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डिजिटल लेनदेन महंगाः सरकार की महत्वकांक्षी योजना के बावजूद शुल्क कम नहीं

डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने की सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आम आदमी को महंगी पड़ रही है। निजी ही नहीं सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थान भी डिजिटल भुगतान पर कई सौ रुपये वसूल रहे हैं। राष्ट्रीय पेंशन...

डिजिटल लेनदेन महंगाः सरकार की महत्वकांक्षी योजना के बावजूद शुल्क कम नहीं
नई दिल्ली, पीयूष पांडेय। Mon, 20 Nov 2017 09:21 AM
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डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने की सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आम आदमी को महंगी पड़ रही है। निजी ही नहीं सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थान भी डिजिटल भुगतान पर कई सौ रुपये वसूल रहे हैं। राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) से लेकर स्कूलों और कॉलेजों की फीस डिजिटल प्रणाली से भरने की कीमत लोगों को चुकानी पड़ रही है।

सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के विभिन्न बैंक तय राशि से ज्यादा की जमा-निकासी पर शुल्क वसूलने के बावजूद एनईएफटी, आरटीजीएस और आईएमपीएस से लेनदेन पर शुल्क ल रहे हैं। इससे डिजिटल वॉलेट, पेमेंट बैंक, डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड से इलेक्ट्रॉनिक भुगतान महंगा पड़ रहा है। 

आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार कैशलेस इकोनॉमी पर गंभीर नहीं है, अन्यथा डिजिटल लेनदेन के शुल्क पर अंकुश लगाती। हालांकि नोटबंदी के दौरान पेट्रोल पंपों समेत अन्य कुछ सुविधाओं पर डिजिटल भुगतान से छूट अभी जारी है, जिसका फायदा लोगों को मिल रहा है। लेकिन दूसरी ओर एनपीएस योजना में भुगतान पर सेवाकर और उस पर जीएसटी के अलावा डिजिटल भुगतान पर भारी शुल्क (50 हजार पर 470 रुपये) और उस पर जीएसटी वसूला जा रहा है। इसी तरह स्कूलों की प्रति माह या तिमाही फीस भरने में इंटरनेट बैंकिंग से भुगतान पर न्यूनतम 20 रुपये और क्रेडिट कार्ड व ई-वॉलेट के गठजोड़ के जरिये भुगतान पर 170 रुपये तक वसूले जा रहे हैं। 

मेट्रो से लेकर निजी क्षेत्रों में पीओएस मशीन के जरिये भुगतान पर एक से 1.5 प्रतिशत तक एमडीआर शुल्क लिया जा रहा है। वित्त मंत्री अरुण जेटली हालांकि कह चुके हैं कि डिजिटल भुगतान जितना बढ़ेगा, शुल्क उतना ही कम होगा। ऐसे में यह स्पष्ट है कि तब तक डिजिटल लेनदेन करने वालों को शुल्क का भार सहना होगा। विभिन्न बैंकों ने क्रेडिट कार्ड पर अपने शुल्क तय कर रखे हैं। 

मोबाइल वॉलेट धन स्थानांतरण में 3 से 4 प्रतिशत तक अधिभार वसूलते हैं। जबकि पेमेंट बैंक से नकदी निकालने पर 0.65 प्रतिशत और धन स्थानांतरण पर 0.5 प्रतिशत की अलग कीमत ग्राहक को चुकानी पड़ती है। यूपीआई, भीम और आधार पे से भुगतान पर शुल्क नहीं है।

कार्ड से लेनदेन एक साल में करीब दोगुना 
डिजिटल भुगतान पर शुल्क भले ही वसूला जा रहा हो, लेकिन इसका दायरा तेजी से बढ़ रहा है। यूरोपीय पेमेंट सॉल्यूशंस कंपनी वर्ल्डलाइन के मुताबिक, भारत में पिछले एक साल में डिजिटल भुगतान और इलेक्ट्रॉनिक कार्ड का इस्तेमाल करीब दोगुना हो गया है। 

84 प्रतिशत बढ़ा डेबिट-क्रेडिट कार्ड से लेनदेन
74 हजार करोड़ से ज्यादा का लेनदेन सितंबर 2017 में 
40 हजार 130 करोड़ रुपये सितंबर 2016 में था

पीओएस लेनदेन 86 प्रतिशत बढ़ा
- सितंबर 2017ः 37.8 करोड़ हुआ
- सितंबर 2016ः 20.3 करोड़ था

85.3 करोड़ इलेक्ट्रॉनिक कार्ड
- 3.33 करोड़ क्रेडिट कार्ड (09प्रतिशत वृद्धि)
- 81.98 करोड़ डेबिट कार्ड (24 प्रतिशत वृद्धि)

मोबाइल इंटरनेट की ताकत

1 अरब से ज्यादा मोबाइल यूजर
50 करोड़ इंटरनेट यूजर
30 करोड़ मोबाइल इंटरनेट यूजर
26 करोड़ मोबाइल बिके इस साल
10.33 लाख प्रतिदिन भीम/यूपीआई से
75.13 लाख प्रतिदिन वॉलेट से
14 लाख प्रतिदिन डेबिट कार्ड से

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