कैबिनेट बैठक:भोले-भाले निवेशकों को ठगी से बचाने वाला विधेयक मंजूर
कायदे-कानून का पालन किए बिना संचालित जमा योजनाओं के जरिए भोले भाले निवेशकों के साथ ठगी पर रोक लगाने के उद्येश्य से केंद्र सरकार संसद में एक नया विधेयक पेश करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की...
कायदे-कानून का पालन किए बिना संचालित जमा योजनाओं के जरिए भोले भाले निवेशकों के साथ ठगी पर रोक लगाने के उद्येश्य से केंद्र सरकार संसद में एक नया विधेयक पेश करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में 'चिट फंड अधिनियम' में संशोधन का भी निर्णय लिया गया ताकि लोगों को अन्य वित्तीय निवेश योजनाओं में धन लगाने का एक अधिक व्यवस्थित अवसर मिल सके। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि अनरेग्युलेटेड डिपॉजिट स्कीम बिल और चिटफंड (संशोधन) बिल 2018 को संसद में पेश किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
इस विधेयक का लक्ष्य देश में चल रही अवैध जमा योजनाओं पर रोक लगाना है। ऐसी योजनाएं चलाने वाली कंपनियां/संगठन मौजूदा नियामकीय खामियों तथा प्राशासनिक उपायों की कमजोरी का फायदा उठाकर भोले भाले लोगों की मेहनत की कमाई को ठग लेती हैं। चिट फंड अधिनियम में बदलाव के उद्देश्य के बारे में कहा गया कि प्रस्तावित संशोधन इस क्षेत्र में व्यवस्थित वृद्धि लाने और इस क्षेत्र के सामने रुकावटों को दूर करना है। संशोधन से लोगों को अन्य वित्तीय उत्पादों में निवेश के अधिक अवसर प्राप्त होंगे।
इस बिल के कानून की शक्ल लेने पर ऐसी डिपॉजिट स्कीम्स, जिसके लिए सरकार ने रेग्युलेशन नहीं जारी किया है, गैरकानूनी हो जाएंगे। अभी वर्चुअल करंसी में ट्रेडिंग पर कोई रेग्युलेशन नहीं है। हालांकि, देश में इसकी ट्रेडिंग बैन नहीं है। उधर, देश में बिटकॉइन जैसी वर्चुअल करंसी में बढ़ रही ट्रेडिंग को लेकर आरबीआई लोगों को बार-बार आगाह कर रहा है। उसका कहना है कि इसके लिए कोई रेग्युलेशन नहीं है और किसी तरह के नुकसान को लेकर इन्वेस्टर्स खुद जिम्मेदार होंगे।
चिटफंड कानून में होगा बदलाव
चिटफंड (संशोधन) बिल 2018 को भी मंजूरी दे दी है, जिससे पोंजी स्कीम्स पर रोक लग सकेगी। इस बिल के जरिए चिटफंड अधिनियम 2018 में बदलाव किया जाएगा। इससे चिटफंड कंपनियां नए फाइनेंशियल प्रोडक्ट बाजार में उतार सकेंगी। संशोधन के जरिए चिटफंड कंपनियों की चलाने के तौर-तरीकों में भी बदलाव किया जाएगा। इसका मकसद देश में गैरकानूनी तरीके से चल रहीं स्कीम्स पर रोक लगाना है। बिल में इस तरह की डिपॉजिट स्कीम चलाने वालों के खिलाफ सख्त सजा तय की गई है।
बिल की अहम बातें
- एक ऑनलाइन डाटाबेस बनेगा जिसमें अनरेग्युलेटेड डिपॉजिट स्कीमस की पूरी जानकारी उपलब्ध होगी।
- कोई भी संस्था डायरेक्ट या इनडायरेक्ट, विज्ञापन के जरिए या फिर लोगो से आग्रह कर अनरेग्युलेटेड डिपॉजिट स्कीम नहीं चलाएगी।
- नियम तोड़ने पर कम से कम 3 और ज्यादा से ज्यादा 10 साल तक के लिए जेल की सजा हो सकती है। साथ ही जितना फंड स्कीम के तहत जुटाया गया है, उसका दो गुना तक जुर्माना भरना होगा।
- अगर कोई संस्था रेग्युलेटेड डिपॉजिट स्कीम में मियाद पूरी होने पर धोखा कर पैसा वापस नहीं चुकाए तो उसके लिए 7 साल तक की सजा का प्रावधान है।
- जमाकर्ताओं के पैसे जुटाने के लिए संपत्ति जब्त करने का भी प्रावधान है। इसके साथ गलत तरीके से कमाए गए मुनाफे को प्रभावित लोगों के बीच बांटने की भी व्यवस्था होगी।
- संपत्ति जब्त करने और प्रभावित लोगों को मदद पहुंचाने का काम तय समय सीमा के अंदर होगा।
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