बजट विश्लेषण: यूलिप पर टैक्स को लेकर संशय में निवेशक औैर बीमा उद्योग
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021 में प्रावधान किया है कि 2.5 लाख रुपये से ज्यादा प्रीमियम वाले यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस पॉलिसीज (यूलिप) पर कर लगेगा। एक फरवरी 2021 या इसके बाद खरीदे जाने वाले...

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021 में प्रावधान किया है कि 2.5 लाख रुपये से ज्यादा प्रीमियम वाले यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस पॉलिसीज (यूलिप) पर कर लगेगा। एक फरवरी 2021 या इसके बाद खरीदे जाने वाले यूलिप प्लान पर यह नियम लागू होगा। अभी तक आयकर की धारा 10 (10डी) के तहत यूलिप पर कर छूट मिलता है। कर विशेषज्ञों का कहना है कि यूलिप पर कर छूट हटाने ऐलान तो जरूर कर दिया गया है, लेकिन इसको लेकर स्पष्टता की कमी है। इसको लेकर निवेशक और बीमा उद्योग में संशय कायम है।
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इसकी वजह यह भी है कि अगर कोई निवेश बीमा अवधि में इक्विटी से डेट प्लान में शिफ्ट करता है तो उस पर कर की गणना कैसे होगी। यूलिप निवेशकों को इक्विटी और डेट स्कीम सहित कई फंड मुहैया कराते हैं। एक पॉलिसीधारक बिना किसी कर निहितार्थ के इक्विटी और डेट फंडों के बीच स्विच कर सकता है। बजट में इस तरह के हालात को लेकर कोई स्पष्टता नहीं दी गई है। फ्यूचर जेनरली इंडिया लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के सीआईओ नीरज कुमार ने कहा, जब हमें इक्विटी फंड से डेट स्कीम में जाना होता है तो हमें टैक्सेशन पर स्पष्टता की जरूरत होती है। सभी बीमा कंपनियां इस पर स्पष्टता का इंतजार कर रही हैं।
मिल सकते हैं तीन तरह के विकल्प
कर विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले समय में निवेशक और बीमा कंपनियों को तीन विकल्प मिल सकते हैं। पहला, सरकार स्पष्ट कर सकती है कि अंतर्निहित निधि के बावजूद, दीर्घकालिक लाभ पर 10% कर लगाया जाएगा यदि वे 1 लाख से अधिक हैं। यह एक उत्पाद स्तरीय टैक्स होगा। दूसरे स्थिति में सरकार फंड-स्तर के टैक्स के विकल्प को चुन सकती है, जहां निवेशक को इक्विटी और डेट फंड पर अलग से कर देना होगा। तीसरे विकल्प में सरकार कर भुगतान के बाद फंड की अदला-बदली की अनुमति दे सकती है।