीसद की दर से बढ़ा था। यह रिकॉर्ड बढ़त बेस इफेक्ट की वजह से थी। चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो ने सोमवार को जुलाई से सितंबर की तीसरी तिमाही के आंकड़े जारी किए। चीन में जनवरी से ही वित्त वर्ष की शुरुआत मानी जाती है, इसलिए यह उसके लिए तीसरी तिमाही है। इसमें उसकी जीडीपी ग्रोथ की रफ्तार कम हो गई।
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