बचत खाता और एफडी पर ब्याज घटा तो आप बैंक क्यों नहीं बदलते
पिछले कुछ महीनों में कर्ज सस्ता होने से थोड़ी राहत मिली है तो वहीं दूसरी तरफ बचत खाता और एफडी पर ब्याज घटने से कमाई पर भी असर पड़ा है। देश का सबसे बड़ा बैंक एसबीआई बचत खाता पर महज 2.7 फीसदी ब्याज दे...
पिछले कुछ महीनों में कर्ज सस्ता होने से थोड़ी राहत मिली है तो वहीं दूसरी तरफ बचत खाता और एफडी पर ब्याज घटने से कमाई पर भी असर पड़ा है। देश का सबसे बड़ा बैंक एसबीआई बचत खाता पर महज 2.7 फीसदी ब्याज दे रहा है। वहीं निजी क्षेत्र का दूसरा सबसे बडा़ बैंक आईसीआईसीआई तीन फीसदी ब्याज दे रहा है। जबकि छोटे बैंक बचत खाते पर बड़े बैंकों की तुलना में दोगुना से भी अधिक ब्याज दे रहे हैं। ऐेसे में ऊंचा ब्याज हासिल करने के लिए बैंक बदलने में समझदारी है। हालांकि, ऐसा आंख मूंदकर नहीं बल्कि पूरी पड़ताल करने के बाद ही करना चाहिए क्योंकि छोटे बैंकों के साथ कुछ जोखिम भी जुड़ा होता है।
ब्याज और शर्तें
एसबीआई बचत खाता पर तीन फीसदी से भी कम ब्याज दे रहा है तो उसकी शर्तें भी थोड़ी नरम हैं। एसबीआई के बचत खाते में मेट्रो शहरों में न्यूनतम जमा पांच हजार रुपये होनी चाहिए। जबकि छोटे शहरों में इससे भी कम है। वहीं आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक बचत खाते पर तीन फीसदी ब्याज दे रहें हैं लेकिन न्यूनतम जमा की शर्त 10 हजार रुपये है। वहीं आईडीएफसी बैंक एक लाख रुपये से अधिक न्यूनतम जमा पर सात फीसदी जबकि उससे कम जमा पर छह फीसदी ब्याज दे रहा है। यस बैंक एक लाख रुपये तक जमा पर पांच फीसदी और उससे अधिक जमा पर छह फीसदी ब्याज दे रहा है।
बड़े बैंक की सुरक्षा
देश के सरकारी और निजी क्षेत्र के बड़े बैंक बचत खाता के साथ एफडी पर ब्याज भले ही कम दे रहे हैं लेकिन उनके साथ सुरक्षा और भरोसा जुड़ा हुआ है। घोटाले या फंसे कर्ज (एनपीए) से जुड़े कई मामले बड़े बैंकों से भी आए हैं। इसके बावजूद उनके जमाकर्ताओं पर कोई असर नहीं हुआ और उन्हें किसी तरह की परेशानी का सामना भी नहीं करना पड़ा है।
छोटे बैंक से जुड़े जोखिम
यस बैंक, पीएमसी बैंक समेत अब तक कई छोटे बैंकों में घोटाले या कर्ज फंसने की वजह से जमाकर्ताओं भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। पीएमसी बैंक में अपना पैसा निकालने के लिए जमाकर्ताओं को काफी लंबा इंतजार करना पड़ा है। यस बैंक भी डूबने की कगार पर पहुंच गया था लेकिन सरकार के हस्तक्षेप से एसबीआई ने इसे बचा लिया। विशेषज्ञों का कहना है कि छोटे बैंकों में बचत खाते पर ऊंचा ब्याज मिलने के बावजूद उनके ऊंचे जोखिम से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।
एनपीए और कासा से तय होती हैं ब्याज दरें
रिजर्व बैंक जब नीतिगत दरें (रेपो रेट) घटाता है तो यह सभी बैंकों के लिए बराबर होती हैं। लेकिन बैंक अपनी लागत और कई अन्य चीजें देखकर बचत खाते पर ब्याज तय करते हैं। जर्मिनेट वेल्थ के संस्थापक संतोष जोसेफ का कहना है कि ब्याज दरें तय करने में चालू खाता (करंट अकाउंट) और बचत खाता (सेविंग अकाउंट) का अनुपात बेहद अहम होता है जिसे बैंकिंग की भाषा में कासा कहते हैं। साथ ही एनपीए का अनुपात में ब्याज दरें तय करने में अहम होता है। चालू खाता पर बैंक ब्याज नहीं देते बल्कि शुल्क वसूलते हैं। ऐसे में बैंक के पास चालू खाता ज्यादा होने पर उसकी कमाई ज्यादा होती है। इस स्थिति में बैंक ऊंचे ब्याज की पेशकश करते हैं। जबकि चालू खाता अनुपात कम होने और एनपीए ऊंचा होने पर बैंक कम ब्याज की पेशकश करते हैं।
बैंक डूबने पर कितनी राशि सुरक्षित
सरकार ने बैंकों में जमा राशि की गारंटी सीमा बढ़ाकर पिछले साल पांच लाख रुपये कर दी। जबकि पहले यह राशि एक लाख रुपये थी। इसका मतलब है कि कोई बैंक डूबता है तो कम से कम पांच लाख रुपये आपको मिलेंगे। लेकिन इससे अधिक राशि जमा होने पर उसका उसका नुकसान होगा। ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि यदि आपको पांच लाख रुपये से अधिक जमा करना तो उसे दो अलग-अलग बैंकों में जमा करें। ऐसे में चार-चार लाख रुपये दो बैंकों में रखते हैं तो आठ लाख रुपये सुरक्षित होंगे।
बचत खाते पर कहां कितना ब्याज
बैंक | ब्याज (% में) |
एसबीआई | 2.7 |
आईसीआईसीआई | 3 |
आईडीएफसी फर्स्ट | 7 |
आरबीएल बैंक | 6 |
इंडसइंड बैंक | 5 |
कोटक महिन्द्रा बैंक | 4 |
बैंधन बैंक | 6 |
एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक | 7 |
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