अमेरिका के साथ टेंशन की भेंट चढ़ी चीन की विकास दर, 28 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंची
कारोबार और बौद्धिक संपदा के मसले पर अमेरिका के साथ जारी तनातनी और एक्सपोर्ट में आई कमी के कारण दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उसकी विकास दर करीब तीन...
कारोबार और बौद्धिक संपदा के मसले पर अमेरिका के साथ जारी तनातनी और एक्सपोर्ट में आई कमी के कारण दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उसकी विकास दर करीब तीन दशक के निचले स्तर पर आ गई है। वर्ष 2०18 में चीन की विकास दर 6.6 प्रतिशत रही जबकि साल 2०17 में यह आंकड़ा 6.8 प्रतिशत रही थी। इससे पहले इतनी सुस्त विकास दर वर्ष 199० में रही थी जब यह आंकड़ा मात्र 3.9 प्रतिशत रहा था।
चीन के नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिक्स के आज जारी आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर में समाप्त चौथी तिमाही में चीन की विकास दर 6.4 प्रतिशत रही जबकि तीसरी तिमाही में यह आंकड़ा 6.5 प्रतिशत रहा था। ब्यूरो के निदेशक निंग जिझे के मुताबिक बाहरी माहौल जटिल और गंभीर है। अर्थव्यवस्था पर दबाव बना हुआ है। चीन और अमेरिका के बीच तनाव निश्चित तौर पर अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहा है लेकिन इसके असर से निपटा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस साल की पहली छमाही में भी मुश्किलें उतनी ही रहेंगी।
बीते कुछ महिनों से चीन की अर्थव्यवस्था के लचर पड़ने के आसार दिखने लगे थे। दुनिया के सबसे बड़े कार बाजार में सेल साल 199० के बाद सबसे कम रही है। सरकार ने उपभोक्ता मांग को बढाने की बात तो की है लेकिन अतिरिक्त आमदनी की रफ्तार धीमी पड़ रही है और लोगों पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। नियार्त और आयात का आंकड़ा भी गत माह बहुत घट गया और उत्पादन के आंकड़े आने वाले माह के दौरान गिरावट के संकेत देने वाले रहे।
चीन की अर्थव्यवस्था साल 2018 में 6.6 फीसदी की रफ्तार से बढ़ी है। उसकी दर करीब तीन दशक की सबसे धीमी विकास दर है। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के अमेरिका के साथ व्यापार मोर्चे पर जारी तनाव और निर्यात में गिरावट इसकी वजह मानी जा रही है। दिसंबर तिमाही में चीन की आर्थिक वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रही, जो कि इससे पहले की तिमाही में 6.5 प्रतिशत थी।
एनबीएस के आंकड़ों के मुताबिक, चीन की अर्थव्यवस्था के करीब 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने का लक्ष्य रखा गया था। उल्लेखनीय है कि अमेरिका और चीन के बीच साल 2018 की शुरुआत से व्यापार मोर्चे पर तनाव जारी है। दोनों ने एक-दूसरे से इंपोर्ट किए जाने वाले प्रोडक्ट पर इंपोर्ट टैक्स लगाया हुआ है।
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