वीजी सिद्धार्थ ने CCD को बनाया देश का बड़ा ब्रांड, कभी लोगों ने कहा था- नहीं चलेगा बिजनेस

मशहूर कैफे चेन कैफ कॉफी डे के संस्थापक वीजी सिद्धार्थ मंगलुरु से लापता हो गए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्हें आखिरी बार मंगलुरु में नेत्रावती नदी के पास देखा गया था। पुलिस अधिकारी ने बताया कि परिवार...

लाइव हिन्दुस्तान टीम नई दिल्लीTue, 30 July 2019 11:31 AM
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मशहूर कैफे चेन कैफ कॉफी डे के संस्थापक वीजी सिद्धार्थ मंगलुरु से लापता हो गए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्हें आखिरी बार मंगलुरु में नेत्रावती नदी के पास देखा गया था। पुलिस अधिकारी ने बताया कि परिवार के अनुरोध पर व्यवसायी की खोजबीन के लिए सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया है। इस खोजबीन के लिए डॉग स्क्वॉड और नावों की मदद भी ली जा रही है। 

सिद्धार्थ पूर्व विदेश मंत्री एसएम कृष्णा के दामाद भी हैं जो कांग्रेस में दशकों बिताने के बाद भाजपा में शामिल हुए थे। पुलिस के अनुसार, सिद्धार्थ ने अपने ड्राइवर से मंगलुरु के नेत्रावती पुल पर उसे उतारने को कहा क्योंकि वह टहलना चाहता था। मंगलुरु के पुलिस आयुक्त संदीप पाटिल ने कहा, हालांकि जब एक घंटे के बाद भी कोई नजर नहीं आया, तो ड्राइवर ने परिवार को संपर्क किया और उन्होंने इसकी सूचना पुलिस अधिकारियों को दी।

शुरू किया कॉफी कैफे का कॉन्सेप्ट
देश की सबसे बड़ी कॉफी कैफे चेन, कैफे कॉफी-डे (Cafe Coffee Day)  के संस्थापक वीजी सिद्धार्थ को एक समय कहा गया था कि कि तुम्हारा बिजनेस नहीं चलेगा। ज्यादातर लोगों की राय के बाद कुछ दिन के लिए सिद्धार्थ अपने प्लान से पीछे हट गए लेकिन आज कॉफी कैफे डे इंडिया एक बड़ी कॉफी चेन की गिनती में शामिल है। 

1996 में शुरू हुआ कॉफी कैफे-डे
सीसीडी की शुरुआत 1996 में हुई थी। दरअसल, 1995 में दुनिया भर में कॉफी कल्चर को देखते हुए कर्नाटक के रहने वाले वीजी सिद्धार्थ ने कॉफी शॉप खोलने का प्लान बनाया। तमाम कठिनाइयों के बाद कॉफी शॉप शुरू हुई।

कभी लोगों ने कहा था, नहीं चलेगा ये बिजनेस
सिद्धार्थ के मन में कैफे खोलने का प्लान आया, तो उन्होंने लोगों से राय मांगी। लोगों ने कहा कि जब 5 रुपए में कॉफी मिल रही है तो कोई 25 रुपए में उनकी कॉफी क्यों खरीदेगा। लोगों ने कॉफी शॉप का कारोबार शुरू न करने की राय दी।

कॉफी चेन के मालिक से मिलने पर आया आइडिया

सिद्धार्थ को कॉफी चेन खोलने का आइडिया शीबो, र्जमन कॉफी चेन के मालिक से हुई बातचीत के दौरान आया। लेकिन लोगों की बात सुनने के बाद उन्होंने आइडिया थोड़े दिन ड्रॉप कर दिया। साल 1995 में इस वाक्य के करीब 8-9 महीने बाद सिद्धार्थ ने सिंगापुर की एक शॉप में लोगों को वेबरेज के साथ इंटरनेट का आनंद लेते देखा। इसके बाद तो सिद्धार्थ ने ठान लिया कि वह ऐसा कैफे खोलेंगे, जहां लोगों की सुविधाओं का ख्याल रखा जाएगा। और इसके बाद वह अपने काम में जुट गए।

साल 2015 में लेकर आए आईपीओ
साल 2015 में कॉफी डे एंटरप्राइजेस ने अपना आईपीओ पेश किया। आईपीओ से कंपनी ने अपना कर्ज उतारा और विस्तार किया। तब कंपनी कुल वैल्युएशन करीब 5,400 करोड़ रुपए हो गई। 

अब हैं 1750 आउटलेट्स

कंपनी के पास आज 1,750 कैफे हैं। भारत के अलावा ऑस्ट्रिया, कराची, दुबई और चेक रिपब्लिक में भी कंपनी के आउटलेट हैं। इनमें 5000 से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है। सीसीडी ऑर्गनाइज्ड कैफे सेगमेंट की मार्केट लीडर है। इसका सीधा मुकाबला टाटा ग्रुप की स्टारबक्स के अलावा बरिस्ता और कोस्टा कॉफी से भी है। स्टारबक्स के भारत में 146 स्टोर हैं। हालांकि, पिछले दो साल में सीसीडी के विस्तार की रफ्तार घटी है और कर्ज भी बढ़ा है। चायोस और चाय पॉइंट जैसे टी कैफे से भी चुनौती मिल रही है। सीसीडी ने वित्त वर्ष 2018 में 90 स्मॉल फॉरमेट स्टोर बंद किए थे। 

130 सालों से कॉफी प्लांटेशन से जुड़ा है सिद्धार्थ का परिवार
कैफे कॉफी डे के फाउंडर और प्रमुख वी जी सिद्धार्थ का परिवार करीब 130 सालों से कॉफी प्लांटेशन से जुड़ा हुआ है। उनके परिवार के पास चिकमंगलूर में 10 हजार एकड़ से ज्यादा कॉफी के बागान हैं। 1993 से सिद्धार्थ ने फैमिली बिजनेस में हाथ बंटाया और उनकी कंपनी ने कॉफी का एक्सपोर्ट शुरू किया था। 2 साल के अंदर उनकी कंपनी देश की सबसे बड़े कॉफी एक्सपोर्टर बन गई।

अपने कैफे में यूज करते हैं अपनी ही कॉफी
कैफे कॉफी डे अपने फार्म में उगाए गए कॉफी बीन्स का इस्तेमाल करती है। इससे कंपनी को क्वालिटी बनाए रखने के साथ लागत घटाने में मदद मिलती है। कंपनी कॉफी शॉप में कॉफी के अलावा दूसरे प्रोडक्ट भी रखती है। इसके लिए कंपनी अमूल जैसे बड़े ब्रैंड से प्रोडक्ट आउटसोर्स करती है।

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