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पुरानी गाड़ी पर चाहिए सस्ता लोन, तो जानें क्या करें

देश में एक तरफ नई गाड़ियों का बाजार तेजी से बड़ा हो रहा है, वहीं दूसरी ओर पुरानी कारों के खरीदार भी लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में अगर आप पुरानी कार लोन लेकर खरीदने की सोच रहे हैं तो ध्यान रखें की गाड़ी...

पुरानी गाड़ी पर चाहिए सस्ता लोन, तो जानें क्या करें
लाइव हिन्दुस्तान टीम ,नई दिल्लीMon, 22 Apr 2019 11:17 AM
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देश में एक तरफ नई गाड़ियों का बाजार तेजी से बड़ा हो रहा है, वहीं दूसरी ओर पुरानी कारों के खरीदार भी लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में अगर आप पुरानी कार लोन लेकर खरीदने की सोच रहे हैं तो ध्यान रखें की गाड़ी ज्यादा पुरानी नहीं होनी चाहिए। ऐसा इसलिए कि पुरानी कार पर बैंक ज्यादा ब्याज वसूलते हैं। 

अगर आप नई गाड़ी खरीदने के लिए भारतीय स्टेट बैंक से लोन लेते हैं तो आपको 9.30 फीसदी की दर से लोन मिल सकता है। वहीं पुरानी गाड़ी के लिए ब्याज दर 11.05 फीसदी से शुरू होती हैं। अगर गाड़ी अधिक पुरानी है तो बैंक ब्याज दर को बढ़ा देते हैं। ऑटो एक्सपर्ट के मुताबिक, पुरानी कार के लिए कर्ज का मामला पेचीदा होता है। बैंकों को कार की कीमत का सही आकलन करना मुश्किल होता है। इसलिए वह नई कार के मुकाबले अधिक ब्याज लेते हैं। 

ब्रांडेंड कंपनियों से खरीदना बेहतर
बैंक ज्यादातर सेकेंड हैंड गाड़ियों का धंधा करने वाली कंपनियों के वाहनों को ही लोन देते हैं। हालांकि लोन की लागत में सबसे अहम भूमिका कार की गुणवत्ता या स्थिति की है। कार के चेसिस, इंजन और माइलेज की परख सबसे सघन तरीके से की जाती है। अगर दो गाड़ियां एक साल पुरानी हैं। पहली एक साल में 50 हजार किलोमीटर और दूसरी इतने ही समय में दस हजार किलोमीटर चली है तो कम दूरी तय करने वाली गाड़ी की ही ज्यादा लगती है। बैंक भी सर्वेयर की रिपोर्ट के आधार पर लोन की दर और रकम तय करते हैं।

ज्यादा पुराना वाहन घाटे का सौदा
सामान्यतया अगर वाहन दस साल से भी पुराना है तो कोई भी उस पर लोन नहीं देता है। ऐसे में अगर आप सात साल पुराना वाहन खरीद रहे हैं तो आपको तीन साल के लिए ही लोन मिलेगा। यानी लोन की अवधि कम होने पर आपको हर माह ज्यादा ईएमआई चुकानी पड़ेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आपको पास कार खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं तो ज्यादा पुरानी गाड़ी नहीं खरीदने चाहिए। अच्छी हालत होने के कारण इस पर लोन की दरें कम रहती हैं और ज्यादा अवधि के कारण ईएमआई भी छोटी रहती है।

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दस्तावेजों की जांच जरूरी
अगर आप कोई पुरानी गाड़ी खरीद रहे हैं तो उसके दस्तावेजों की जांच बेहद जरूरी है। गाड़ी की आरसी बुक का रिकॉर्ड इसमें सबसे अहम है, ताकि ऐसा न हो कि गाड़ी चोरी की निकले। बैंक और कार विक्रेता कंपनी कार की कीमत और स्थिति की अलग-अलग जांच करते हैं, ऐसे में गाड़ी की कीमत को लेकर सौदेबाजी जरूर करें। अगर सीधे कार मालिक से गाड़ी खरीद रहे हैं तो मूल्य को लेकर सौदेबाजी का ज्यादा अच्छा मौका रहता है। 

नई कार से भी तुलना करें
ज्यादा पैसा न होने पर पुरानी गाड़ी खरीदना ठीक है, लेकिन लोन की ब्याज दर और कार की कीमत मिलाकर अगर नई कार के आसपास ही है तो पुरानी गाड़ी खरीदना सही सौदा नहीं है। नई कारों के साथ आपको बहुत सी सहूलियत भी मिलती हैं और वारंटी, फ्री सर्विस भी बेहद मायने रखती है।

नई गाड़ियों से पांच गुना तेजी से बढ़ रहा बाजार
वाहन उद्योगों के संगठन सोसायटी ऑफ ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (सियाम) के मुताबिक, पिछले चार माह में ज्यादातर कारों की कीमत चार से पांच फीसदी बढ़ी है। इससे नई गाड़ियों की सालाना बिक्री की वृद्धि दर 2.5 से 3 फीसदी ही रह गई है। मार्च में वाहनों की बिक्री 6 से 7 फीसदी गिर गई है। जबकि पुरानी गाड़ियों का बाजार सालाना 15-16 फीसदी की बढ़ोतरी कर रहा है। पुरानी गाड़ियों का बाजार बड़े शहरों के साथ छोटे शहरों व कस्बों में भी तेजी की ओर है। विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत में पुरानी कारों का बाजार नई कारों से 1.5 गुना है, जबकि बाहरी देशों में यह दो से तीन गुना है।
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15 से 16 फीसदी की दर से बढ़ रहा है देश में पुराने वाहनों का बाजार

12.9 फीसदी से 17 फीसदी के बीच पुरानी कारों के लिए ब्याज वसूलते हैं बैंक 

1.2 गुना बड़ा है भारत में पुरानी कारों का बाजार नई कारों के मुकाबले 

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