Hindi Newsबिज़नेस न्यूज़budget 2023 Centre to set up Urban Infrastructure Development fund for cities - Business News India

शहरी विकास पर हर साल खर्च होंगे 10 हजार करोड़ रुपये, मशीन से ही साफ होंगे सीवर

बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया है कि टीयर 2 और टीयर 3 शहरों के विकास के लिए सरकार हर साल 10 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी। इसके असावा सीवर और नालों की सफाई केवल मशीन से ही होगी।

Ankit Ojha ऋषि चितलांगिया, हिंदुस्तान टाइम्स, नई दिल्लीWed, 1 Feb 2023 02:54 PM
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बजट 2023 में वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण ने शहरी इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट फंड का ऐलान किया है। टायर 2 और टियर 3 के शहरों के विकास में 10 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसके अलावा वित्त मंत्री ने कहा कि शहरी स्थानीय निकायों को भी वित्तीय स्थिति मजबूत करने के लिए इन्सेंटिव दिए जाएंगे। 

बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा, RIDF की ही तर्ज पर अर्बन इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट फंड (UIDF) बनाया जाएगा। इसका मैनेजमेंट नेशनल हाउसिंग बैंक देखेगा। इसका इस्तेमाल उन सरकारी एजेंसियों के लिए किया जाएगा जो कि टियर-2 और टियर-3 के शहरों का विकास करेंगी। उन्होंने कहा कि राज्यों को यूआईडीएफ का फायदा मिलेगा। इसके अलावा सरकार शहरों को इन्सेंटिव देगी जिससे कि वे अपनी अर्थव्यवस्था सुधार सकें और म्यूनिसिपल बॉन्ड के लिए तैयार हो सकें। 

उन्होंने कहा, प्रॉपर्टी टैक्स गवर्नेंस रिफॉर्म और रिंग फेंसिंग यूजर चार्जेज के द्वारा शहर म्यूनिसिपल बॉन्ड के लिए धन  जुटा पाएंगे। पिछले साल की तरह उन्होंने सतत पोषणीय विकास के लिए शहरी योजना पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि 2047 तक देश की आधी आबादी शहरों में ही रहेगी। 

वित्त मंत्री ने कहा, 'राज्यों और शहरों को शहरी विकास की ओर अग्रसर और प्रोत्साहित किया जाएगा जिससे कि आगे की पीढ़ी को ध्यान में रखते हुए शहर विकसित हो सकें। इसका मतलब है कि आवश्यकता के अनुसार भूमि का इस्तेमाल, भूमि कि उपलब्धता, जल संसाधन के सही इस्तेमाल को सुनिश्चित किया जाएगा। ' बता दें कि पिछले बजट में केंद्र सरकार ने टियर-2 और टियर-3 शहरों को भविष्य के लिए तैयार करने की बात कही थी। इसके अलावा शहरी सुधार के लिए योजना भी बनाई थी। इस  बजट में वित्त मंत्री ने शहरी साफ-सफाई पर ज्यादा बातें कहीं। उन्होंने कहा कि सभी शहरों में 100 फीसदी मशीनों से ही सेप्टिक टैंक और नालों की सफाई की जाएगी। इसके अलावा सूखे और गीले कचरे के वैज्ञानिक प्रबंधन पर जोर दिया जाएगा।

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